NARAUANPUR. छत्तीसगढ़ का बस्तर एक बार फिर चर्चा में हैं, लेकिन इस बार नक्सली घटना नहीं बल्कि आदिवासियों के आंदोलन के कारण है। दरअसल, पिछले 40 घंटे से नारायणपुर में ओरछा रोड पर आदिवासियों का विरोध-प्रदर्शन चल रहा है। 28 जनवरी शनिवार देर रात से ही ग्रामीण अपने पारंपरिक हथियार, तीर-धनुष और कुल्हाड़ी लेकर ओरछा मेन रोड पर डेरा डाले हुए हैं। इसके चलते सड़क पूरी तरह बंद है। हालांकि एंबुलेंस जैसी जरूरी गाड़ियों को आने-जाने दिया जा रहा है।
90 गांवों के 7 हजार से ज्यादा लोग आंदोलन में शामिल
जानकारी के मुताबिक इस आंदोलन में बस्तर संभाग के इंद्रावती, बीजापुर, ओरछा ब्लॉक समेत करीब 90 गांवों के 7 हजार से ज्यादा ग्रामीण नारायणपुर जिले के ओरछा मंडाली पारा मुख्य मार्ग पर पहुंचे हैं। अपने साथ ग्रामीण राशन-पानी लेकर आए हैं। इसमें महिलाओं के साथ बच्चे भी शामिल हैं। ग्रामीणों के इस विरोध प्रदर्शन के चलते रविवार से अभी तक इस मार्ग पर आवागमन ठप है।
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वाहनों के थमे पहिए
ओरछा- मंडाली के पास मेन रोड पर आंदोलकारी ग्रामीणों के डेरा डालने के चलते बसों और कई वाहनों के पहिये थम गए हैं। दरअसल, टीआई को हटाने, पेसा कानून लागू करने समेत कई मांगों को लेकर धरना दे रहे ग्रामीणों को कहना है कि 3 दिन तक कलेक्टर-एसपी आकर हमारी मांगों को नहीं सुनते और निराकरण नहीं करते, तब तक आंदोलन खत्म नहीं करेंगे और ना ही सड़क से हटेंगे। इस मामने में पुलिस का कहना है कि नक्सलियों के समर्थन में ग्रामीण आंदोलन कर रहे हैं।
आदिवासी बोले- ये मांग पूरी होने पर ही बंद करेंगे आंदोलन
हजारों की संख्या में जुटे आदिवासियों ने 6 मांगें रखी हैं। इसमें गांवों में सड़क निर्माण बंद किया जाए, नए पुलिस कैंप को वापस करें, महिलाओं पर पुलिस अत्याचार ना करें, ब्रेहबेड़ा आंदोलन पर बैठी महिलाओं की नहाते समय पुलिस पर ड्रोन से वीडियो बनाने का आरोप, टीआई को हटाने, पेसा कानून लागू करने, मुठभेड़ के नाम पर आदिवासियों की हत्या का आरोप, बस्तर में आदिवासियों के आंदोलन में हमला बंद करने की मांग शामिल है। आंदोलनरत ग्रामीणों का कहना है कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा।
नक्सली ग्रामीणों का उपयोग कर रहे हैं- एसपी
आंदोलन के बीच नारायणपुर एसपी सदानंद कुमार का भी बयान है। उन्होंने कहा कि ये आंदोलन पूरी तरह नक्सलियों का प्रायोजित है। ग्रामीण जिस तरह विकास कार्यों और पुलिस कैंपों का विरोध कर रहे हैं, उससे लगता है कि नक्सली उनका उपयोग कर रहे हैं। हालांकि हम आंदोलन जल्द समाप्त करने के लिए ग्रामीणों को समझा रहे हैं।