ग्वालियर में शासकीय सेवा में 60 लाख पद भरने की मांग को लेकर युवाओं ने शुरू किया सामूहिक उपवास

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Jitendra Shrivastava
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ग्वालियर में शासकीय सेवा में 60 लाख पद भरने की मांग को लेकर युवाओं ने शुरू किया सामूहिक उपवास

देव श्रीमाली, GWALIOR. देश के विभिन्न शासकीय विभागों में खाली पड़े साठ लाख से ज्यादा पदों पर बेरोजगार युवाओं को नौकरी देने की मांग को लेकर चल रहे राष्ट्रव्यापी आंदोलन के तहत आज ग्वालियर में भी संयुक्त रोजगार समिति के तत्वाधान में युवा फूलबाग चौराहे पर सामूहिक उपवास पर बैठ गए हैं। इसके साथ ही बेरोजगार युवकों को रोजगार दिलाने और श्रम कानून नीति में संशोधन की मांग भी कर रहे हैं। 





यह युवाओं की पीड़ा 





धरना पर बैठे समिति पदाधिकारियों ने आरोप लगाया कि हमारा देश बेरोजगारी की मार झेल रहा है। बड़ी-बड़ी डिग्रियों को लेकर भी युवा आज काम के लिए दर-दर भटक रहे हैं। रोजगार का नया सृजन करना तो दूर देश भर में लाखों खाली पड़ी सरकारी वैकेंसी पर भर्ती नहीं की जा रही है। जहां भर्ती हो भी रही है, ठेकेदारी व्यवस्था के तहत हो रही है, जहां वेतन इतना कम है कि जिससे काम करने के बावजूद भी लोगों को सम्मानपूर्वक जीवन जीना मुश्किल हो रहा है। 





सभी राज्यों में युवाओं के साथ बर्बरतापूर्ण व्यवहार किया





प्राइवेट सेक्टर में भी रोजगार के नए अवसर पैदा होने की जगह छंटनी की तलवार लोगों के सर मंडरा रही है। पिछले दिनों पूरे देश ने देखा कि युवाओं के द्वारा उत्तर प्रदेश, दिल्ली, महाराष्ट्र, बिहार, मध्यप्रदेश आदि राज्यों में रेलवे, SSC, UPSC, सेंट्रल पुलिस फोर्स RRB, NTPC, अग्निपथ योजना एवं राज्यों की विभिन्न भर्तियों को लेकर आंदोलन हुए किन्तु  युवा विरोधी तानाशाह  सरकार द्वारा बातचीत करने के बजाय युवाओं के साथ बर्बरतापूर्ण व्यवहार किया। 





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पद खाली लेकिन वैकेंसी नहीं निकाल रही सरकार 





देश में अलग-अलग विभागों में लगभग 60 लाख सरकारी पद खाली है। जिस पर सरकार भर्ती नहीं निकाल रही है।  ऐसा लगता है कि सरकार रोजगार को लेकर गंभीर नहीं है। बेरोजगारी की समस्या के समाधान के लिए भारत में आजादी के बाद जिस तरह की नीतियां बनाने की जरूरत थी, हमारी अब तक की सरकारों ने वैसी नीतियां नहीं बनाई।  यही वजह है कि आज़ादी के सात दशक से ज्यादा वक्त गुज़र जाने के बाद भी हमारे देश में राष्ट्रीय रोजगार नीति नहीं बन पाई है। पहले से ही बेरोज़गारी की मार झेल रही हमारी अर्थव्यवस्था को कोरोना ने और अधिक चिंताजनक स्थिति में पहुंचा दिया। बेरोजगारी से त्रस्त छात्र, युवा, मज़दूर, किसान अपने-अपने स्तर पर  लगातार सरकार से बेरोजगारी के समाधान के लिए संघर्षरत हैं। परंतु सरकार द्वारा कोई सकारात्मक कदम अब तक नहीं उठाया गया है।



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