बागी नेताओं को 'मंत्री' बनाने पर मजबूर शिवराज, 2018 के फ्लॉप फॉर्मूले से कैसे बनेगी बात?

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Harmeet
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मंत्री पद की लूट है, लूट सके तो लूट, चुनावकाल आया है तू पीछे मत छूट..क्या आप भी यही सोच रहे हैं कि कबीर की इस तुक को इस चुनावी अंदाज में मैंने क्यों पेश किया है. भई मैं किसी मजाक के मूड में नहीं हूं. बस यूं समझ लीजिए कि मध्यप्रदेश में धड़ल्ले से बंट रही मंत्री पद की रेवड़ी को मैंने कुछ नए नजरिए से पेश करने की कोशिश की है. अगर आप भी नहीं समझें तो तफसील से यूं समझें कि जीत की खातिर जो पैंतरा बीजेपी सरकार ने 2018 में चला था अपनों को अपना  बनाए रखने के लिए वही पैंतरा फिर चल रही है. लेकिन 2018 में पार्टी का क्या हाल हुआ था ये किसी से छिपा नहीं है. बीजेपी का हाल ये है कि 20 साल की सरकार में जो सत्ता सुख से छूटा है वो नाराज है. सरकार की स्थिति ये है कि एक को मनाओ तो दूजा रूठ जाता है. 

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