जितेंद्र सिंह, GWALIOR. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने भिंड में रेत सुपुदर्गी मामले में न्यायालय के आदेश के बाद भी ट्रांजिट पास यानी ईटीपी जारी नहीं करने पर माइनिंग विभाग के डायरेक्टर की जमकर क्लास ली। मामले की सुनवाई करते हुए युगलपीठ ने डायरेक्टर से पूछा, आपको पता है यहां क्यों खड़े हो। आपको अभी अपने कार्यालय में होना चाहिए था। आपकी आवश्यकता वहां अधिक थी, लेकिन आपके अधिकारियों की वजह से आपको न्यायालय में आना पड़ा। आपके अधिकारी न्यायालय के आदेश की अपने हिसाब से विवेचना करते हैं। निचली अदालत के आदेश को कुछ समझते नहीं हैं। अब जब सख्ती की तो कैसे ट्रांजिट पास जारी हो गया।
ट्रांजिट पास जारी करने में लापरवाही
माइनिंग डायरेक्टर राजीव रंजन समेत रीजनल डायरेक्टर और माइनिंग अधिकारी भिंड को ज्यूडिशियल आदेश का पालन ना करने और न्यायालय के कहने के बाद भी ट्रांजिट पास जारी करने में लापरवाही करने के मामले में दोषी मानते हुए आज न्यायालय में पेश होने का आदेश दिया था।
माफी मांगी तो न्यायालय ने चेतावनी देकर छोड़ा
युगल पीठ में जस्टिस रोहित आर्या और जस्टिस सतेंद्र कुमार सिंह के समक्ष मामले की जैसे ही सुनवाई प्रारंभ हुई, वैसे ही डायरेक्टर माइनिंग राजीव रंजन न्यायालय के समक्ष जाकर खड़े हो गए। न्यायालय ने विभाग के अधिकारियों की कार्य प्रणाली को लेकर नाराजगी जाहिर की। डायरेक्टर माइनिंग ने न्यायालय से माफी मांगते हुए ईटीपी पास जारी होने की जानकारी दी, जिसके बाद युगलपीठ ने उन्हें बैठने का आदेश दिया। इसके बाद माननीय न्यायालय ने रीजनल डायरेक्टर और माइनिंग अफसर की जमकर क्लास ली। उन्होंने कहा कि जब नियम में नहीं था तो अब कैसे ईटीपी जारी हो गया। आपको कानून पता है कि बिना ईटीपी के कोई भी खनिज का परिवहन नहीं किया जा सकता है। आपको तो जेल भेजा जाएगा। जस्टिस आर्या ने जैसे ही अधिकारी को सजा की बात की उसके हाथ-पांव फूल गए पर जस्टिस सतेंद्र कुमार सिंह ने अधिकारी से पूछा पहले भी कभी कोई गलती की है जिस पर उसके मना करने पर युगल पीठ ने पहली गलती मानकर चेतावनी देकर छोड़ दिया।
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संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए अधिकारी
याचिकाकर्ता रवि मोहन त्रिवेदी ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी कि माननीय न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी और उच्च न्यायालय का आदेश होने के बावजूद भी माइनिंग विभाग ने 1 लाख 94 हजार 516 घनमीटर रेत का ईटीपी यानी ई ट्रांजिट पास जारी नहीं किया है। मामले की सुनवाई करते हुए ग्वालियर खंडपीठ की युगल पीठ के जस्टिस रोहित आर्या और जस्टिस सतेंद्र कुमार सिंह ने माइनिंग रीजनल हेड संतोष कुमार पटले और माइनिंग अधिकारी भिंड दिनेश सिंह दुबे को न्यायालय का आदेश पालन न करने और याचिकाकर्ता के पक्ष में ईटीपी जारी ना करने का कारण पूछा। जब अधिकारी संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए और न्यायालय के आदेश की अपने अनुसार विवेचना करने लगे तब उच्च न्यायालय की युगलपीठ ने नारजगी जाहिर कर अवमानना का दोषी मानते हुए डायरेक्टर माइनिंग को माइनिंग रीजनल हेड और माइनिंग अधिकारी भिंड को पेश होने का आदेश दिया था।