स्कूलों पर कार्रवाई करने बंद पड़े पोर्टल पर फीस अपलोड होने का इंतजार

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Rahul Sharma
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स्कूलों पर कार्रवाई करने बंद पड़े पोर्टल पर फीस अपलोड होने का इंतजार

Bhopal.







मध्यप्रदेश के एजुकेशन डिपार्टमेंट ने फीस के नाम पर पेरेंट्स को लूटने वाले प्राइवेट स्कूलों को बचाने नया फार्मूला निकाल लिया है। जिस पोर्टल पर प्राइवेट स्कूलों को अपनी फीस अपलोड करना था, वह पोर्टल ही 3 महीने से बंद पड़ा है। इधर अधिकारियों का कहना है कि जब प्राइवेट स्कूल पोर्टल पर फीस अपलोड कर देंगे, तब अनाधिकृत रूप से फीस बढ़ाने वाले स्कूलों पर कार्रवाई की जाएगी। अब बंद पड़े पोर्टल पर कैसे फीस अपलोड हो रही है यह तो शिक्षा विभाग ही जाने। बहरहाल जिम्मेदारों के इस रवैये से प्राइवेट स्कूलों को पेरेंट्स को लूटने का मौका तो मिल ही गया है। जबकि मध्यप्रदेश निजी विद्यालय फीस विनियम अधिनियम 2017 की धारा 9 की उपधारा 2 में यह स्पष्ट लिखा है कि यदि नियमों का कहीं उल्लंघन हो रहा है तो जिला समिति जिसमें कलेक्टर और डीईओ रहते हैं..स्वयं संज्ञान लेकर जांच कर सकेगी, पर अधिकारी ऐसा कर नहीं रहे हैं। वह तो बंद पड़े पोर्टल पर फीस अपलोड होने का इंतजार कर रहे हैं।





बिना परमीशन 10 फीसदी से अधिक नहीं बढ़ा सकते फीस  







मध्यप्रदेश निजी विद्यालय फीस विनियम अधिनियम 2017 मध्यप्रदेश में 2020 से लागू है। जिसके अनुसार प्राइवेट स्कूल हर साल सिर्फ 10 फीसदी ही फीस बढ़ाने के लिए स्वतंत्र है। इससे अधिक फीस वृद्धि के लिए इसी एक्ट के तहत गठित जिला कमेटियों को आवेदन करना होगा। कमेटी 3 साल की आडिट रिपोर्ट और अन्य दस्तावेजों के आधार पर ही फीस बढ़ाने की अनुमति देगी।





पोर्टल पर सभी स्कूलों ने दर्ज ही नहीं किया था फीस का ब्यौरा







फीस वृद्धि के मामले में पालक महासंघ ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। अगस्त 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि सभी प्राइवेट स्कूल अपनी फीस का ब्यौरा पोर्टल पर 2 सप्ताह में दर्ज करेंगे, लेकिन मध्यप्रदेश सरकार ने इसके लिए 6 सप्ताह का समय मांगा जो कोर्ट ने दे भी दिया। अक्टूबर 2021 में यह समय खत्म हो गया, लेकिन पोर्टल के बंद होने तक जनवरी 2022 में केवल 58.5 फीसदी प्राइवेट स्कूल ही पोर्टल पर अपनी फीस अपलोड कर सके थे।





पोर्टल पर खुल ही नहीं रही लिंक







मध्यप्रदेश एजुकेश पोर्टल को जब आप ओपन करते हैं तो डेशबोर्ड पर आपको कई आप्शनस दिखाई देंगे। जब आप इसमें मध्यप्रदेश निजी विद्यालय विनियमन क्रियान्वयन प्रणाली पर क्लिक करेंगे तो यह लिंक ओपन ही नहीं होगा। लिंक पर क्लिक करने के बाद एक नया विंडो ओपन होगा जिसमें 404 - File or directory not found. लिखा आता है। यह वही लिंक है जिस पर जनवरी 2022 तक प्राइवेट स्कूलों की फीस का ब्यौरा दिख रहा था।  





आरोप यह भी— स्कूलों को बचाने पोर्टल ही करा दिया बंद







पालक महासंघ के महासचिव प्रबोध पांडे का सीधा आरोप है कि सरकार का प्राइवेट स्कूलों को खुला संरक्षण है। जिन स्कूलों ने अपनी तीन साल की पोर्टल पर फीस अपलोड की, उससे पेरेंट्स को यह पता चलने लगा कि इन्होंने एक साल में कितनी फीस बढ़ाई। जिसके आधार पर शिकायतें होने लगी। बढ़ती शिकायतों को देख और प्राइवेट स्कूलों को इससे बचाने के लिए पोर्टल ही बंद कर दिया गया। अब जब पोर्टल ही नहीं खुलेगा तो कोई भी पेरेंट्स कैसे स्कूल की फीस देख सकेगा। हालांकि प्रबोध पांडेय का यह भी कहना है कि बीते तीन साल की फीस का ब्यौरा हर स्कूल को अपनी खुद की वेबसाइट पर भी अपलोड करना था, जो किया ही नहीं गया।





एडमीशन का टाइम निकलने के बाद कार्रवाई करने का क्या मतलब







पालक महासंघ के महासचिव प्रबोध पांडे अधिकारियों की मंशा पर भी सवाल उठाते है। प्रबोध पांडे कहते हैं कि पोर्टल पर फीस अपलोड करने का मकसद यह भी था कि पेरेंट्स आने वाले सत्र की फीस देख लें और यह उनके बजट के हिसाब से पॉकेट फ्रेंडली न हो तो अपने बच्चे को उस स्कूल से निकालकर दूसरे अन्य किसी स्कूल में दाखिला दिलवा दें। यह काम जनवरी में हो जाना था तब पेरेंट्स को इसका लाभ मिलता। अब एडमीशन का टाइम निकल जाने के बाद आप पोर्टल पर फीस अपलोड करवा भी दोगे या कार्रवाई एक—दो स्कूलों पर कर भी दोगे तो इससे पेरेंट्स को क्या लाभ मिलेगा।





कोरोनाकाल में 65 प्रतिशत तक बढ़ा दी गई फीस







प्राइवेट स्कूलों ने कोरोना काल में पेरेंट्स से फीस वसूलने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।   अयोध्या बायपास के बोनी फाई स्कूल की 2019—20 में 12वीं कामर्स की ट्यूशन फीस 27990 रूपए सालाना थी, जिसे 2020—21 में 60 फीसदी बढ़ाकर 44865 रूपए कर दिया गया। इसी तरह साकेत नगर के सागर पब्लिक स्कूल की 2019—20 में सालाना ट्यूशन फीस 41160 रूपए थी जिसे 2020—21 में 39 फीसदी बढ़ाकर 57360 और 2021—22 में 20 फीसदी बढ़ाकर 68880 कर दिया गया। सिल्वर बेल कॉन्वेंट स्कूल की 2020—21 में सालाना ट्यूशन फीस 16000 रूपए थी जिसे 2021—22 में 68 फीसदी बढ़ाकर 27 हजार कर दिया गया। जवाहरलाल नेहरू भेल स्कूल की 12वी कॉमर्स की सालाना ट्यूशन फीस 2019—20 में 21660 रूपए थी जिसे 2020—21 में 16 प्रतिशत बढ़ाकर 25090 कर दिया गया।





क्या कहता है अधिनियम...







मध्यप्रदेश निजी विद्यालय फीस विनियम अधिनियम 2017 की धारा 9 की उपधारा 1 और 7 के अनुसार यदि कोई पेरेंट्स फीस वृद्धी संबंधी शिकायत करता है और वह शिकायत सही पाई जाती है तो स्कूल को बढ़ी हुई फीस स्टूडेंट को वापस करना होगी। जिला समिति उस स्कूल पर 2 से 6 लाख तक का जुर्माना भी लगा सकती है।





बीते सत्र में ही बढ़ा दी थी अनाधिकृत रूप से फीस







कलेक्टर अविनाश लवानिया का कहना है कि स्कूलों ने अगले साल की फीस अपलोड नहीं की है। उन्होंने डीईओ को स्कूलों से फीस अपलोड कराने का कहा है। फीस अपलोड होने के बाद यदि किसी ने अनाधिकृत रूप से फीस बढ़ाई है तो उस पर कार्रवाई की जाएगी। पर पालक महासंघ द्वारा किया गया सर्वे जो पोर्टल पर दर्ज फीस के आधार पर ही किया गया था उसके अनुसार बीते सत्र में ही स्कूलों ने बेतहाशा फीस वृद्धि की गई थी तो फिर अधिकारियों को कार्रवाई करने के लिए किस बात का इंतजार है।





पालक महासंघ ने राजधानी के 47 स्कूलों का किया था सर्वे







पालक महासंघ ने हाल ही में राजधानी भोपाल के 47 स्कूलों में फीस वृद्धी और कोविडकाल में अतिरिक्त फीस वसूली को लेकर सर्वे किया था, जिसे द सूत्र ने 12 अप्रैल के सूत्रधार में प्रमुखता से चलाया था। पालक महासंघ द्वारा फीस को लेकर किए सर्वे में खुलासा हुआ था कि कोविडकाल में निजी स्कूलों ने आपदा को अवसर में बदलने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। इसमें सबसे पहले पायदान पर सागर पब्लिक स्कूल है। वहीं भेल के जवाहरलाल नेहरू स्कूल पांचवे पायदान पर है। जबकि हाईकोर्ट जबलपुर के आदेश थे कि जब तक कोरोना काल खत्म नहीं हो जाता तब तक स्कूल ट्यूशन फीस के अलावा कोई फीस नहीं वसूल सकते। बावजूद इसके कोविड काल में निजी स्कूलों ने जमकर फीस वसूली की। जो कि हाईकोर्ट की अवमानना है। पालक महासंघ ने सर्वे की एक कॉपी कार्रवाई के लिए जिला फीस कमेटी के अध्यक्ष यानी कलेक्टर और सचिव यानी जिला शिक्षा अधिकारी को भी दी, पर वे अब इस तरह की किसी भी जानकारी से साफ इंकार कर रहे हैं।



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