मालवा के बाद अब चंबल में लम्पी वायरस का कहर, मुरैना सबसे बड़ा केंद्र बना, रोज औसत 200 गाय हो रहीं संक्रमण का शिकार

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Dev Shrimali
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मालवा के बाद अब चंबल में लम्पी वायरस का कहर, मुरैना सबसे बड़ा केंद्र बना, रोज औसत 200 गाय हो रहीं संक्रमण का शिकार

GWALIOR. मध्यप्रदेश के मालवा अंचल में अपना कहर बरपाने वाला लम्पी वायरस ने वैसे तो अब पूरे प्रदेश में ही पैर पसार लिए हैं और तमाम प्रयासों के दावों के बावजूद इसका दायरा और प्रकोप कम होने की जगह तेजी से आगे ही बढ़ता जा रहा है। ग्वालियर-चम्बलअंचल में इसका दायरा और संक्रमण दर लगातार बढ़ती ही जा रही है। लेकिन अब अंचल में इसका सबसे बड़ा केंद्र मुरैना बनता जा रहा है। अंचल में आने वाले कुल केस में से 80 फीसदी इसी जिले से आ रहे हैं। 





26 सितंबर को दो सैकड़ा से ज्यादा नए केस मिले 





 मध्य प्रदेश के ग्वालियर चंबल संभाग में लम्पी वायरस का प्रकोप तेजी से फैलता जा रहा है। बीते 24 घंटे में ग्वालियर चंबल संभाग में दो संदिग्ध गायों की मौत हो गई है, तो वहीं 205 नए केस मिले है। जिसके चलते इस वायरस से पीड़ित गोवंश का आंकड़ा 1143 पहुंच गया है, वहीं नौ गौवंश की इस वायरस से मौत हो गयी है। 





तीन सौ टीमें काम में जुटीं 





पशु चिकित्सा विभाग का दावा है कि गायों का तेजी से वैक्सीनेशन किया जा रहा है, साथ ही आठ जिलों के लिए 300 से ज्यादा टीम बनाई गयी है, वहीं गौसेवक भी गायों के वैक्सीनेशन में लगे हुए है। जिसके चलते अब तक ग्वालियर चंबल संभाग में 27 हजार 605 गौवंश का वैक्सीनेशन हो चुका है। पशुपालन विभाग के मुताबिक, चंबल संभाग में लम्पी वायरस की ये तेजी राजस्थान और उत्तर प्रदेश से सटे होने के कारण केस बढ़ रहे है। उनका मानना है कि भले ही जिलों के कलेक्टरों ने धारा 144 लगाकर पशु मेलों पर प्रतिबंध लगा दिया हो। लेकिन उत्तर प्रदेश और राजस्थान के लोग अपने पशुओं को सस्ते में बेच रहे है, जो कि मध्य प्रदेश के लोग खरीद रहे है। जिससे यहाँ इसके  केस बढ़ रहे है।





 मुरैना सबसे बड़ा एपी केंद्र बना 





पशु चिकित्सा विभाग के संयुक्त संचालक डॉ अशोक सिंह तोमर का कहना है कि मुरैना जिला इस समय इस वायरस का सबसे बड़ा एपी सेंटर बना हुआ है। उनके दावा है कि अभी तक अंचल में 205 सस्पेक्टेड केस पूरे अंचल में मिले है जिनमें से 145 तो अकेले मुरैना जिले के ही हैं।अभी तक नौ गायों की मौत हो चुकी है जबकि 385 ठीक हो चुके है। 





ये हो रहे हैं उपाय 





डॉ तोमर कहते हैं कि चूंकि यह वायरल डिजीज है इसलिए इस पर तत्काल तो नियंत्रण नहीं पाया जा सकता लेकिन हाँ इसके विस्तार को रोकने और नियंत्रण के लिए व्यापक प्रयास किये जा रहे हैं। इसके तहत संक्रमित गाय को आइसोलेशन में करके उसका अलग खान-पान  करना और पांच किलोमीटर के क्षेत्र में सघन टीकाकरण चलाना प्रमुख है। हमारी टीमें गाँव - गाँव घूमकर सर्वे भी कर रही है और टीकाकरण भी। इस काम में अनेक स्वैच्छिक संगठन भी मदद कर रहे हैं। 



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