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मध्यप्रदेश सरकार के सामने बड़ा सवाल, कहां से आएगी नई नौकरियों के लिए साढ़े 3 हजार करोड़ से ज्यादा की राशि; हर विभाग से पूछा हिसाब

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Arun Dixit
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मध्यप्रदेश सरकार के सामने बड़ा सवाल, कहां से आएगी नई नौकरियों के लिए साढ़े 3 हजार करोड़ से ज्यादा की राशि; हर विभाग से पूछा हिसाब

BHOPAL. मध्यप्रदेश में चुनावी बजट की चिकल्लस शुरू हो गई है। सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती मुंह बाए खड़ी है। खजाने की माली हालत को देखते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनके खजांची जगदीश देवड़ा के सामने लाख टके का सवाल है कि 1 लाख नौकरी के लिए रकम का इंतजाम कहां से होगा। यदि सरकार 1 लाख नौकरी देने के लिए वाकई गंभीर है तो उसका प्रावधान बजट में दिखाना होगा। बजट की तैयारियों में इस बात पर खास फोकस किया जा रहा है।





सीएम शिवराज ने किया 1 लाख नौकरियां देने का वादा





मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मध्यप्रदेश के युवाओं को 1 लाख नौकरियां देने का वादा किया है। ये वादा बताता है कि मिशन-2023 की चुनावी वैतरणी को पार करने के​ लिए वे नौकरी की नाव की सवारी करने जा रहे हैं। एक साल में चुनाव हैं और इसी दौरान सीएम ने 1 लाख युवाओं को नौकरी देने का दांव चला है। लेकिन सीएम को अपने इस वादे पर युवाओं को भरोसा दिलाने के लिए चुनाव के पहले के आखिरी बजट में इस प्रावधान को शामिल करना होगा।





वीडियो देखें.. 1 लाख सरकारी नौकरी के वादे में क्या नया होने जा रहा

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1 लाख नौकरियां देने में कितना पैसा होगा खर्च





साल 2023-24 के राज्य बजट की तैयारी शुरू कर दी गई है। विभागों से कहा गया है कि वे सरकार द्वारा घोषित 1 लाख सरकारी नौकरियों के संबंध में अपने-अपने विभागों में खाली पदों को भरने में होने वाले खर्च का आंकलन करें। कैबिनेट की बैठक में भी 1 लाख पदों पर भर्ती का हिसाब-किताब लगाया गया है। विभागों से जो प्रारंभिक जानकारी मिली है, उसके आधार पर सरकार 15 अगस्त तक 1 लाख पदों पर भर्ती का दावा कर रही है। यानी साफ है कि विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लगने से ठीक पहले 1 लाख युवाओं के हाथों में नियुक्ति पत्र सौंपने की तैयारी की जा रही है।





मध्यप्रदेश सरकार के खजाने की माली हालत खस्ता

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बजट की कॉपी में वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा को अपने सूटकेस से युवाओं के लिए नौकरी देने का कागज निकालना जरूरी होगा। खजाने की माली हालत भले ही खस्ता हो लेकिन युवाओं के हाथों में नौकरी देने के वादे पर भरोसे की परत चढ़ानी होगी। देवड़ा ने हर विभाग से कह दिया है कि वे सबसे पहले ये बताएं कि उनके विभाग में कितनी नौकरियां दी जा रही हैं और उस पर सालाना कितना भार आएगा। हर विभाग इसका हिसाब-किताब जोड़ने में जुट गया है। कांग्रेस इसे चुनाव जीतने लिए महज राजनीतिक धोखा करार दे रही है।





1 लाख नौकरियां देना बड़ी चुनौती





जानकारों की मानें तो सरकार के सामने खाली खजाने के बीच 1 लाख नौकरियां देने की बड़ी चुनौती है। सरकार का बजट पौने 3 लाख करोड़ का है जबकि अभी तक उस पर 3 लाख करोड़ से ज्यादा का कर्ज है। यानी बजट से ज्यादा सरकार कर्ज में डूबी हुई है। जानकारों के मुताबिक सरकारी नौकरी देने पर एक ​व्यक्ति को औसतन 30 हजार रुपए महीने पगार देनी होगी। 1 लाख नौकरी पर ये खर्च 300 करोड़ रुपए महीने का होता है। इसी हिसाब से सालभर में सरकार पर 3 हजार 600 करोड़ का अतिरिक्त खर्च आएगा। सवाल यही है कि आखिर इसका इंतजाम कहां से होगा।

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चुनावी बजट में नया टैक्स लगाकर जोखिम नहीं लेगी सरकार





क्योंकि ये चुनावी बजट है इसलिए सरकार नया टैक्स लगाकर जोखिम नहीं लेना चाहती। जगदीश देवड़ा लोकलुभावन बजट लाएंगे जिसमें नए टैक्स की कोई बात नहीं होगी। विभागों को निर्देश दिया गया है कि वे अपनी मांग, व्यय, ऋण, उपयोग/अप्रयुक्त बजट और केंद्र सरकार से प्राप्त फंड का प्रेजेंटेशन दें। वित्त विभाग ने विभिन्न स्तरों पर विभाग स्तरीय चर्चाओं का कैलेंडर घोषित किया है और नई योजनाओं का विवरण, यदि कोई हो, वित्त विभाग के साथ साझा करने की समय सीमा भी निर्धारित की है।



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