आंसर शीट की कमी पर जेयू विवि में सिर फुटौब्बल, अफसरों में तनातनी

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Dev Shrimali
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आंसर शीट की कमी पर जेयू विवि में सिर फुटौब्बल, अफसरों में तनातनी

Gwalior. आंसर शीट खरीदने को लेकर जीवाजी विवि (jiwaji university) द्वारा बरती गई लापरवाही का मामला "द सूत्र"ने विगत दिनों उठाया था कि परीक्षाएं शुरू हो गईं लेकिन विवि प्रशासन (jiwaji university Administration) आंसर शीट(answer sheet) खरीदना ही भूल गया। मामला उजागर होने के बाद अब विवि में इस गंभीर लापरवाही जिम्मेदारी को लेकर जमकर सिर फुटौब्बल हो रहा है । इस मामले में रजिस्ट्रार ने परीक्षा नियंत्रक को नोटिस जारी किया तो नियंत्रक ने इसका ठीकरा उन पर ही फोड़ दिया।



द सूत्र ने इस मामले को प्रमुखता से उठाया था । हालांकि तब तो विवि प्रबंधन ने यह कहकर मामले को टालने की कोशिश की थी कि उनके पास परीक्षा करवाने लायक पर्याप्त स्टॉक है और हम नए टेंडर भी जारी कर रहे हैं, लेकिन मामला मीडिया में आ जाने से इसमें गुपचुप लीपापोती सम्भव नहीं हुई तो रजिस्ट्रार डॉ  सुशील मंडेरिया ने परीक्षा नियंत्रक डॉ अनिल कुमार शर्मा को कारण बताओ नोटिस जारी किया।  



बस इस नोटिस के बाद ही विवि में घमासान मचा गया। हालांकि कोई भी कैमरे के सामने मुंह खोलने को तैयार नहीं हैं लेकिन बताते है कि नोटिस पाकर एग्जाम कंट्रोलर (exam controller) भड़क गए । उन्होंने आक्रोश भरा जबाव भेजा है। उन्होंने लिखा- मुझे जो कारण बताओ नोटिस जारी हुआ है मैं उससे असहमति व्यक्त करता हूं। भविष्य में जो व्यक्ति जिस काम के लिए जिम्मेदार हैं उसे ही सूचना पत्र भेजा जाए। कॉपियों की खरीद का काम स्टोर शाखा का है । उसे यह तय समय में पूरा करना चाहिए था।



उन्होंने तल्ख शब्दों में लिखे जबाव में ये भी लिखा है कि- एग्जाम के लिए कॉपियों की व्यवस्था करने का जिम्मा स्टोर शाखा का है कभी भी है परीक्षा और गोपनीय शाखा का कोई मांगपत्र जारी नहीं किया जाता। 





छह माह पहले ही खत्म हुआ टेंडर







उन्होंने जबाव में रजिस्ट्रार पर ही परोक्ष रूप से सवाल उठाते हुए लिखा है कि उन्हें ज्ञात हुआ है कि आंसर शीट का टेंडर छह माह पहले ही समाप्त हो चुका था। वर्तमान में उत्तर पुस्तिकाएं उपलब्ध कराने वाली संस्था का कार्यकाल भी खत्म हो चुका है । सामान्य प्रशासनिक व्यवस्था में टेंडर समाप्त होने के पहले टेंडर प्रक्रिया पूरी कर लेनी चाहिए थी, जो स्टोर शाखा द्वारा नहीं की गईं। उनकी नियुक्ति अक्टूबर- नवंबर 2022 को हुई जबकि यह प्रक्रिया अक्टूबर 2021 में ही सम्पन्न हो जानी चाहिए थी।



ये था पूरा मामला



 परीक्षा का मौसम चल रहा हो और विश्वविद्यालय को पता चले कि अरे! हम तो उत्तर पुस्तिकाओं को खरीदना ही भूल गए। जाहिर है यह पता चलने पर अधिकारियों के हाथपांव फूल जाएंगे । जीवाजी विश्वविद्यालय अधिकारियों का हाल-हवाल इस समय यही हुआ। वे समय पर कॉपी का ऑर्डर देना ही भूल गए सो चिंता सता रही है कि कही बीच परीक्षा कॉपियों का टोटा न पड़ जाए



     



पता चला तो मचा हड़कंप







जब इस बात की जानकारी परीक्षा विभाग ने ऊपर तक पहुंचाई लेकिन पहले तो किसी ने ध्यान नहीं दिया लेकिन जब परीक्षार्थियों की संख्या और उत्तर पुस्तिकाओं की संख्या का तुलनात्मक सत्यापन हुआ तो पता चला कि पर्याप्त कॉपियां तो हैं ही नहीं। बीच परीक्षा कॉपियों का संकट खड़ा होने से हड़कंप मचा। जिम्मेदारी एक-दूसरे के सिर डालने में जुटे।इस मामले को "द सूत्र"ने प्रमुखता से उठाया





कमी छुपाने निकाले टेंडर







ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन की परीक्षाओं के बीच मे लटकने की आशंका से भयभीत विवि अफसर सक्रिय हुए और अपनी खामियां छुपाने की जुगत में लगे और आनन-फानन में ही उत्तर पुस्तिकाएं खरीदने के लिए टेंडर का नोटिस निकाला गया। साथ ही उत्तर पुस्तिकाओं की संख्या की जानकारी समय पर जानकारी न देने वालों को नोटिस दिए गए हैं। यानी सारा दोष बाबुओं पर थोपने की कोशिश शुरू हो गई है।





दिसंबर में होनी थी खरीद







आमतौर पर विवि में परीक्षा की तैयारियां दिसंबर से ही शुरू हो जाती हैं ताकि मार्च-अप्रैल में निर्विघ्न परीक्षाएं सम्पन्न हो सकें।इस  दौरान कुछ पीजी कोर्स की परीक्षाएं  भी होती हैं. इससे पहले कॉपी खरीदी पेपर तैयार करवाने की प्रक्रिया पूरी कर ली जाती है, लेकिन इस बार दिसंबर और जनवरी में कॉपी खरीदी नहीं हो सकी. परीक्षा विभाग के  जुड़े अधिकारी और कर्मचारियों ने इस पर ध्यान नहीं दिया. हालांकि रजिस्ट्रार कह रहे है कि उनके पास अभी के लिए उत्तरपुस्तिकाओं का पर्याप्त स्टॉक है और खरीदी के टेंडर भी जारी हो गए है लेकिन सूत्र बताते हैं कि  स्टोर में ढाई लाख कॉपियां हैं, लेकिन परीक्षा में विद्यार्थी इससे दुगनी संख्या में बैठने वाले हैं. ऐसे में सवाल यह है कि जीवाजी विश्वविद्यालय इतनी जल्दी इन कॉपियों की पूर्ति कैसे करेगा ?









चार करोड़ की कॉपी खरीदते हैं





सामान्य तौर पर जीवाजी विश्वविद्यालय में दिसंबर की महीने में कॉपी की खरीदी शुरू कर दी जाती है, जिससे अप्रैल और मई के महीने में होने वाली परीक्षा में कोई परेशानी न आये. इस बार उत्तर पुस्तिका के रिकॉर्ड की जानकारी देने वाले की लापरवाही से विवि में परेशानी का माहौल बन गया है. ऐसे में आनन फानन में जीवाजी विश्वविद्यालय ने उत्तर पुस्तिका की खरीदी के लिए टेंडर जारी कर दिये हैं. चार करोड़ रुपये की कॉपियां खरीदी जानी हैं. इसके टेंडर में एक महीने लगेगा. इसी बीच अगर कॉपियां खत्म हो गईं, तो परीक्षा पर संकट आ सकता है. विश्वविद्यालय की रजिस्ट्रार सुशील मंडेरिया का कहना है कि परीक्षा की कॉपी की सूचना देने की संबंध में देरी की गई है. संबंधित अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है.





500 से अधिक कॉलेजों में हो रही है परीक्षा







ग्वालियर के जीवाजी विश्वविद्यालय के क्षेत्रान्तर्गत  500 से अधिक कॉलेजों में ग्रेजुएशन(Graduation) और पोस्ट ग्रेजुएशन (post graduation) की परीक्षाएं चल रही हैं जो कॉपियों की कमी के चलते प्रभावित हो हो सकती है।



 परीक्षाओं के बीच में ही जीवाजी विश्वविद्यालय के प्रबंधन को जानकारी लगी कि उनके पास कॉपियों का स्टॉक नहीं है. इस सूचना के बाद विश्वविद्यालय में हड़कंप मच गया. उसके बाद आनन-फानन में विश्वविद्यालय प्रबंधन कॉपी खरीदने के लिए टेंडर जारी कर दिया. जीवाजी विश्वविद्यालय की । रजिस्ट्रार सुशील मंडेरिया का कहना है कि कोरोना के चलते टेंडर प्रक्रिया नहीं हो पाई है. इसका असर परीक्षा पर नहीं आने दिया जाए. मामले में लापरवाही जिसकी भी रही है, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी और अब कार्यवाही के लिए जिम्मेदारी तय करने का समय आया तो सब एक दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।



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