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CG में किसकी सरकार? सुधीर पांडेय विश्लेषण उत्तर-मध्य छत्तीसगढ़ में कांग्रेस-बीजेपी की सीधी भिड़ंत तय, बसपा और जोगी कांग्रेस के मतदाता तलाशने लगे ठिकाना
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5/15/23, 12:00 PM (अपडेटेड 5/15/23, 5:40 PM)

RAIPUR. कर्नाटक चुनाव के बाद छत्तीसगढ़ में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए मुद्दे बदलने की तैयारियों के संकेत मिलने लगे हैं। बेमेतरा कांड के बाद बीजेपी छत्तीसगढ़ में अपना रुख बदलेगी या उसे आक्रामक रखेगी और इसका असर कितना फायदेमंद होगा, इस पर अब सवालिया निशान लग गए हैं। वहीं कांग्रेस अपने एक मात्र कैंपेनर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के भेंट मुलाकात और एक-एक कर सौगातों की बरसात कर बगैर संगठन के भरोसे अ​भियान तेज कर चुके हैं।


कर्नाटक में कांग्रेस को मिली संजीवनी


कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली संजीवनी का असर अब छत्तीसगढ़ के उत्तर और मध्य इलाके में भी देखने को मिल रहा है। सरगुजा, रायपुर और बिलासपुर संभाग की 40 से ज्यादा सीटों पर आक्रामक हो रही बीजेपी के साथ-साथ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के दोबारा गति पकड़े भेंट मुलाकात अ​भियान के बीच जोगी कांग्रेस और बसपा के अ​भियान के सीमित सीटों पर सिमटने से मुकाबला सीधे रोचक हो चला है। उत्तर छत्तीसगढ़ के सरगुजा संभाग में कैबिनेट मंत्री टीएस सिंहदेव के असंतोष की धार धीमे-धीमे मद्धम हो ठंडी पड़ती जा रही है।


सभी सीटों पर सामान्य दावेदार की तलाश पूरी नहीं


प्रियंका गांधी के बस्तर दौरे और सोनिया गांधी से टीएस सिंहदेव के भेंट के बाद प्रदेश कांग्रेस पर पूरी तरह प्रभावी मुख्यमंत्री ने सरगुजा संभाग में अपनी आमद-रफ्त तेज कर दी है। सरगुजा संभाग के संगठन पर भले ही टीएस सिंहदेव समर्थकों का कब्जा है, मगर 14 में से 12 से ज्यादा विधायक सीधे तौर पर मुख्यमंत्री से जुड़ चुके हैं और उनके इलाके में सौगात बढ़ गई है। वहीं बीजेपी को इन 14 सीटों में संगठन के लगातार गतिवि​धियों से बूथ स्तर पर तैयारी शुरू होग गई हैं, मगर सभी सीटों पर सर्वमान्य दावेदार की तलाश अभी तक पूरी नहीं हो पाई है। संगठन के राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर के पदा​धिकारी लगातार फोकस किए हुए हैं, मगर कांग्रेस के प्रति असंतोष को भुनाने में अभी भी पूरी तरह सफल नहीं हो पा रहे हैं।


कांग्रेस और बीजेपी दोनों के लिए चुनौती


सरगुजा से लगे बिलासपुर संभाग के रायगढ़ जिले में भी कमोबेश यही हालत है। बिलासपुर संभाग के मध्य क्षेत्र के अविभाजित बिलासपुर और रायपुर जिले में कांग्रेस का कलह अभी भी हावी है। बीजेपी यहां कांग्रेस के मुकाबले अपने असंतोष को समेट जनता के मुद्दों को उठाने में लगी है तो बिलासपुर जिले में मुख्यमंत्री के हर प्रवास के बाद उनके समर्थक और उनसे दूर किए गए कांग्रेसियों के बीच संघर्ष और बढ़ता जा रहा है। बिलासपुर जिले में जोगी कांग्रेस तो जांजगीर जिले में बसपा अपना प्रभाव बढ़ाने में सफल नहीं हो पाई है। दोनों का गठबंधन टूटने के बाद नेतृत्व और संगठन का सिमटना अब उनके कैडर वोटों के लिए चिंता का विषय बनी हुई है। 5 महीने शेष रह गए विधानसभा चुनाव के लिए 3 महीने बारिश के सीजन के बाद अगस्त महीने के अंतिम दौर में खंदक की लड़ाई शुरू हो जाएंगी। मई-जून का महीना खेती की तैयारी और शादी-ब्याह में निपट जाएगा। ऐसे में अब मतदाताओं के बीच सतत संपर्क बनाए रखना कांग्रेस-बीजेपी दोनों के​ लिए चुनौती रहेगी।


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