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सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षा चिंताओं के मद्देनजर चारधाम परियोजना के तहत बन रही सड़कों को 'डबल लेन' तक चौड़ा करने की इजाज़त दे दी है। अदालत सरकार के इस तर्क से सहमत हुआ कि इस इलाके में सड़कें सामरिक महत्व रखती हैं। कोर्ट ने कहा हाल के दिनों में राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौतियां देखी गई हैं। ऐसे में सैनिकों और हथियारों की आवाजाही आसान होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निगरानी समिति को रक्षा मंत्रालय, सड़क परिवहन मंत्रालय, उत्तराखंड सरकार और सभी जिलाधिकारियों का पूरा सहयोग हासिल होगा।
पर्यावरण की सुरक्षा के इंतजाम भी किए जाएंगे
चारधाम परियोजना में सड़क की चौड़ाई को लेकर लंबे समय से बहस छिड़ी हुई थी और मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुँचा था। कोर्ट ने अपने 8 सिंतबर 2020 के आदेश को संशोधित करते हुए प्रोजेक्ट को मंजूरी दी है। SC ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस एके सीकरी के नेतृत्व में समिति का भी गठन किया, जो यह सुनिश्चित करेगी कि पर्यावरण की सुरक्षा को लेकर सभी जरूरी उपाय किए जाएं।
ये है चारधाम प्रोजेक्ट
चारधाम प्रोजेक्ट का उद्देश्य सभी मौसम में पहाड़ी राज्य के चार पवित्र स्थलों यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ को जोड़ना है। इस परियोजना की शुरुआत साल 2016 में सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने की थी। इस प्रोजेक्ट के पूरा हो जाने के बाद हर मौसम में चारधाम की यात्रा की जा सकेगी। प्रोजेक्ट के तहत 900 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण हो रहा है। अभी तक 400 किमी सड़क का चौड़ीकरण किया जा चुका है।
क्या था विवाद
साल 2018 में एक गैर सरकारी संस्था ने सड़क चौड़ीकरण की इस परियोजना को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. उस एनजीओ ने दलील दी थी कि सड़क चौड़ीकरण के नाम पेड़ काटे जाएंगे. इससे पहाड़ों में विस्फोट का अंदेशा है, इसके साथ साथ मिहालय की सूरते हाल की भी मज़ीद खरब होगी. इससे भूस्खलन, बाढ़ का ख़तरा बढ़ जाएगा और जंगल व जलीय जीवों को नुक़सान पहुंचेगा.
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