देव श्रीमाली,GWALIOR. ड्रग तस्करी से जुड़ी हाई प्रोफाइल कार्रवाई में ग्वालियर पुलिस की खूब किरकिरी हुई है। 8 महीने पहले सितंबर 2022 में पुलिस ने सात लोगों को गिरफ्तार कर उनसे बरामद जिस 720 ग्राम पाउडर को MDMA ड्रग्स बताया था, वो फोरेंसिक लैब की जांच में यूरिया निकला। ड्रग्स की कीमत 72 लाख रुपए बताई गई थी। हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस दीपक कुमार अग्रवाल ने ग्वालियर पुलिस को जमकर फटकार लगाई। मप्र के डीजीपी को आदेश दिया कि वे दो महीने के अंदर आरोपी को 10 लाख रुपए बतौर मुआवजा दें। इसके बाद पूरे पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया है। पुलिस अधिकारियों ने कहा है कि वे मामले की जांच करेंगे और कानूनी उपायों पर भी विचार कर रहे। पुलिस अब जब्त किए गए पदार्थ के दूसरे सैंपल की जांच के लिए कोर्ट से अपील करेगी।
एमडीएमए जब्त निकला यूरिया
ग्वालियर की क्राइम ब्रांच और मुरार थाना पुलिस ने 6 सितंबर 2022 को मुरार इलाके से महिला समेत 7 आरोपियों को गिरफ्तार किया था। इनके पास से 750 ग्राम MDMA ड्रग्स बरामद होने का दावा किया गया था। इस ड्रग्स के साथ पकड़े गए सात आरोपियों में से एक मोहित तिवारी ने हाईकोर्ट में दूसरी बार जमानत याचिका दायर की। मोहित के वकील सुशील गोस्वामी ने हाईकोर्ट में तर्क दिया कि पुलिस ने जो MDMA जब्त दिखाया है, वो फोरेंसिक साइंस लैबोरेटरी भोपाल की जांच में यूरिया बताया गया है। पुलिस ने याचिकाकर्ता को गलत तरीके से फंसाया है। कानून का दुरुपयोग किया है। कोर्ट ने मोहित को जमानत पर रिहा करने का आदेश देते हुए मुआवजा देने को कहा। बाकी के आरोपी जेल में बंद हैं।
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दूसरे सैंपल की जांच कराने की तैयारी
कोर्ट ने डीजीपी को यह भी कहा है कि वे चाहें तो मुआवजे की राशि की वसूली गैर जिम्मेदार अधिकारियों से वसूल कर सकते हैं। दोबारा इस तरह की गलती ना हो, इसकी भी व्यवस्था बनाएं। इस पूरे मामले पर अधिकारियों का कहना है कि जांच की जा रही है कि कहां-कहां गलती हुई है और उसी आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही पुलिस का कहना है कि उनके पास दूसरा सैंपल भी है, जिसे न्यायालय से आदेश पर जांच के लिए भेजा जाएगा।