कांग्रेस छोड़ने के 3 दिन बाद गुलाम नबी का एक और झटका, जम्मू-कश्मीर के 64 नेताओं का इस्तीफा, सभी आजाद की नई पार्टी जॉइन करेंगे

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Atul Tiwari
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कांग्रेस छोड़ने के 3 दिन बाद गुलाम नबी का एक और झटका, जम्मू-कश्मीर के 64 नेताओं का इस्तीफा, सभी आजाद की नई पार्टी जॉइन करेंगे

NEW DELHI/SRINAGAR. गुलाम नबी आजाद के कांग्रेस छोड़ने के 3 दिन बाद (26 अगस्त को इस्तीफा) पार्टी को एक और बड़ा झटका लगा। 30 अगस्त को जम्मू-कश्मीर के 64 नेताओं ने एक साथ कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। इस्तीफा देने वाले नेताओं में पूर्व डिप्टी सीएम तारा चंद, पूर्व मंत्री माजिद वानी, मनोहर लाल शर्मा जैसे बड़े नेता शामिल हैं। ये सभी नेता 4 सितंबर को आजाद की अगुआई वाली नई पार्टी जॉइन करेंगे।



इन नेताओं का इस्तीफा



तारा चंद (पूर्व डिप्टी सीएम), माजिद वानी (पूर्व मंत्री), बलवान सिंह (जम्मू कश्मीर कांग्रेस महासचिव) , घारू चौधरी (पूर्व मंत्री), मनोहर लाल शर्मा (पूर्व मंत्री), गुलाम हैदर मालिक , विनोद शर्मा, विनोद मिश्रा, नरिंदर शर्मा, मसूद, परविंदर सिंह, आराधना अंदोत्रा, संतोष महनास, संतोष मनजोत्रा, वरुण मंगोत्रा, रेहाना अंजुम, रसपौल भारद्वाज, तीरथ सिंह, नीरज चौधरी, सरनाम सिंह, राजदेव सिंह, अशोक भगत, अश्विनी शर्मा, बद्री शर्मा, जगतार सिंह, दलजीत सिंह, मदन लाल शर्मा, काली दास, करनैल सिंह, करण सिंह, गोविंद राम शर्मा, राम लाल भगत, केवल कृष्ण, देवेंद्र सिंह बिंदू, कुलभूषण कुमार समेत 64 लोगों ने इस्तीफा दे दिया।



आजाद ने नई पार्टी बनाने की घोषणा की थी



गुलाम नबी आजाद ने 26 अगस्त को कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। वे कांग्रेस के नाराज नेताओं के जी-23 गुट में शामिल थे। जी-23 गुट लंबे समय से कांग्रेस में लगातार बदलाव की मांग करता रहा है। आजाद ने कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद ऐलान किया कि वे बीजेपी में शामिल नहीं होंगे। उन्होंने कहा है कि वे जम्मू कश्मीर में नई पार्टी का गठन करेंगे और विधानसभा चुनाव में उतरेंगे। 



आजाद ने 26 अगस्त को कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को 5 पेज की चिट्ठी लिखी थी। इसमें उन्होंने नेहरू-गांधी परिवार, सोनिया गांधी की काबिलियत, पार्टी में खुद के काम समेत कई बातों का जिक्र किया था। सबसे सख्त बात राहुल गांधी को लेकर थी। आजाद ने लिखा था- राहुल के आसपास जो लोग रहते हैं, वे अनुभवहीन हैं। उन्होंने वरिष्ठ नेताओं को साइडलाइन कर दिया। ऐसा लगता है कि कांग्रेस में राहुल गांधी के सुरक्षाकर्मी और पर्सनल स्टाफ ही सारे फैसले ले रहे हैं। राहुल के राजनीति में आने के बाद जब उन्हें पार्टी का वाइस प्रेसिडेंट बनाया गया था, उन्होंने कांग्रेस के काम करने के तौर-तरीके और सलाह देने वाले तंत्र को ही खत्म कर दिया। 


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