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MP: CM Rise स्कूलों में बदहाली का आलम, शाजापुर के स्कूल में छत दरक तो भोपाल के स्कूल में पीने का पानी नहीं

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Rahul Sharma
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MP: CM Rise स्कूलों में बदहाली का आलम, शाजापुर के स्कूल में छत दरक तो  भोपाल के स्कूल में पीने का पानी नहीं

Bhopal/Shajapur. मध्य प्रदेश में 17 जून से सरकारी स्कूल खुल गए हैं, इसी के साथ प्रदेश में 274 सीएम राइज स्कूल भी ओपन हो चुके हैं। प्राइवेट स्कूलों की तरह ही इन स्कूलों में सभी सुविधाएं मिलनी है, पर फिलहाल आधी अधूरी तैयारियों के साथ सीएम राइज स्कूल शुरू हो गए हैं। सत्र के पहले दिन सीएम राइज स्कूलों की हकीकत जानने द सूत्र की टीम ने राजधानी भोपाल के बर्राई हाईस्कूल और स्कूल शिक्षा मंत्री इंदरसिंह परमार के ग्रह जिले शाजापुर के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय का जायजा लिया।





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यह दोनों स्कूल अब सीएम राइज स्कूल हो चुके हैं। माना जा रहा था कि सीएम राइज होने के कारण इन स्कूलों की पूरी तस्वीर बदल गई होगी, पर हकीकत इससे उलट है। फिलहाल तो स्कूल का सीएम राईज होने का मतलब सिर्फ बिल्डिंग का रंगरोगन ही समझ आ रहा है। क्योंकि बाकि तो वही पुरानी लचर व्यवस्था ही नजर आ रही है। सीएम राईज स्कूल में बिल्डिंग का कलर भी निर्धारित है। राजधानी भोपाल के बर्राई स्कूल के स्टूडेंट प्रिंस ने बताया कि स्कूल में सिर्फ पुताई ही हुई है। बर्राई स्कूल की ही एक अन्य स्टूडेंट उन्नति ने कहा कि इस स्कूल में पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है। दो हैंडपंप लगे हैं पर अभी खराब हैं। इसलिए स्टूडेंट अपने घर से पानी की बॉटल लेकर स्कूल आ रहे हैं। वहीं शाजापुर स्कूल की छत दरक रही है।

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बर्राई स्कूल में पानी के लिए जमा करना है 20 हजार रुपए





सीएम राइज स्कूल की जो गाइडलाइन है उसके अनुसार बच्चों को आरओ ड्रिकिंग वॉटर दिया जाना है, पर भोपाल के बर्राई स्कूल में तो स्थिति ही उलट है। यहां पहले दिन प्रवेशोत्सव में आए पालक पुष्पेंद्र पाठक ने कहा कि हम भी यह मानते हैं कि धीरे-धीरे व्यवस्थाएं सुधरेगी, पर कम से कम पीने के पानी और पर्याप्त बैठक व्यवस्था तो होना चाहिए थी। वहीं हेड मास्टर महेश राज ने कहा कि इस संबंध में नगर निगम आयुक्त को पत्र लिख चुके हैं, अब तक प्रिंसिपल को पूर्णत: चार्ज नहीं मिला है, 20 हजार रूपए जमा होना है, जैसी ही चार्ज मिल जाएगा, राशि जमा कर पानी की व्यवस्था कर ली जाएगी।  







एक क्लास में 40 स्टूडेंट की अनिवार्यता, यहां पहले से 60 बच्चे

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सीएम राइज स्कूल में एक क्लास में 40 स्टूडेंट की अनिवार्यता रखी गई है, मतलब किसी भी क्लास में इससे ज्यादा बच्चे नहीं हो सकते, जबकि बर्राई स्कूल में पहले से ही हर क्लास में औसतन 60 बच्चे से अधिक है। हेड मास्टर महेश राज ने बताया कि 2018 में यह स्कूल उन्नत होकर हाईस्कूल हुआ, नई बिल्डिंग स्वीकृत हुई, पैसा भी जारी हुआ, पर उसके बाद इस राशि का क्या हुआ कुछ पता नहीं चला। आज भी मिडिल स्कूल के 7 कमरों में ही पहली से 10वी तक के बच्चों को बैठाना पड़ता है, जिससे काफी दिक्कत होती है। यही कारण है कि इस स्कूल को दो शिफ्टों में संचालित करने की अनुमति मांगी गई है।







ग्राउंड में झाड़ियां, पत्थर के कारण बच्चों को लग जाती है चोट





सीएम राइज स्कूलों के ग्राउंड को प्राथमिकता के आधार पर समतलीकरण कराना था। ताकि बच्चे यहां खेल सके, पर बर्राई स्कूल के ग्राउंड में जगह—जगह झाड़ियां लगी है। बच्चों ने बताया कि पूरे मैदान में जगह—जगह पत्थर निकले हुए हैं, जिसके कारण खेलते समय कई बार चोट भी लग जाती है। स्कूल में पेडल सैनिटाइजर, न्यूज पेपर स्टेंड, डिस्प्ले बोर्ड की भी व्यवस्था नहीं थी।

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प्रशिक्षित शिक्षकों ने नहीं दी ज्वाइनिंग





बर्राई स्कूल में अब तक करीब आधा दर्जन से अधिक प्रशिक्षित शिक्षकों ने ज्वाइनिंग नहीं दी है। जिसके कारण पुराने शिक्षक यहां से रिलीव नहीं हो पा रहे हैं। खेल प्रशिक्षक की भी नियुक्ति अब तक नहीं हो पाई है। प्रिंसिपल की नियुक्ति हो गई है, पर वह भी अभी ट्रेनिंग पर है। वाइस प्रिंसिपल के हाथों में फिलहाल स्कूल की बागडोर है। सत्र के पहले दिन बच्चों को टीका लगाकर स्कूल में स्वागत किया गया।







शाजापुर स्कूल में बारिश में छत से टपकेगा पानी

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द सूत्र संवाददाता सय्यद आफताब अली ने शाजापुर सीएम राइज स्कूल का जायजा लिया। स्कूल के अंदर टूटी पुरानी बेंच ही रखी हुई मिली। स्कूल की क्लासों की छत गिर रही है। वहीं दूसरी ओर कुछ बिल्डिंग में छत पर टीन/सीमेंट की चद्दर लगी हुई है, जो जगह—जगह से टूट रही है। ऐसे में बारिश में बच्चों को बड़ी समस्या का सामना करना पड़ेगा। स्टूडेंट संजय ने बताया कि स्कूल के पंखे बंद पड़े हैं। बारिश में छत से पानी गिरता है, जिसके कारण दूसरी क्लास में बैठने के लिए जाना पड़ता है। जिला शिक्षा अधिकारी अभिलेश कुमार चतुर्वेदी का कहना है कि स्कूल की बिल्डिंग के लिए जमीन स्वीकृत हो गई है, यह ढाई साल में बनकर तैयार हो जाएगी। तब तक इसी स्कूल में सीएम राइज स्कूल संचालित होगा।





सीएम राइज में एडमीशन पहले से ही फुल





सीएम राइज स्कूलों में न्यूनतम कक्षाओं को छोड़कर अन्य कक्षा में प्रवेश मिलना आसान नहीं है। पहले से ही कक्षाओं में एडमीशन फुल हैं। दरअसल सभी कक्षाओं में स्टूडेंट पहले से ही प्रमोट होकर अगली कक्षा में आ गए हैं। इसके अलावा इन स्कूलों के लिए अभी नए भवन के निर्माण होना है। जिसके चलते पुरानी बिल्डिंग भी टूटना है, ऐसे में इन स्कूलों की कक्षाओं में वर्तमान सीट संख्या में कमी आ गई है। ऐसे में कई स्कूलों में पहली से 12वीं तक की कक्षा होने पर भी बहुत कम स्कूलों में एक या दो कक्षाओं के लिए ही प्रवेश खुले हैं। इनमें भी सीट की संख्या 2 से 5 से ज्यादा नहीं है।

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160 स्कूल  बिल्डिंग की डिजाइन फाइनल





274 स्कूलों में से जिन स्कूलों के कैंपस में नई बिल्डिंग बनाने की जगह हैं ऐसे 160 स्कूल  बिल्डिंग की डिजाइन तैयार कर ली गई है। ​जल्द ही इन स्कूलों की बिल्डिंग बनाने का काम शुरू हो जाएगा। शेष बचे 114 स्कूलों में से अधिकांश के लिए जगह की तलाश कर ली गई है, पर इन स्कूलों की बिल्डिंग निर्माण शुरू होने में अभी थोड़ा वक्त लगेगा। नई बिल्डिंग बन जाने के बाद ओडिटोरियम, जिम, अत्याधुनिक लैब, स्विमिंग पुल जैसी व्यवस्थाएं मिलने लगेगी।  







बसों के लिए जिला स्तर पर होंगे टेंडर

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सीएम राइज स्कूलों में पढ़ने वाले स्टूडेंट के लिए फ्री बस सेवा भी दी जाना है, पर लोक शिक्षण संचालनालय की कड़ी शर्तों के कारण किसी भी एजेंसी ने टेंडर में हिस्सा ही नहीं लिया। अपर संचालक डीएस कुशवाह ने बताया कि अब जिला स्तर पर ही बसों के लिए टेंडर जारी किए जाएंगे। जिसके बाद जल्द ही बस सुविधा शुरू हो जाएगी। यूनिफार्म के लिए भी टेंडर हो चुके हैं, जुलाई के अंतिम सप्ताह तक बच्चों को यूनिफार्म मिल जाएगी। बुक स्कूलों में पहुंचा दी गई है। बिल्डिंग की क्षमता के अनुसार व्यवस्थाएं की जा रही है।      







सूबे के अधिकांश स्कूलों के यही हाल





सरकार ने पहले से संचालित सरकारी स्कूलों को ही सीएम राइज स्कूल के लिए चयनित किया है। यानी सभी स्कूल पुरानी बिल्डिंग में ही संचालित हो रहे हैं। ऐसे में हाल ही में प्रदेश के चयनित सीएम राइज स्कूलों के लिए 34 करोड़ रुपये का बजट जारी किया गया था। यह राशि इन स्कूलों में साज-सज्जा में खर्च की गई, ताकि नए सत्र की शुरुआत की जा सके। इस बजट में स्कूलों में रंगाई-पुताई से लेकर शौचालयों की साफ-सफाई पर ध्यान दिया गया। अधिकतर स्कूलों में शेष व्यवस्थाएं जस की तस ही है।



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