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भागवत के जिस डीएनए बयान पर इमाम संगठन के प्रमुख उन्हें राष्ट्रपिता बता गए, जानें क्या है उस DNA में

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Atul Tiwari
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भागवत के जिस डीएनए बयान पर इमाम संगठन के प्रमुख उन्हें राष्ट्रपिता बता गए, जानें क्या है उस DNA में

BHOPAL. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने 22 सितंबर को ऑल इंडिया इमाम ऑर्गनाइजेशन के प्रमुख डॉ. उमर अहमद इलियासी से मुलाकात की। मुलाकात के बाद इलियासी से मीडिया ने भागवत के डीएनए वाले बयान पर पूछा तो उन्होंने कहा कि भागवत ने जो कहा, वो सही है। वो राष्ट्रपिता और राष्ट्रऋषि हैं। भागवत का डीएनए वाला बयान काफी सुर्खियों में रहा था। आइए जानते हैं कि भागवत क्या बोले थे, डीएनए क्या होता है...





भागवत ने पिछले साल दो बार डीएनए का जिक्र किया





4 जुलाई 2021: गाजियाबाद में एक पुस्तक के विमोचन समारोह में कहा कि सभी भारतीयों का DNA एक है, भले ही वे किसी भी धर्म के क्यों न हों। हिंदू-मुस्लिम एकता की बातें भी भ्रामक हैं, क्योंकि ये दोनों अलग नहीं, बल्कि एक ही हैं। लोगों के बीच पूजा पद्धति के आधार पर अंतर नहीं किया जा सकता। ये साबित हो चुका है कि हम पिछले 40 हजार साल से एक ही पूर्वजों के वंशज हैं। इसमें एकजुट होने जैसी कोई बात नहीं है, सभी लोग पहले से ही एक साथ हैं।





बयान के कुछ दिन बाद भागवत ने स्वामी रामभद्राचार्य महाराज से मुलाकात की थी। स्वामीजी ने उनके डीएनए वाले बयान से असहमति जताई थी। वहीं, दिग्विजय सिंह ने तंज कसा था कि अगर हिंदू-मुस्लिम DNA एक है तो लव जिहाद कानून क्यों बनाया गया। 

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6 सितंबर 2021: मुंबई में 'राष्ट्र प्रथम-राष्ट्र सर्वोपरि' संगोष्ठी में कहा कि भारत में रहने वाले हिंदुओं और मुस्लिमों के पूर्वज एक ही है। भारत में रहने वाले मुस्लिमों को डरने की जरूरत नहीं है। हमें मुस्लिम वर्चस्व की नहीं, बल्कि भारत के वर्चस्व की सोच रखनी होगी। अंग्रेजों ने गलत धारणा बनाकर हिंदुओं (Hindus) और मुसलमानों को लड़ाया। उन्होंने हिंदुओं से कहा कि मुसलमान चरमपंथी हैं। अंग्रेजों ने इस तरह दोनों समुदायों को लड़ा दिया। इस कारण दोनों समुदाय विश्वास की कमी के कारण एक दूसरे से दूसरी बनाए रखने की बात करते रहे हैं। 





कहां से आया हिंदू?





कुछ इतिहासकारों का कहना है कि हिंदू शब्द ईरानियों की देन है। 500 ईसा पूर्व से पहले ईरानी शासक दारयवहु या डेरियस प्रथम का राज्य भारत तक (तक्षशिला) था। ईरानी अभिलेखों में साफ मिलता है कि डेरियस को सबसे ज्यादा (360 टेलेंट) कर भारतीय प्रांत से मिलता था। माना जाता है कि ईरानियों ने सिंधु का उच्चारण हिंदू के रूप में किया और सिंधु नदी के पार के इलाके के हिंदुओं की भूमि या हिंदुओं का देश कहा। 

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ऐसे आई वर्ण व्यवस्था





सिंधु घाटी या हड़प्पा सभ्यता में हिंदू धर्म जैसी कोई बात नहीं थी। इतिहास के मुताबिक सिंधु घाटी के लोग प्रोटो-ऑस्ट्रेलॉयड, मैडिटेरेनियंस (भूमध्यसागरीय), एल्पाइन, मंगोलॉयड का मिश्रण थे। यहां खुदाई में जो बटखरे मिले, उन्हें बाद में आदिशिव कहा गया। वैदिक या ऋग्वैदिक काल में (1500-1000 ईसा पूर्व) में वर्णव्यवस्था नहीं थी। तब तीन वर्ग थे- शासक, पुरोहित और सामान्य जन। वर्ण व्यवस्था उत्तर वैदिक काल (1000-600 ईसा पूर्व) में आती है। गुप्तकाल (319 ईसवी के बाद) आते-आते वर्ण व्यवस्था काफी क्लिष्ट (कठिन) होती चली गई। 14वीं से 18वीं सदी के बीच धार्मिक संतों कबीर, एकनाथ, विद्यापति ने अपनी पद्यों में हिंदू धर्म और तुरक (मुस्लिमों) का उल्लेख किया। यूरोपीय व्यापारियों ने हिंदू धर्म मानने वालों को संयुक्त रूप से हिंदू और तुर्क, मुगल, अरब को मोहम्मडन कहा।





2011 की जनगणना के मुताबिक, मुस्लिम और ईसाई के बाद दुनिया में हिंदू तीसरा सबसे बड़ा धार्मिक समूह है। भारत की 120 करोड़ की आबादी में 96 करोड़ से ज्यादा हिंदू हैं। भारत के अलावा दुनिया के जिन 9 देशों में हिंदू आबादी है, उनमें (घटते क्रम में) नेपाल, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, पाकिस्तान, श्रीलंका, अमेरिका, मलेशिया और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 1995 में अपने एक निर्णय में कहा था कि हिंदुत्व का मतलब भारतीयकरण से है, उसे पंथ या मजहब जैसा नहीं माना जाना चाहिए।

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क्या होता है डीएनए?





डीएनए मानव शरीर की एक बहुत ही जटिल संरचना है, जो हमारे पूर्वजों से हमें विरासत में मिलती है। यह सभी जीवित कोशिकाओं में पाई जाती है यानी कि सभी जीवों में DNA मौजूद होता है। DNA अमर होता है और यह पीढ़ी दर पीढ़ी आगे ट्रांसफर होता रहता है। DNA या डिऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड (deoxyribonucleic acid) एक आनुवांशिक पदार्थ है, जो इंसानों और लगभग अन्य सभी जीवों में पाया जाता है। एक व्यक्ति की प्रत्येक कोशिका (cell) में एक तरह का ही DNA होता है। अधिकतर DNA कोशिका केंद्रक में ही स्थित रहते हैं, इसे नाभिकीय DNA कहा जाता है, लेकिन DNA की कुछ मात्रा माइटोकांड्रिया में भी पाई जाती है, जिसे mitochondrial DNA कहा जाता है। माइटोकांड्रिया कोशिकाओं में मौजूद structures होते हैं, जो भोजन से मिलने वाली ऊर्जा को उस रूप में बदलते हैं, जिसे कोशिकाओं के लिए इस्तेमाल किया जा सके।





DNA के अंदर जानकारियां एक कोड के रूप में सुरक्षित रहती हैं, जो चार chemical bases पर बना होता है- Adenine (A), Guanine (G), Cytosine (C), Thymine (T)। इंसानी DNA में लगभग 3 billion (300 करोड़) bases होते हैं और इन bases में से 99% से ज्यादा bases सभी लोगों में एक जैसे होते हैं। इन bases का order या sequence एक जीव के बनाने और रखरखाव के लिए उपलब्ध जानकारी को निर्धारित करता है। ठीक वैसे ही जैसे किसी शब्द या वाक्य को पूरा करने के लिए alphabets दिखाई देते हैं। DNA में किसी जीव के बढ़ने, जीने और प्रजनन के लिए आवश्यक निर्देश मौजूद रहते हैं। प्रत्येक DNA sequence, जिसमें प्रोटीन बनाने के लिए निर्देश मौजूद रहते हैं, इसे जीन (gene) कहा जाता है।

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DNA टेस्ट क्या है? 





DNA टेस्ट के जरिए इंसान के आनुवांशिक गुणों की पूरी जानकारी प्राप्त की जा सकती है। इस टेस्ट के जरिए बच्चे के पिता का पता लगाया जा सकता है, साथ ही आनुवांशिक बीमारियों का भी पता लगाया जा सकता है। DNA की मदद से आंखों का रंग, बालों का रंग आदि सुनिश्चित किया जा सकता है। यहां तक कि आने वाले समय में कौन सी बीमारी होगी, यह भी पता लगाया जा सकता है। DNA टेस्ट खून एवं मूत्र के सैंपल, त्वचा, बाल, गाल आदि की कोशिकाओं की मदद से किया जा सकता है।





डीएनए की खोज





DNA की खोज 1953 में जेम्स वॉटसन और फ्रांसिस क्रिक दो वैज्ञानिकों ने की थी। उन्होंने डीएनए के double helix structure की खोज की। ये एक ऐसा स्ट्रक्चर है, जो DNA को एक जेनरेशन से दूसरी जनरेशन में biological information रखने में सक्षम बनाता है। इस खोज के लिए दोनों वैज्ञानिकों को 1962 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। 



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