Advertisment

MP के अस्पतालों में पानी की व्यवस्था नहीं, CM-सिंधिया-नाथ के क्षेत्र का बुरा हाल

author-image
एडिट
New Update
MP के अस्पतालों में पानी की व्यवस्था नहीं, CM-सिंधिया-नाथ के क्षेत्र का बुरा हाल

भोपाल. विश्व जल दिवस के मौके पर पानी की उपलब्धता के बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं। शिवराज सरकार भी आयोजन में व्यस्त है। लेकिन सच कुछ और ही निकलकर आ रहा है। प्रदेश के ज्यादातर अस्पतालों में पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है। इसका खुलासा स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट से हुआ है। जबकि इन अस्पतालों के निर्माण में करोड़ों रुपए खर्च किए गए हैं। प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग ने अस्पताल के भवन निर्माण के विषय में कुछ पैमाने बनाए हैं। उन पैमानों में साफ और पीने योग्य पानी की व्यवस्था प्रमुख हैं। लेकिन इन पैमानों के विपरीत प्रदेश में 2228 से ज्यादा ऐसे सरकारी अस्पताल हैं, जहां पर पानी की व्यवस्था नहीं है।





कमलनाथ के गृह जिले में सबसे ज्यादा समस्या: पानी की उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण छिंदवाड़ा के कई सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर प्रसव नहीं हो पा रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के गृह जिले में 290 ऐसे अस्पताल हैं, जहां पर पानी का संकट है।





राजधानी के अस्पतालों में पानी नहीं: मध्यप्रदेश के सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों की अगर हकीकत पता करनी है, तो राजधानी के अस्पतालों की स्थिति देख लीजिए। यहां के 23 अस्पतालों में पानी की समस्या है। यहां के गांधीनगर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भी यही समस्या है। भोपाल के ज्यादातर अस्पतालों में प्रसव कराने, सर्जरी से लेकर शौचालय का उपयोग करने के लिए पानी की दिक्कत है। इस दिक्कत को दूर करने के लिए नगर निगम के टैंकरों को लगाया गया है। उप स्वास्थ्य केंद्रों में पानी की कमी के कारण मरीज ही नहीं स्टाफ भी परेशान है। कर्मचारियों की मानें तो पानी की कमी के कारण आए दिन अस्पतालों में विवाद की स्थिति बन रही है।





आदिवासियों का क्षेत्र पानी से परेशान: प्रदेश के आदिवासी क्षेत्रों की हालत सबसे ज्यादा खराब है। इसका खुलासा स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों से हुआ है। आदिवासी जिलों की बात करें तो छिंदवाड़ा में 290, सिवनी में 129, डिंडोरी में 188, बड़वानी में 168, मंदसौर में 160, रतलाम में 151 अस्पताल ऐसे हैं, जहां पानी की उचित व्यवस्था नहीं है। उप-स्वास्थ्य केंद्र, हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर से लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सीएचसी और सिविल अस्पतालों में यह समस्या बनी हुई है। मरीज अस्पताल में इलाज कराने के लिए आते हैं लेकिन पानी की कमी के कारण उल्टा परेशान हो जाते हैं।

Advertisment





ग्वालियर क्षेत्र का भी बुरा हाल: ग्वालियर-चंबल अंचल में कई ऐसे अस्पताल हैं, जहां पर जल संकट बना हुआ है। ये इलाका केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का माना जाता है। यहां के जिलों की बात करें तो शिवपुरी जिले में 173, गुना में 104, भिंड में 168, अशोकनगर में 22 अस्पताल ऐसे पाए गए हैं, जहां पर पानी की कमी है। यहां पर एक बात गौर करने वाली है कि पीएचई मंत्री बृजेन्द्र सिंह यादव इसी इलाके से आते हैं। 





मुख्यमंत्री के क्षेत्र का हाल: सीएम शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले सीहोर की बात करें तो यहां 106 अस्पतालों ऐसे मिले हैं, जहां पर पानी की व्यवस्था नहीं है। शिवराज सिंह चौहान बुधनी से विधायक हैं। बुधनी क्षेत्र के 16 और नसरुल्लागंज के 15 उप स्वास्थ्य केंद्रों में पानी का संकट है।



Madhya Pradesh मध्यप्रदेश कमलनाथ Kamal Nath शिवराज सिंह चौहान SHIVRAJ SINGH CHOUHAN CONGRESS कांग्रेस BJP बीजेपी Jyotiraditya Scindia ज्योतिरादित्य सिंधिया Health Department स्वास्थ्य विभाग अस्पताल Hospital WATER CRISIS जल संकट World Water Day विश्व जल दिवस
Advertisment