पढ़ें कैफी आज़मी के शानदार शेर, जो आज भी हैं फैंस की पहली पसंद
आज भारत के लोकप्रिय शायर और फिल्म गीतकार कैफ़ी आज़मी की 106वीं जयंती है
कैफ़ी आज़मी को बचपन से ही लिखने-पढ़ने का शौक था
उन्होंने 11 साल की उम्र में अपनी पहली कविता लिखी थी
कैफ़ी आज़मी भारत की जानी-मानी ऐक्ट्रेस शबाना आजमी के पिता हैं
कैफी आज़मी की शायरी में दिलों को छूने वाली सादगी और गहराई होती थी
रोज़ बढ़ता हूं जहां से आगे, फिर वहीं लौट के आ जाता हूं
बेलचे लाओ खोलो ज़मीं की तहें, मैं कहां दफ़्न हूं कुछ पता तो चले
झुकी झुकी सी नज़र बे-क़रार है कि नहीं, दबा दबा सा सही दिल में प्यार है कि नहीं
कोई कहता था समुंदर हूं मैं, और मिरी जेब में क़तरा भी नहीं
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