बाजार और सरकार...दोनों के दबाव के बीच,मौजूदा समय में पत्रकारिता को बचाना बड़ी चुनौती है। ये चुनौती तब और भी बढ़ जाती है जब कोई संस्थान सरकार से विज्ञापन न लेने का फैसला कर ले। लेकिन हम इस चुनौती को शिद्दत से स्वीकार कर चुके हैं। हमारा उद्देश्य न किसी का समर्थन करना है और न ही किसी का विरोध। हम सिर्फ खबर देने और खबर के निष्पक्ष विश्लेषण पर फोकस करना चाहते हैं।
द सूत्र – ने सरकार से विज्ञापन नहीं लेने का फैसला इसलिए किया है ताकि हम दबाव मुक्त रह कर प्रतिबद्धता के साथ सच्ची, अच्छी, निष्पक्ष और विश्वसनीय पत्रकारिता कर सकें। समाज हित में पत्रकारिता कर सकें इसके लिए द सूत्र ने सरकार पोषित होने के बजाय समाज पोषित होने का दुस्साहसी फैसला किया। यानी संस्थान के संचालन के लिए जरूरी पैसा क्राउड फंडिंग से जुटाया जाएगा। समाज की दम पर ही हम बेखौफ होकर कहते हैं कि - हम सिर्फ भगवान से डरते हैं।
यह काम कठिन जरूर है, असंभव बिल्कुल नहीं। हमें भरोसा है कि आपके सहयोग से अच्छी और सच्ची पत्रकारिता को प्रदेश में एक बार फिर स्थापित करेंगे
हमारे एडिटोरियल बोर्ड में पद्मश्री आलोक मेहता, प्रेस ट्रस्ट आफ इंडिया की न्यूज एजेंसी भाषा के संस्थापक संपादक वेदप्रताप वैदिक, नेशनल ब्रॉडकास्ट एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष एनके सिंह, इंडिया टुडे (हिंदी) के पूर्व कार्यकारी संपादक जगदीश उपासने, हिंदुस्तान टाइम्स के पूर्व रेसीडेंट एडिटर एनके सिंह और मशहूर टेलीविजन शो जिंदगी लाइव की एंकर रिचा अनिरुद्ध प्रमुख हैं।