लांजी सीट पर कांग्रेस के एकाधिकार पर लगा ब्रेक, बीजेपी और निर्दलीय को भी मिला है मौका, जीजीपी और बसपा की हार जीत में अहम भूमिका

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Vivek Sharma
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लांजी सीट पर कांग्रेस के एकाधिकार पर लगा ब्रेक, बीजेपी और निर्दलीय को भी मिला है मौका, जीजीपी और बसपा की हार जीत में अहम भूमिका

LANJI. बालाघाट जिले की लांजी विधानसभा सीट प्रदेश की सीमावर्ती सीट है। यहां से महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के बॉर्डर लगे हुए हैं। लांजी प्रदेश की सबसे संवेदनशील सीटों में से एक है। ये इलाका नक्सल प्रभावित है। कोटेश्वर धाम और लांजी का किला इस क्षेत्र की पहचान है। दोनों ही ऐतिहासिक स्थान हैं। लांजी के किले के अंतिम शासक गोंड राजा थे। लांजी विधानसभा सीट में दो ब्लॉक हैं- लांजी और किरनापुर 





सियासी मिजाज 





लांजी विधानसभा सीट पर कांग्रेस का लंबा एकाधिकार रहा लेकिन पिछले तीस सालों में यहां का राजनैतिक दृश्य बदला है यहां जनता ने कभी कांग्रेस के उम्मीदवार को चुना तो कभी बीजेपी प्रत्याशी को कभी निर्दलीय पर भी भरोसा जताया है। यहां कांग्रेस और बीजेपी के अलावा जीजीपी प्रत्याशी भी मैदान संभालते हैं। जीजीपी उम्मीदवार दोनों ही दलों की जीत-हार में अहम भूमिका निभाते हैं। अब तक इस सीट पर हुए 14 चुनावों में 6 बार कांग्रेस तीन बार निर्दलीय दो बार बीजेपी का परचम लहराया..तो वहीं एक बार प्रजातांत्रिक सोशलिस्ट पार्टी एक बार छत्तीसगढ़ी समाज पार्टी एक बार जनता पार्टी के उम्मीदवार भी जीता।





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सियासी समीकरण 





 लांजी में जातिगत समीकरण, चेहरा और मुद्दे इन तीनों ही चीजों पर सियासी समीकरण बनते और बिगड़ते हैं। यहां से वर्तमान में कांग्रेस की हिना कांवरे विधायक हैं। 2018 में हिना कांवरे विधानसभा की उपाध्यक्ष भी रही हैं। यहां दोनों ही दलों के बीच मुकाबला काफी करीबी रहता है। ऐसे में जीजीपी की भी बड़ी अहम भूमिका होती है जीजीपी यहां से चुनाव लड़कर जीत भले न पाए लेकिन हराने में अहम भूमिका निभाती है। साल 2018 में जीजीपी को करीब 5 हजार वोट मिले थे तो वहीं बसपा को भी 5 हजार 500 से ज्यादा मत मिले थे।





जातिगत समीकरण 





इस इलाके में जातिगत समीकरण अहम हैं। यहां के चुनावी समर में जातिगत समीकरण को साधने के लिए राजनीतिक दलों को अच्छी खासी मशक्कत करना पड़ती है। लांजी सीट पर आदिवासी समाज के 30 फीसदी वोट हैं तो वहीं मरार जाति के 30 फीसदी वोट हैं और लोधी समाज के भी करीब 20 फीसदी वोट हैं। यहां से विधायक हिना कांवरे मरार वर्ग से आती हैं। 





मुद्दे 





 लांजी विधानसभा में सबसे बड़ा मुद्दा डबल मनी है। यहां पैसा दोगुना करने के नाम पर शुरु हुए इस अवैध कारोबार में 2 हजार करोड़ रुपए का घोटाला हुआ है। लांजी के रहवासियों के साथ-साथ महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के भी लोगों का पैसा लगा हुआ था। फर्जीवाड़ा उजागर हुआ तो धंधा बंद हो गया और लांजी के रहवासियों की गाढ़ी कमाई डूब गई। लिहाजा हर आदमी यहां परेशान है। लांजी सीट पर रोजगार भी बड़ा मुद्दा है। नौकरी की तलाश में यहां के 40 से 60 फीसदी तक लोग पलायन करते हैं। डबल मनी के मामले में कांग्रेस का आरोप है कि आरोपियों के बीजेपी जिलाध्यक्ष रमेश भटेरे से संबंध हैं लिहाजा भटेरे की राह भी आसान नहीं है।





इन सब मुद्दों पर जब हमने राजनीतिक दलों के नुमाइंदों से बात की तो वो एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते नजर आए





लांजी की जनता का मूड जानने के लिए क्लिक करें.. लांजी विधानसभा सीट पर क्या है जनता का मिजाज, आज चुनाव हुए तो कौन जीतेगा ?





इसके अलावा द सूत्र ने इलाके के प्रबुद्धजनों, वरिष्ठ पत्रकारों और आम जनता से बात की तो कुछ सवाल निकलकर आए।







  1.  युवाओं को रोजगार मिल सके, इसके लिए उद्योगों की स्थापना क्यों नहीं हो सकी ?



  • इलाके में स्वास्थ्य सेवाओं की हालत खराब है, इसे सुधारने क्या प्रयास किए ?


  • दूरस्थ इलाकों में आज तक बिजली नहीं पहुंची, उनके लिए क्या प्रयास किए ?


  • इलाके में रेलवे को लेकर कई काम अधूरे हैं उनके लिए क्या किया ?


  • किसानों को सिंचाई के लिए पानी मिल सके, इसके लिए क्या प्रयास किए ?


  • विधायक ने जनता के इन सवालों का कोई जवाब नहीं दिया






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