गुलाबी चना कांड: पार्टी के लिए मंत्री के बंगले पर चंदा दो, वहीं से चना बेचने की मंजूरी लो

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गुलाबी चना कांड: पार्टी के लिए मंत्री के बंगले पर चंदा दो, वहीं से चना बेचने की मंजूरी लो

प्रदेश की राजनीति में बेहद चर्चित यह मामला द्वारका प्रसाद मिश्र की सरकार के समय का है। तब 1967 में लोकसभा चुनाव होने थे। मुख्यमंत्री मिश्र के कार्यकाल में प्रदेश कांग्रेस संगठन बहुत कमजोर हुआ करता था। उस समय श्यामसुंदर नारायण मुशरान प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष हुआ करते थे। कहने को तो पार्टी संगठन को प्रदेश कार्यालय के संचालन के लिए दिल्ली मुख्यालय से एक निश्चित राशि मिलती थी। लेकिन वह राशि इतनी कम होती थी कि प्रदेश कांग्रेस कार्यालय के कर्मचारियों को ठीक से वेतन भी नहीं मिल पाता था। इस समस्या का समाधान तत्कालीन खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री गौतम शर्मा ने अजीबो-गरीब तरीके से निकाला।

पार्टी के लिए पैसा जुटाने हटाई चना बाहर भेजने पर पाबंदी

उस समय मध्यप्रदेश में अनाज कारोबारियों के पास गुलाबी चने का बड़ा स्टॉक जमा था। प्रदेश के बाहर गुलाबी चना बेचने पर प्रतिबंध लगा था। व्यापारियों ने खाद्य विभाग को सुझाया कि यदि गुलाबी चना प्रदेश के बाहर बेचने पर से पाबंदी हटा ली जाए तो सभी व्यापारी खुद ही पार्टी के चुनाव फंड के लिए चंदा देने को आसानी से राजी हो जाएंगे। खाद्य मंत्री गौतम शर्मा को यह सुझाव भा गया। उन्होंने इसे अमल में लाने के लिए निश्चित किया कि जिस व्यापारी को जितने बोरे गुलाबी चने प्रदेश से बाहर बेचने होंगे। वह दस रूपये प्रति बोरा चुनावी चंदा देकर खाद्य विभाग को प्रदेश कांग्रेस कमेटी की रसीद दिखाएगा। जितने बोरे की रसीद खाद्य विभाग को दिखाई जाएगी उस व्यापारी को उतने बोरे बेचने की अनुमति दी जाएगी।

मंत्री के बंगले पर ही खोल दिया रसीद काउंटर

मंत्री को खुश करने के लिए विभाग के अधिकारियों ने इस काम के लिए गौतम शर्मा के घर पर ही एक छोटा सा ऑफिस खुलवा दिया। इस ऑफिस के एक हिस्से में कांग्रेस के चंदा लेने वाले कर्मचारी बैठते थे और दूसरी तरफ खाद्य विभाग के अधिकारी। अनाज कारोबारियों को यह यह सिस्टम बहुत रास आया क्योंकि वे ऑफिस में एक तरफ चंदा देते और दूसरे तरफ इसकी रसीद दिखाकर लगे हाथ चना बाहर बेचने की अनुमित हासिल कर लेते। लेकिन बाद में यह मामला द्वारका प्रसाद मिश्र सरकार की बदनामी की बड़ी वजह बना। इसका इस्तेमाल एक राजनीतिक हथियार के रूप में मिश्र के खिलाफ भी किया गया। इसे विवादित मुद्दा बनाकर उनके खिलाफ चुनाव याचिका में इसका उपयोग किया गया।

पॉलिटिकल किस्से मध्यप्रदेश द्वारा प्रसाद मिश्र madhya pradesh political kisse