RAIPUR: केंद्र और केंद्रीय एजेंसियों पर तीखे तेवर वाले CM बघेल की सधी सियासत,आयकर की दबिश पर मौन यूं ही नही है

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Yagyawalkya Mishra
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RAIPUR: केंद्र और केंद्रीय एजेंसियों पर तीखे तेवर वाले CM बघेल की सधी सियासत,आयकर की दबिश पर मौन यूं ही नही है

Raipur। केंद्र सरकार और केंद्रीय एजेंसियों विशेषकर ईडी सीबीआई और ईटी को लेकर बेहद तीखे और आक्रामक तेवर को खुल कर ज़ाहिर करने वाले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल उनके अपने राज्य में उनके ही क़रीबियों पर आयकर के छापों जिसे कि सर्वे भी कहा जा रहा है पर चकित कर देने वाले अंदाज में मौन हैं। तेज तर्रार और विपक्ष पर बेहद आक्रामक अंदाज में वार करने की शैली की वजह से कांग्रेस के भीतर और बाहर, प्रदेश और देश में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की जुदा पहचान है। पर इस मौन ने सभी राजनैतिक विश्लेषकों को चौंका दिया है। लेकिन इस मौन के पीछे बेहद सधी हुई सियासत है।





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फ़रवरी 2020 में छापे पर बेहद आक्रामक हुए थे सीएम बघेल



मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जबकि कोरिया ज़िले के मनेंद्रगढ़ विधानसभा में भेंट मुलाक़ात कार्यक्रम से लौटे, तब तक प्रदेश में भिलाई रायपुर बिलासपुर महासमुंद में छापे की कार्यवाही शुरु हुए छ घंटे का वक्त बीत चुका था।मुख्यमंत्री बघेल ने तब मीडिया से इस पर कुछ भी नहीं कहा, यह भी दर्ज किया जाना चाहिए कि उनसे इन छापों को लेकर कोई सवाल भी नहीं हुआ।



  फ़रवरी 2020 में जबकि आयकर विभाग की टीम ने दबिश दी तब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जो तेवर दिखाए थे, वह सीएम बघेल के चिर परिचित आक्रामक मिज़ाज पर मुहर ही लगाते थे। सीएम बघेल ने तब विधानसभा के भीतर ही अपने कक्ष में बेहद करीबी मंत्री मोहम्मद अकबर और रविंद्र चौबे के साथ मंत्रणा की। उन्होंने बेहद तीखे तेवर दिखाए, वे इस तल्ख थे कि, उन तेवरों की चर्चा गए दिनों तक होती रही।





दिल्ली में कही थी कॉल रिकॉर्डिंग की बात



  ईडी और राहुल गांधी के प्रकरण में दिल्ली में धरना प्रदर्शन के दौरान, ज़मीन पर बैठ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आरोप लगाया था कि, छत्तीसगढ़ में केंद्र फ़ोन टेपिंग करा रहा है। सीएम बघेल तब भी बेहद आक्रामक रुप से सामने आए थे जबकि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के भाई के यहाँ CBI की टीम ने दबिश दी। यह सीएम बघेल ही थे जिन्होंने ईडी द्वारा पूछे गए सवालों के सार्वजनिक होने पर तंज किया था कि, ईडी पूरी पूछताछ लाइव कर दे। यह सीएम बघेल ही थे जिन्होंने 1 अप्रैल 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दर्पण भेजा था। प्रधानमंत्री मोदी को दर्पण भेजते हुए सीएम बघेल ने ट्विटर पर लिखा था



“मैं आपको यह आईना तोहफा स्वरूप भेज रहा हूं। इस आईने को आप लोक कल्याण मार्ग के अपने आवास में किसी ऐसी जगह लगाएं, जहां से आप सबसे अधिक बार गुजरते हों। ताकि इस आईने में अपनी शक्ल बार बार देख आप अपनी असली चेहरे को पहचानने की कोशिश कर सकें।हो सकता है कि आप इस आईने का इस्तेमाल ही ना करें। पीएम निवास के किसी कूड़ेदान में फेंक दें। लेकिन आईना देखने से आप फिर भी नहीं बच पाएंगे। इस देश की 125 करोड़ की आबादी इस चुनाव में आपको आईना दिखाने वाली है।तैयार हैं ना मोदी जी?”





 मुख्यमंत्री रहते हुए प्रधानमंत्री को दर्पण भेजना यह भारत के ज्ञात राजनैतिक इतिहास में अनूठा था और इसके साथ ही सीएम बघेल ने तंज और बेहद तीखे शब्दों के साथ पत्र भी भेजा था। जिसे उन्होंने फ़ेसबुक पर शेयर किया था।





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चुप्पी के मायने क्या हैं



  पिछली बार जबकि सीएम बघेल ने छापों को केंद्र की बदले और परेशान करने वाली कार्यवाही बताया, तब आयकर की टीम किन्ही दो पर केंद्रित नहीं थी, जैसी कि आज है बल्कि उस वक्त छापे कई व्यक्तियों के ठिकानों पर पड़े थे, और बिलाशक यह सभी नाम सीएम बघेल के करीबी थे। पर इस बार जाँच बेहद साफ़ है कि यह केवल दो नामों और उन्हीं के इर्द गिर्द केंद्रित है। पहला नाम सूर्यकांत तिवारी है, और दूसरा सौम्या चौरसिया। आईटी के इस बार के छापों की अब तक की श्रृंखला को देखें तो साफ़ समझ आता है कि, यह सूर्यकांत तिवारी पर केंद्रित कार्यवाही है।आईटी हमेशा की तरह कार्यवाही को जारी रखे हुए हैं और यदि कोई जानकारी देगी भी तो वह जानकारी छापे की कार्यवाही पूरी होने पर देगी, जिसमें ज़ाहिर है वक्त है।शायद मुख्यमंत्री बघेल चुप रहकर यह समझना चाह रहे हैं कि नदी के प्रवाह में तेज़ी कितनी है, और दूसरी बात मौन रहकर वे विरोधियों से इस आरोप का अवसर भी छिन रहे हैं कि विरोधी यह कह सकें कि वे डर रहे हैं या एजेंसियों को डरा रहे हैं।





  प्रतिक्रिया सीएम बघेल की तासीर में है



  सीएम बघेल का राजनैतिक जीवन यह साबित करता है कि, वे प्रतिक्रिया देते ही हैं। वे ख़ामोश बैठने वालों में नहीं हैं। उनके विरोधी भी उनकी रिटिलिएशन की तासीर से वाक़िफ़ हैं। सीएम बघेल आज चुप हैं पर ये चुप्पी आने वाले दिनों में गूंज बन जाए तो अचरज नहीं होना चाहिए ।बशर्ते सतह के नीचे नदी की धार में तेज़ी का अनुमान लग जाए और सियासत का यह कुशल तैराक यह समझ जाए कि भँवर तो नहीं पैदा हो गया है।





वो कौन है जो आग बुझाने दौड़े पर हवा भी लाए



  इस छापामार कार्रवाई को देखने से यह संकेत मिलते हैं कि, बहुत चिन्हांकित कार्यवाही चल रही है। सीएम की उप सचिव सौम्या चौरसिया के घर चल रही कार्यवाही में कुछ हासिल हुआ अब तक ऐसा कोई संकेत नहीं है, यह माना जा रहा है कि वे केवल सीएम बघेल की विश्वसनीय होने और उनके आदेश के क्रियान्वयन में अहम भुमिका निबाहने की वजह से जिन चर्चाओं में रहीं वे उस वजह से राडार पर हैं।हालाँकि अधिकृत सच आईटी के द्वारा दी जा रही जानकारी से सामने आएगा। लेकिन सौम्या चौरसिया से अलग हटकर कार्यवाही को देखें तो साफ़ समझ आता है सूर्यकांत तिवारी और उनके हर करीबी तक आईटी पहुँच रही है।लेकिन ऐसी कोई हलचल सौम्या के ठिकाने पर मौजूद आईटी टीम की ओर से नहीं है।



    यह छापे एक संकेत और देते हैं जिसका पता सियासत में सधे बेहद पारंगत सीएम बघेल को लगाना चाहिए कि वो क़ौन हैं जो आग लगी है कहकर पानी की बाल्टी लेकर दौड़ते दिखे लेकिन दरअसल वे हवा के लिए रास्ता बना रहे थे।



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