SHEOPUR. कूनो में चीतों की मौत का सिलसिला रुक नहीं रहा है। मंगलवार को यहां चीते के एक शावक की मौत हो गई है। शावक की मौत का कारण अभी पता नहीं चल सका है। प्रमुख वन संरक्षक जेएस चौहान ने मौत की पुष्टि की है। कूनो नेशनल पार्क में चार मार्च को 4 शावकों का जन्म हुआ था, उनमें से एक की मौत हो गई है। इस शावक की मौत के बाद यहां 17 चीते और 3 शावक बचे हैं। यहां पिछले 2 महीनों में 4 चीतों की मौत हो चुकी है।
चीतों की लगातार हो रही मौतें चिंता का विषय
चीतों को भारत में फिर से लाने की मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना को लगातार झटके लग रहे हैं। कूनो नेशनल पार्क में चीतों की लगातार हो रही मौतें चिंता का विषय बनी हुई हैं। चीतों को लाने के बाद से अब तक चार चीतों की मौत हो चुकी है, वहीं चार शावकों का जन्म भी हुआ था। अब तीन ही बचे हैं।
पहले भी हुई हैं मौतें
इससे पहले 09 मई को चीता दक्षा की मौत हो गई थी। दक्षा की मौत चीतों की आपसी लड़ाई में हो गई थी। उसे मेटिंग के लिए भेजा गया था, लेकिन मेल चीते ने उसे पंजा मार दिया था जिससे वह घायल हो गई थी। दक्षा को मॉनीटरिंग टीम ने घायल अवस्था में पाया था। उसे इलाज के लिए ले जाया गया था लेकिन कछ देर बाद ही इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। उसे इसी साल दक्षिण अफ्रीका से लाया गया था।
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इससे पहले चीता साशा की मौत हो गई थी
इससे पहले दक्षिण अफ्रीका से लाए गए चीते उदय की बीमारी से मौत हो गई थी। उसकी बाड़े के वीडियो फुटेज में दिखा था कि वह सुस्त हालत में बैठा था। उसने उठकर चलने की कोशिश की, लेकिन लड़खड़ा कर गिर गया और उसकी मौत हो गई। इससे पहले नामीबिया ले लाई गई चीता साशा की मौत हो गई थी। भारत में लाए गए चीतों में सबसे पहले मरने वाली चीता साशा थी। बताया गया था कि साशा को किडनी की बीमारी थी। वह नामीबिया से सबसे पहले लाई गई 8 चीतों में से एक थी।
चीतों की शिफ्टिंग को लेकर विवाद
चीतों की मौत का मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच चुका है। लगातार हो रही चीतों की मौत पर सुप्रीम कोर्ट न केंद्र सरकार से पूछा है कि वह राजनीति से ऊपर उठते हुए चीतों को राजस्थान शिफ्ट करने पर विचार क्यों नहीं कर रही है। कोर्ट ने इस मामले में वन्य जीव विशेषज्ञ समिति को 15 दिन के अंदर चीता टास्क फोर्स को अपना सुझाव देने का निर्देश दिया है। मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस संजय करोल और जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने कहा कि चीतों की संख्या को देखते हुए कूनो में पर्याप्त संसाधन और स्थान नहीं है। इसलिए केंद्र सरकार को इन्हें दूसरी सेंक्चुरी में शिफ्ट करने के लिए विचार करना चाहिए।