जब दिल में दर्द हो और चेहरे पर मुस्कान, तो याद आती है Gulzar Sahab की ये शायरियां

गुलजार साहब का जन्म 18 अगस्त 1934 को एक सिख परिवार में हुआ था

वे एक फेमस हिंदी पोएट, लिरिसिस्ट और फिल्म प्रोडूसर हैं

उन्होंने अपने करियर में कई अवार्ड्स जीते जिनमें नेशनल फिल्म अवार्ड्स शामिल हैं

यहां उनके कुछ फेमस शायरियां हैं जो दिल को छू जाती हैं

शाम से आंख में नमी सी है, आज फिर आप की कमी सी है

कौन कहता है कि हम झूठ नहीं बोलते, एक बार खैरियत पूछ कर तो देखिए

आइना आज फिर रिश्वत लेता पकड़ा गया, दिल में दर्द था और चेहरा हंसता हुआ पकड़ा गया

कभी-कभी लगता है जैसे सब कुछ खो गया है, फिर भी एक उम्मीद बाकी है

सिर्फ एक तू ही नहीं, हर कोई दूर है मुझसे

तुझसे बिछड़कर तो ऐसा लगा, जैसे जिंदगी ने सांस लेना छोड़ दिया हो

किताबों की तरह बहुत से अल्फाज हैं मुझमें और मैं सिर्फ खामोश रहता हूं