चुनावी तैयारी में जुटी बीजेपी के लिए सिरदर्द की कोई कमी नहीं है. एक मुश्किल का हल निकालो तो दूसरी मुश्किल सामने आ जाती है. अब तक सियासत की दुनिया में आपने अपनों से होने वाले खतरों के कितने नाम सुने होंगे. चलिए कुछ शब्द गिनते हैं. एक भीतराघात, दूसरा गुटबाजी, तीसरा कलह, चौथा तालमेल की कमी, पांचवा दलबदल. मध्यप्रदेश की बीजेपी में ये सारे फ्लेवर गहराई तक उतर चुके हैं. कुछ नजर आने लगे हैं तो कुछ को दबाए रखने की कोशिश जारी है. लेकिन ये सब तो कॉमन है, हर पार्टी में हर चुनाव में होता है. अब आप पूछ सकते हैं या बीजेपी के नेता ही पूछ सकते हैं कि इसमें नया क्या है. नया क्या है हम बताते हैं.