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NEW DELHI. लगता है कांग्रेस खेमे में मुश्किलों डेरा जमा लिया है। अब 31 अगस्त को सीनियर लीडर आनंद शर्मा हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के मैनिफेस्टो कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए। अब आनंद के कांग्रेस छोड़ने के कयास लगाए जा रहे हैं। शर्मा ने 21 अगस्त को हिमाचल कांग्रेस की संचालन समिति के अध्यक्ष पद से भी इस्तीफा दे दिया था। गुलाम नबी आजाद के कांग्रेस छोड़ने के बाद पिछले 5 दिनों में शर्मा उनसे दो बार मिल चुके हैं। 30 अगस्त को आनंद शर्मा और भूपिंदर सिंह हुड्डा आजाद से मिलने पहुंचे थे। तीनों के बीच लंबी बातचीत हुई। आनंद शर्मा 27 अगस्त को भी आजाद से मिलने उनके सरकारी आवास गए थे। आजाद ने 26 अगस्त को पांच पेज की चिट्ठी लिखकर कांग्रेस छोड़ने का ऐलान किया था।
संजय गांधी के समय कांग्रेस में आए थे आनंद, 3 बार राज्यसभा भेजे गए
आनंद शर्मा भी कांग्रेस में बागी गुट G-23 के सबसे मुखर सदस्यों में से एक रहे हैं। शर्मा ने पहली बार G-23 को कांग्रेस की आत्मा बताया था। 2020 से कांग्रेस हाईकमान के खिलाफ बागी रुख रखने वाले शर्मा की गिनती कभी गांधी परिवार के करीबियों में होती थी।
पेशे से वकील आनंद शर्मा की राजनीति में एंट्री संजय गांधी के समय हुई थी। बाद में वे पूर्व पीएम राजीव गांधी के कोर टीम में शामिल हो गए। शर्मा हिमाचल प्रदेश से आते हैं, लेकिन वे कभी चुनाव नहीं लड़े।
हिमाचल की राजनीति में शर्मा ने कई बार पकड़ बनाने की कोशिश भी की, लेकिन पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह के विरोध की वजह से उनकी कोशिशें कामयाब नहीं हो पाईं। कांग्रेस ने 2004 में हिमाचल से, 2010 में राजस्थान से और 2016 में हिमाचल से शर्मा को राज्यसभा में भेजा था। शर्मा मनमोहन सरकार में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री रह चुके हैं।
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