कोंडागांव विधानसभा सीट कांग्रेस की परंपरागत सीट, 6 बार कांग्रेस, 4 बार बीजेपी और 1 बार निर्दलीय ने दर्ज की जीत

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Rahul Garhwal
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कोंडागांव विधानसभा सीट कांग्रेस की परंपरागत सीट, 6 बार कांग्रेस, 4 बार बीजेपी और 1 बार निर्दलीय ने दर्ज की जीत

KONDAGAON. कोंडागांव का पुराना नाम कोण्डानार था। ऐसा कहा जाता है कि मरार वर्ग के लोग गाड़ी से यहां से निकल रहे थे तब गाड़ी यहां कंद की लताओं में फंस गई। उन्ंहे मजबूरी में रात को वहीं विश्राम करना पड़ा। उनके प्रमुख को देवी ने स्वप्न देकर यही बसने का आदेश दिया। इसके बाद इलाके का नाम कंदनार और आगे चलकर कोंडागांव हुआ। प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर ये शहर प्रदेश की राजनीति में अहम भूमिका अदा करता है।





कोंडागांव विधानसभा सीट का सियासी मिजाज





1960 के दशक में एकीकृत मध्यप्रदेश की इस सीट को कांग्रेस की परंपरागत सीट माना जाता है लेकिन साल 2003 और 2008 में बीजेपी ने इस सीट पर अपना परचम लहराया था। उसके पहले साल 1990 में पटवा सरकार के समय भी कोंडागांव सीट पर बीजेपी जीत दर्ज कर चुकी है। अब तक हुए 11 चुनावों में इस सीट से कांग्रेस उम्मीदवार 6 बार जीते तो वहीं बीजेपी को 4 बार सफलता मिली। एक बार ये सीट निर्दलीय विधायक के खाते में भी गई है। 2013 में कांग्रेस के मोहन मरकाम यहां से चुनाव जीते। 2018 में जनता ने दोबारा मरकाम के पक्ष में जनादेश दिया। वर्तमान में मरकाम राज्य की सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हैं।





कोंडागांव विधानसभा सीट पर जातिगत समीकरण





ये इलाका प्राकृतिक रूप से तो सुंदर है ही यहां की आदिवासी सांस्कृति विरासत भी अनोखी है। कोंडागांव सीट आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित है। जल-जंगल को अपना सर्वस्व मानने वाले आदिवासी इस सीट पर बड़ी संख्या में हैं। यहां की 90 फीसदी आबादी आदिवासी है। वहीं करीब दो फीसदी अनुसूचित जाति वर्ग के मतदाता हैं। वहीं अन्य मतदाताओं की संख्या करीब-करीब 5 फीसदी है।





कोंडागांव विधानसभा के मुद्दे





कोंडागांव में शहरी इलाके के मतदाताओं को सभी सुविधाएं मिल रही हैं लेकिन ग्रामीण इलाके के हालात बदतर हैं। गांवों में सड़क-बिजली-पानी-स्वास्थ्य जैसी समस्याओं से रोजाना लोगों को दो-चार होना पड़ता है। अधिकतर गांवों में पीने का साफ पानी तक उपलब्ध नहीं है। पानी में फ्लोराइड की अधिकता के चलते कई गांवों में बच्चों के दांत पीले पड़ने लगे हैं।





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कोंडागांव के मुद्दों को लेकर जब बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं से पूछा जाता है तो वो अपनी-अपनी उपलब्धियां और दूसरे की नाकामियां गिनाने लगते हैं।





इसके अलावा द सूत्र ने इलाके के प्रबुद्धजनों, वरिष्ठ पत्रकारों और आम जनता से चर्चा की जिसमें कुछ सवाल निकलकर आए..







  • घोषणा पत्र में किए गए वादे अधूरे क्यों ?



  • अपने विधानसभा इलाके में विधायक की मौजूदगी कम क्यों ?


  • समस्या सुनते हैं, आश्वासन देते हैं, समाधान क्यों नहीं करते ?


  • इलाके में स्वास्थ्य सेवाएं लचर है इस बारे में कोई कार्य क्यों नहीं किया ?


  • शिक्षा पर काम का दावा है लेकिन भ्रष्टाचार को लेकर क्या एक्शन ?






  • कोंडागांव विधायक मोहन मरकाम ने इन सवालों के जवाब में क्या कहा..





    कोंडागांव विधायक मोहन मरकाम का कहना है कि मेरे इलाके में विकास कार्यों की कोई कमी नहीं है। 650 करोड़ से ज्यादा के विकास कार्य हुए हैं। कोंडगांव से गुजरने वाले लोग विकास देखकर तारीफ करते हैं। कोंडागांव में 17 स्कूल भवन और गर्ल्स कॉलेज बनाए गए हैं। मोहन मरकाम ने कहा कि मेरी प्राथमिकता शिक्षा, स्वास्थ्य और मूलभूत सुविधाएं हैं। छत्तीसगढ़ सरकार की नीतियों के चलते बरोजगारी घटी है।





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