RAIPUR. छत्तीसगढ़ में आरक्षण विवाद का मामला अब सुपीम कोर्ट पहुंच गया है। छत्तीसगढ़ में हो रहे मेडिकल दाखिले का आरक्षण के मामले में एक छात्रा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। इस याचिका में मेडिकल प्रवेश के लिए 9 अक्टूबर और 1 को जारी आरक्षण रोस्टर को रद्द करने की अपील की गई है। इसकी सुनवाई 6 दिसंबर मंगलवार को चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच में होगी।
जानकारी अुनसार, मेडिकल काउंसलिंग में शामिल अनुप्रिया बरवा नाम की एक छात्रा की ओर से अधिवक्ता सी. जार्ज थामस ने याचिका दायर की। इसमें कहा गया कि मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए पहले से मेडिकल यूजी नियम 2018 और मेडिकल पीजी नियम 2021 बने हुए हैं। इसकी कंडिका 5 और 6 में अनुसूचित जाति को 12 परसेंट अनुसूचित जनजाति को 32% और अन्य पिछड़ा वर्ग को 14% आरक्षण का प्रावधान है। हाईकोर्ट में इस रोस्टर को कभी चुनौती नहीं दी गई। इसलिए 19 सितंबर को आरक्षण कानून पर आया हाईकोर्ट का फैसला उस पर प्रभावी नहीं है।
बिलासपुर हाईकोर्ट के फैसले को सरकार ने नहीं किया प्रकाशित
बिलासपुर हाई कोर्ट के फैसले के बाद सरकार ने कहीं भी आरक्षण नियम प्रकाशित नहीं किया है। चिकित्सा शिक्षा संचालनालय ने मेडिकल की पीजी कक्षाओं में प्रवेश के लिए और एक नवंबर को यूजी में प्रवेश के लिए अनुसूचित जाति के लिए 16 फीसदी, अनुसूचित जनजाति के लिए 20 फीसदी और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 14 फीसदी आरक्षण का रोस्टर जारी कर काउंसलिंग शुरू कर दिया।
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नए रोस्टर से नहीं मिला दाखिला
32 फीसदी आरक्षण के हिसाब से अनुसूचित जनजाति के स्टूडेंट्स को सरकारी मेडिकल कॉलेजों की 923 सीटों में से 284 सीटें मिलनी थी। नये रोस्टर से इस वर्ग को केवल 180 सीट मिल रही है। अनुप्रिया बरवा 185 वें स्थान पर हैं। यानी मेडिकल प्रवेश नियम के मुताबिक उनका दाखिला तय था, लेकिन डीएमई के नए रोस्टर से उसका दाखिला नहीं हो पा रहा है।