DELHI: जेएनयू की वीसी धूलिपुड़ी बोलीं- भगवान शिव SC या ST, क्योंकि वे श्मशान में बैठते हैं, सभी महिलाएं शूद्र हैं

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Atul Tiwari
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DELHI: जेएनयू की वीसी धूलिपुड़ी बोलीं- भगवान शिव SC या ST, क्योंकि वे श्मशान में बैठते हैं, सभी महिलाएं शूद्र हैं

NEW DELHI. जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) एक बार फिर विवादों में है। इस बार वजह यहां की वाइस चांसलर शांतिश्री धूलिश्री हैं। शांतिश्री ने कहा है कि भगवान शिव अनुसूचित जाति (SC) या अनुसूचित जनजाति (ST) से हो सकते हैं। शांतिश्री ने महिलाओं को लेकर कहा कि कोई भी महिला ब्राह्मण होने का दावा नहीं कर सकती। सभी महिलाएं शूद्र हैं।



हिंदू देवता ऊंची जाति के नहीं- जेएनयू वीसी



धूलिपुड़ी के मुताबिक, हिंदू देवी-देवता ऊंची जाति (Upper Caste) के नहीं हैं। भगवान शिव भी SC/ST(शूद्र) हो सकते हैं। मनुष्य जाति के विज्ञान के अनुसार देवता उच्च जाति के नहीं हैं। 22 अगस्त को डॉ. बीआर अंबेडकर के विचार जेंडर जस्टिस: डिकोडिंग द यूनिफॉर्म सिविल कोड' (Dr B R Ambedkar's Thoughts on Gender Justice: Decoding the Uniform Civil Code) में लेक्चर देते हुए कुलपति धूलिपुड़ी कहा कि मनुस्मृति में महिलाओं को शूद्रों का दर्जा दिया गया है। इसलिए कोई भी महिला यह दावा नहीं कर सकती कि वह ब्राह्मण या कुछ और है। औरतों को जाति अपने पिता या पति से मिलती है।



धूलिपुड़ी ने इस आधार पर शिव को नीची जाति का करार दिया 



जेएनयू की वाइस चांसलर के मुताबिक, आप में से ज्यादातर को हमारे देवताओं की उत्पत्ति को मनुष्य जाति के विज्ञान के हिसाब से जानना चाहिए। कोई भी भगवान ब्राह्मण नहीं है, सबसे ऊंचे क्षत्रिय है। भगवान शिव अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति से होने चाहिए, क्योंकि वे श्मशान में बैठते हैं। उनके साथ सांप रहते हैं। वे बहुत कम कपड़े पहनते हैं। मुझे नहीं लगता कि ब्राह्मण श्मशान में बैठ सकते हैं।



भगवान जगन्नाथ भी आदिवासी- धूलिपुड़ी



धूलिपुड़ी बोलीं- मां लक्ष्मी, शक्ति यहां तक ​​कि भगवान जगन्नाथ भी मनुष्य जाति के विज्ञान के अनुसार उच्च जाति से नहीं आते। भगवान जगन्नाथ वास्तव में आदिवासी मूल से हैं तो हम अभी भी इस भेदभाव को क्यों जारी रखे हुए हैं। यह बहुत ही अमानवीय है। यह अपने आप में बेहद अहम है कि हम बाबासाहेब के विचारों पर चिंतन कर रहे हैं।  हमारे यहां आधुनिक भारत का कोई नेता नहीं है जो इतना महान विचारक था। 



धूलिपुड़ी के मुताबिक, हिंदू धर्म एक धर्म नहीं है, यह जीवन का एक तरीका है। अगर यह जीवन का तरीका है तो हम आलोचना से क्यों डरते हैं? गौतम बुद्ध हमारे समाज में अंतर्निहित भेदभाव पर हमें जगाने वाले पहले व्यक्ति में से एक थे।



वरुण गांधी ने धूलिपुड़ी की थी आलोचना



बीजेपी सांसद वरुण गांधी (Varun Gandhi) ने जेएनयू (JNU) की कुलपति (Vice Chancellor) के रूप में शांतिश्री धूलिपुडी पंडित (Shantisree Dhulipudi Pandit) के अपॉइंटमेंट की 8 फरवरी को कड़ी आलोचना की थी। उन्होंने कहा कि इस तरह की ‘औसत दर्जे की नियुक्तियां हमारी मानव पूंजी और युवाओं के भविष्य को नुकसान पहुंचाती हैं।’ वरुण ने पदभार संभालने के बाद पंडित द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति को ट्विटर पर साझा किया और कहा कि यह ‘निरक्षरता’ का प्रदर्शन है। वरुण गांधी ने प्रेस रिलीज में कई शब्दों की स्पेलिंग मिस्टेक की ओर ध्यान दिलाया था।



वरुण ने प्रेस रिलीज में तीन गलतियां निकाली थीं। ये शब्द थे would strive। वरुण ने इस जगह पर will strive बताया। इसी तरह students friendly की जगह student friendly होना कहा। Excellences में S ना लगाने की सलाह देते excellence होना कहा था। जेएनयू में पहली बार वाइस चांसलर के पद महिला प्रोफेसर शांतिश्री धूलिपुडी पंडित की नियुक्ति की घोषणा की गई थी।


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