अस्पताल बना नहीं और कर दिया गंभीर बीमारी का इलाज, ले लिया अनुदान

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Anjali Singh
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अस्पताल बना नहीं और कर दिया गंभीर बीमारी का इलाज, ले लिया अनुदान

Bhopal. मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री सहायता कोष पर घोटालेबाजों की नजर पड़ गई है। गरीबों के बेहतर इलाज के लिए सीएम स्वेच्छानुदान मद से दी जाने वाली राशि की जमकर बंदरबांट हो रही है। द सूत्र की पड़ताल में सनसनीखेज खुलासा हुआ है। धरातल पर अस्पताल नहीं है, कागजों पर इलाज किया जा रहा है और इसकी एवज में सरकारी अनुदान भी लिया जा रहा है। इससे पहले द सूत्र ने आपको बताया था कि कैसे राजधानी के तीन निजी अस्पतालों ने सीएम स्वेच्छानुदान के तहत लाखों रुपए का अनुदान लेकर सीएम सचिवालय को ही इलाज से संबंधित जानकारी नहीं दी थी।









पहला मामला - कागजों पर चल रहा अस्पताल





भोपाल-इंदौर हाईवे पर ग्राम फंदा के पास सार्थक मल्टीस्पेशियलिटी नाम से हॉस्पिटल बन रहा है। हॉस्पिटल का निर्माण अभी अधूरा है, लेकिन यहां गंभीर बीमारियों का इलाज किया जा रहा है। दरअसल ये सबकुछ कागजों पर चल रहा है। सीएम स्वेच्छानुदान की राशि हड़पने के लिए फर्जी एस्टीमेट तैयार किए जाते है। फर्जीवाड़ा करने वालों की सेटिंग इतनी सॉलिड हैं कि सीएम सचिवालय से अनुदान भी जारी करा लिया जाता है।









ऐसे किया फर्जीवाड़ा





निर्माणाधीन सार्थक मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल से 5 मार्च 2022 को एक एस्टीमेट तैयार किया गया था। जिसमें बताया गया कि 32 वर्षीय विनोद सिंह निमोनिया और सेप्टिसीमिया से पीड़ित है। विनोद को 15 दिन तक भर्ती रखना होगा और इलाज में 1 लाख 60 हजार रुपए खर्च होंगे। सीएम स्वेच्छानुदान से मदद के लिए इलाज के खर्च का ये एस्टीमेट सचिवालय भेज दिया गया। जिसके साथ कृषि मंत्री कमल पटेल का अनुशंसा पत्र भी लगाया गया था।









बिना जांचे जारी कर दी राशि





गरीबों के इलाज के लिए सीएम स्वेच्छानुदान की राशि सीएम सचिवालय के अधिकारी जारी करते हैं। एस्टीमेट सही है या फर्जी इसकी जांच भी मंत्रालय की पांचवी मंजिल पर बैठे अधिकारी करते है। लेकिन इसके बावजूद सार्थक हॉस्पिटल से जारी हुए फर्जी एस्टीमेट पर 70 हजार रुपए आवंटित कर दिए गए। ऐसा इसलिए हुआ क्यों कि फर्जीवाड़ा करने वालों के तार सीएम सचिवालय तक जुड़े हुए है। वहीं इस मामले में कई बार संपर्क करने के बाद द सूत्र के पास किरण सांगले का कॉलबैक आया था। उनका कहना हैं कि निर्माणाधीन नजर आ रहे अस्पताल में ही इलाज किया गया था। कही भी गड़बड़ी नहीं की गई है।









दूसरा मामला- फिजियोथेरैपी के लिए किया 15 दिन भर्ती





दूसरा मामला लालघाटी चौराहे पर स्थित तृप्ती हॉस्पिटल से जुड़ा है। यहां अशोक अहिरवार नाम के युवक को फिजियोथैरेपी के नाम पर 15 दिन तक भर्ती रखा गया। इलाज के लिए 90 हजार रुपए का एस्टीमेट सीएम सचिवालय भेजा गया था। जिस पर 40 हजार रुपए का अनुदान भी प्राप्त हो गया। बता दें कि सीएम स्वेच्छानुदान से अमूमन गंभीर बीमारियों के लिए अनुदान मिलता है। लेकिन साठगांठ के चलते फिजियोथेरैपी के लिए अनुदान ले लिया गया। मामले में तृप्ती हॉस्पिटल की संचालक जसवीर कौर ने बात करने से ही इनकार कर दिया।









सीएम के पीएस ने पकड़ा फर्जीवाड़ा





सीएम स्वेच्छानुदान में हुए इस फर्जीवाड़े को मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी ने पकड़ा है। जिसके बाद अस्पताल संचालकों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।



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