राजगढ़ में गौशाला में उफनाई नदी का पानी भरने से 55 गायों की डूबने से मौत, गेट पर लगा रहा ताला, किसी ने अंदर आकर देखा तक नहीं

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Atul Tiwari
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राजगढ़ में गौशाला में उफनाई नदी का पानी भरने से 55 गायों की डूबने से मौत, गेट पर लगा रहा ताला, किसी ने अंदर आकर देखा तक नहीं

बिरम पुरी गोस्वामी, Rajgarh. बेबस पशुओं की मौत के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे और शासन इन मामलों को गंभीरता से नहीं ले रहा है। ताजा मामला राजगढ़ के पास ग्राम निंद्रा खेड़ी में स्थित प्रीतम गौशाला का है। यहां पर गौशाला प्रबंधन की लापरवाही आई सामने आई है। गौशाला में ताला लगाने के बाद किसी ने भी सुध नहीं ली। बाढ़ का पानी भर जाने से करीब 55 गायों की मौत हो गई। ये गौशाला संत प्रीतम महाराज द्वारा संचालित की जाती है। इसे शासन से अनुदान भी मिलता है। बड़ी बात ये कि बाढ़ का पानी उतरने के बाद खेत, नदी, झाड़ियों और पेड़ पर गायों के शव मिले। पुलिस ने गौशाला संचालित करने वाले संत प्रीतम महाराज को गिरफ्तार कर लिया है।



गायों के शव मिलने से हड़कंप



24 अगस्त शाम को बजरंग दल को सूचना मिली कि गोशाला से करीब 300 मीटर दूर उगल नदी में गायों के शव मिले हैं। संगठन के कार्यकर्ता और ग्रामीण मौके पर पहुंचे तो उन्हें पांच गायों के शव मिले। कार्यकर्ताओं ने नगरपालिका सीएमओ समेत प्रशासनिक अफसरों को इसकी सूचना दी। कार्यकर्ताओं ने आसपास तलाशा तो रात करीब 11 बजे 6 और गायों के शव झाड़ियों और खेतों से बरामद हुए। पुलिस और नगरपालिका के अमले के साथ 11 गायों के शवों को रात में ही दफना दिया। विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल के कार्यकर्ता रात में ही तलेन थाना पहुंचे। उन्होंने संत प्रीतम महाराज और गोशाला कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई।



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गौशाला का गेट खोल दिया जाता तो गाएं बच जातीं



विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल के कार्यकर्ताओं और ग्रामीणों का कहना है कि भारी बारिश के चलते 22 अगस्त को उगल नदी का पानी गौशाला में भर गया था। इससे करीब 50-55 गायों की मौत हो गई। गौशाला के मेन गेट पर ताला लगा हुआ था। ग्रामीणों का कहना है कि नदी का पानी बढ़ने पर अगर गौशाला कर्मचारियों ने ताला खोलकर गायों को छोड़ दिया होता तो गायों की मौत नहीं होती। हद तो ये रही कि गायों की मृत्यु हो जाने के बाद कर्मचारियों ने उन्हें नदी में बहा दिया। इस मामले का खुलासा 24 अगस्त को उस वक्त हुआ, जब बाढ़ का पानी कम होने लगा। सूचना मिलने पर शाम को पुलिस प्रशासन थाना प्रभारी उमाशंकर मुकाती, नायब तहसीलदार सौरभ शर्मा और बजरंग दल विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता मौके पर घटनास्थल पहुंचे थे।



पेड़ पर लटके मिले गायों के शव



25 अगस्त को हिंदू संगठनों के कार्यकर्ता, अफसरों के साथ दोबारा गौशाला पहुंचे। यहां नदी किनारे के खेत, झाड़ियों में तलाशा तो उन्हें 14 गायों के शव और मिले। इनमें कुछ गायों के शव करीब दो किमी दूर नदी में मिले, कुछ के शव पेड़ पर लटके मिले। लोगों ने गायों को दफनाकर उनका अंतिम संस्कार किया।



संचालक ने गेट में लगा दिया था ताला



विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल व ग्रामीणों ने कहा कि 22 अगस्त को भारी बारिश हो रही थी। ऐसे में जिले के सभी नदी-नाले उफान पर थे। गौशाला में भी बारिश और बाढ़ का पानी भर गया। गौशाला के गेट पर ताला लगा था। नदी का पानी बढ़ने से आई बाढ़ में गाय भाग नहीं पाईं और वे बाढ़ में बह गई। 



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