NSDR अपनाएं, मिनटों में काम का तनाव घटाएं, जानिए तरीका

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Atul Tiwari
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NSDR अपनाएं, मिनटों में काम का तनाव घटाएं, जानिए तरीका

भोपाल. आजकल बड़ी संख्या में ऐसे प्रोफेशनल्स हैं, जो काम के दबाव या फिर देर रात तक मोबाइल फोन पर वीडियो गेम, वेब सीरीज देखने की आदत के कारण नींद पूरी नहीं कर पाते। नतीजा ऐसे लोग दिन के समय ऑफिस अवर्स में अलसाते या जम्हाई लेते नजर आते हैं। उनका एनर्जी लेवल घट जाता है और ऐसे में वे वर्क लोड के चलते उनका तनाव (स्ट्रेस का लेवल) बढ़ जाता है। ऐसे लोग अपना स्ट्रेस कम कर एनर्जी लेवल बढ़ाने की लिए एनएसडीआर (NSDR) यानी non-sleep deep rest का सहारा ले सकते हैं। दुनिया की जानी-मानी टेक कंपनी गूगल (google) के सीईओ सुंदर पिचाई (sunder pichai) भी काम के तनाव को कम करने के लिए NSDR टेक्नीक की प्रैक्टिस करते हैं। आइए आपको बताते हैं कि आखिर क्या है ये NSDR, इसकी प्रोसेस और फायदे।





NSDR एनर्जी लेवल और एकाग्रता बढ़ाने का बेहतर टूल: दुनिया को Non-sleep Deep Rest (NSDR) शब्द से अमेरिका के स्टैनफोर्ड स्कूल ऑफ मेडिसिन के डॉक्टर एंड्रयू ह्यूबरमैन ने परिचित करवाया है। डॉ. ह्यूबरमैन बताते हैं कि वे खुद 10 साल से इस टेक्नीक की प्रैक्टिस कर रहे हैं। वे इसे अपनी नींद पूरी करने और फोकस्ड रहने का बेहतर टूल मानते हैं। NSDR में हमें अपनी आंखें बंद करके 20-30 मिनट लेटना होता है। वापस उठने पर इतना रिलैक्स महसूस होता है कि जैसे कि आप 7-8 घंटे की गहरी नींद लेकर उठे हों।





NSDR की प्रक्रिया योग निद्रा के समान: NSDR शब्द दुनिया के लिए नया हो पर यह प्रक्रिया हमारे देश में हजारों साल से प्रचलित योग निद्रा जैसी ही है। पतंजलि के योग सूत्र में भी इसका उल्लेख है। यह एक आध्यात्मिक नींद है, जिसमें जागते हुए सोने की प्रैक्टिस करनी होती है। सोने और जागने के बीच की स्थिति को ही योग निद्रा कहते है। वही जो हमारे ऋषि मुनि किया करते थे। योग के जानकार कहते हैं कि यदि 10 से 30 मिनट तक योग निद्रा की सही तरीके से प्रैक्टिस की जाए तो 7 से 8 घंटे की गहरी नींद 4 घंटे में भी पूरी की जा सकती है। 





NSDR के पीछे योग निद्रा वाला साइंस: शरीर में मौजूद न्यूरॉन विभिन्न तरंगें उत्पन्न करते हैं। इनमें से अल्फा तरंगें हमें खुश रखने का काम करती है। जिस दिन हम तनाव में होते हैं, उस दिन दिमाग में अल्फा तरंगों की एक्टिविटी कम हो जाती है। योग निद्रा और मेडिटेशन से दिमाग में अल्फा वेव की एक्टिविटी बढ़ जाती है। इससे हम नई ऊर्जा और खुशी महसूस करते हैं। Google के सीईओ सुंदर पिचाई के मुताबिक, जब भी उन्हें मेडिटेशन करना मुश्किल लगता है, तब वे YouTube पर जा कर एक NSDR का वीडियो ढूंढ़ लेते हैं। 10, 20 या 30 मिनट के इन वीडियो से स्ट्रेस फ्री हो जाते हैं। इसमें आप बिना सोए खुद को दोबारा नई एनर्जी के साथ काम करने के लिए खुद को तैयार कर लेते हैं।





क्या होता है NSDR: NSDR के पीछे भी यही योग निद्रा वाला साइंस है। जैसे-जैसे दिमाग आराम की अवस्था में जाने लगता है वैसे-वैसे आपके हृदय की गति धीमी होती चली जाती है। दिमाग बीटा तरंगों से अल्फा तरंगों की ओर स्विच कर जाता है। बीटा तरंगें एक्टिव दिमाग से जुड़ी होती हैं जबकि शांत अवस्था में अल्फा तरंगें अधिक एक्टिव रहती हैं। इसके बाद आप शारीरिक और मानसिक रूप से रिलैक्स हो जाते हैं।







ऐसे करें NSDR की प्रैक्टिस







  • स्टेप-1: शांत और कम रोशनी वाली जगह पर पीठ के बल लेट जाएं। शरीर को पूरी तरह ढीला छोड़ दें। हथेलियां खोलकर आसमान की तरफ रखें।



  • स्टेप-2: गहरी सांस लें फिर सामान्य सांस लेते हुए अपना ध्यान दाहिने पैर के पंजे पर केंद्रित करें। इस दौरान मन में इधर-उधऱ के ख्याल लाने की कोशिश न करें।


  • स्टेप-3: अपना ध्यान पंजे से घुटने, फिर जांघ पर लाएं। इस प्रक्रिया को बाएं पैर के साथ दोहराएं। ऐसे करते-करते गले, छाती आदि पर ध्यान लगाएं।


  • स्टेप-4: गहरी सांस लें और कुछ देर इसी स्थिति में लेटे रहें। अब ध्यान आसपास के माहौल पर ले जाएं। दाहिनी करवट लेकर बाएं नाक से सांस छोड़ें।


  • स्टेप-5: ऐसा करने से आपके शारीर का तापमान गिरेगा। थोड़ी देर बाद धीरे से उठकर बैठ जाएं। धीरे-धीरे अपनी आंखें खोलें।






  • NSDR से कई फायदे



    तनाव, चिंता और डिप्रेशन के लक्षणों को कम कर दिमाग और शरीर को रिलैक्स करता है।



    जिन्हें नींद कम आने या नहीं आने की परेशानी है, उन्हें बेहतर नींद पाने में मदद करता है।



    मन को शांत करता है। एकाग्रता बढ़ती है। दिमागी थकान दूर होती है।



    शरीर के दर्द से छुटकारा दिलाता है। थकान और निगेटिव सोच को दूर करता है।



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