केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह बघेल बोले- मुट्ठी भर मुसलमान ही हैं सहिष्णु, उनमें से भी कुछ पद पाने के लिए पहने हुए हैं मुखौटा

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Harmeet
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केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह बघेल बोले- मुट्ठी भर मुसलमान ही हैं सहिष्णु, उनमें से भी कुछ पद पाने के लिए पहने हुए हैं मुखौटा

New Delhi. केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह बघेल वैसे तो बिना किसी लाइमलाइट के अपने काम में व्यस्त रहने के लिए जाने जाते थे, लेकिन उन्होंने दिल्ली में एक समारोह में यह कहकर मुसलमानों की सहिष्णुता को कठघरे में खड़ा कर दिया कि सिर्फ मुट्ठी भर मुसलमान ही सहिष्णु हैं। बघेल यहीं नहीं रुके उन्होंने आगे कहा कि यहां तक कि जो मुसलमान सहिष्णु दिखते भी हैं, वे या तो सार्वजनिक जीवन में बने रहने के लिए या फिर राज्यपाल, कुलपति या उपराष्ट्रपति जैसे पद हासिल करने के लिए इसे मुखौटे के रूप में इस्तेमाल करते हैं। लेकिन इस समुदाय के ऐसे तथाकथित बुद्धिजीवियों का असली चेहरा उनका कार्यकाल पूरा होने के बाद सामने आता है। 



नारद पत्रकार सम्मान समारोह में बोले



बता दें कि आगरा से सांसद एसपी बघेल यहां संघ की विंग विश्व संवाद केंद्र के द्वारा दिल्ली के महाराष्ट्र सदन में आयोजित देवर्षि नारद पत्रकार सम्मान समारोह को संबोधित कर रहे थे। जहां उन्होंने यह टिप्पणी कर दी। 




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    अपने संबोधन में एसपी बघेल ने कहा कि सहिष्णु मुसलमानों को उंगलियों पर गिना जा सकता है। वे बोले कि मुझे लगता है कि उनकी संख्या हजारों में भी नहीं है। उनमें से भी ज्यादातर की रणनीति सार्वजनिक जीवन में मुखौटा पहनकर जीने की है, ताकि यह मार्ग उन्हें उपराष्ट्रपति, राज्यपाल या कुलपति पद की ओर ले जाता है। लेकिन जब वे कुर्सी छोड़ते हैं, तब उनके बयान वास्तविकता को दर्शाते हैं। 



    माहुरकर के बयान का माना जा रहा जवाब



    दरअसल केंद्रीय सूचना आयुक्त उदय माहुरकर ने एक कार्यक्रम में कहा था कि भारत को इस्लामी कट्टरवाद से लड़ना चाहिए, लेकिन सहिष्णु मुसलमानों को साथ लेकर चलना चाहिए। माहुरकर ने मुगल सम्राट अकबर द्वारा हिंदू-मुस्लिम एकता को बढ़ावा देने के प्रयासों के हवाले से दावा किया था कि छत्रपति शिवाजी ने इसको सकारात्मक पहल के रूप में देखा था। 



    केंद्रीय मंत्री बघेल ने अपने उद्बोधन में कहा कि यह अकबर के दिल से नहीं निकला था, वरना चित्तौड़ का नरसंहार नहीं होता, औरंगजेब के कर्मों को देखें, कभी-कभी तो आश्चर्य होता है कि हम कैसे जीवित रहे। वे बोले कि तलवार से कहीं ज्यादा गंडे और ताबीज के जरिए धर्मांतरण हुआ। उन्होंने कहा कि मुसलमानों के एक तबके को यह लगता है कि चूंकि वे इतने लंबे समय तक शासक रहे तो अब प्रजा कैसे बन सकते हैं। सारी लड़ाई इसी बात को लेकर है। 


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