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नाक से दी जाने वाली पहली कोरोना वैक्सीन के इस्तेमाल की मंजूरी, 18+ लोगों को दी जा सकेगी, बूस्टर डोज रूप में भी दे सकेंगे

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Atul Tiwari
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नाक से दी जाने वाली पहली कोरोना वैक्सीन के इस्तेमाल की मंजूरी, 18+ लोगों को दी जा सकेगी, बूस्टर डोज रूप में भी दे सकेंगे

NEW DELHI. कोरोना महामारी के खिलाफ भारत को एक और सफलता मिली है। देश की पहली नेजल वैक्सीन (नाक से दी जाने वाली) को आपातकालीन (Emergency) इस्तेमाल के लिए मंजूरी मिल गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने बताया कि भारत बायोटेक द्वारा कोरोना के लिए बनाई गई देश की पहली नेजल वैक्सीन को ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने इजाजत दे दी है। यह भारत का कोविड-19 वायरस के लिए पहला नाक से दिया जाने वाला टीका होगा।





वैक्सीन की खुराक 18 साल से ज्यादा के लोगों को दी जाएगी। वैक्सीन के आखिरी फेज के ट्रायल अगस्त में ही खत्म हुए हैं। प्राइमरी डोज के अलावा इसे फुली वैक्सीनेटेड लोगों को बूस्टर डोज की तरह दिया जा सकता है।





नाक से दी जाती है, इसलिए ज्यादा कारगर





नेजल स्प्रे वैक्सीन को इंजेक्शन की बजाय नाक से दिया जाता है। यह नाक के अंदरूनी हिस्सों में प्रतिरक्षा (इम्यून) तैयार करती है। इसे ज्यादा कारगर इसलिए भी माना जाता है, क्योंकि कोरोना समेत हवा से फैलने वाली अधिकांश बीमारियों के संक्रमण का रूट प्रमुख रूप से नाक ही होता है और उसके अंदरूनी हिस्सों में इम्युनिटी तैयार होने से ऐसे बीमारियों को रोकने में ज्यादा असरदार साबित होती है।

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नेजल वैक्सीन के फायदे







  • इंजेक्शन से छुटकारा मिलेगा।



  • नाक के अंदरूनी हिस्सों में इम्यून तैयार होने से सांस से संक्रमण होने का खतरा कम होगा।
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  • इंजेक्शन से छुटकारा होने के कारण हेल्थवर्कर्स को ट्रेनिंग की जरूरत नहीं होगी।


  • बच्चों का टीकाकरण करना आसान होगा।


  • उत्पादन आसान होने से दुनियाभर में डिमांड के मुताबिक उत्पादन और सप्लाई संभव हो सकेगी।




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