संजय गुप्ता, INDORE. राज्य सेवा परीक्षा 2019 को लेकर हाईकोर्ट जबलपुर में चल रही याचिका पर अंतरिम राहत को लेकर मंगलवार (29 नवंबर) को करीब ढाई घंटे तक सुनवाई चली। लंच के बाद सभी पक्षों को हाईकोर्ट ने विस्तार से सुना। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने ऑर्डर रिजर्व पर रख लिया, जो अब किसी भी दिन जारी किया जा सकता है।
अभ्यर्थियों ने लगाई याचिका
इस परीक्षा में पूर्व में सफल हो चुके 1 हजार 918 अभ्यर्थियों की ओर से 140 अभ्यर्थियों ने ये याचिका लगाकर मांग की है कि पीएससी द्वारा पूरे रिजल्ट को जीरो कर दोबारा सभी की इसकी लिखित परीक्षा कराने का आदेश जारी किया गया है, जो गलत है, यदि परीक्षा लेना भी है तो नए रिजल्ट में पास हुए अतिरिक्त अभ्यर्थियों की केवल विशेष परीक्षा ली जाए और जो सफल हो चुके उनकी दोबारा परीक्षा लेने की जरूरत नहीं है, उनके इंटरव्यू प्रक्रिया को ही आगे बढ़ाया जाए।
हाईकोर्ट ने कभी पूरी प्रक्रिया निरस्त करने के लिए नहीं कहा था
अभ्यर्थियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ की ओर से सुप्रीम कोर्ट के अनामिका मिश्रा और एक अन्य रेलवे केस में आए फैसले का हवाला दिया गया। इसमें तर्क रखे गए कि पूरी प्रोसेस को निरस्त नहीं किया जा सकता है। पीएससी द्वारा बात रखी गई कि अप्रैल 2022 में रोस्टर नियमों को लेकर हाईकोर्ट के दिए गए निर्देश के अनुसार ही दोबारा परीक्षा की जा रही है।
ये खबर भी पढ़िए..
हाईकोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला
इस पर अभ्यर्थियों के अधिवक्ता की ओर से तर्क रखे गए कि हाईकोर्ट ने केवल रोस्टर नियमों को खारिज किया था, ऐसा कहीं निर्देश नहीं थे कि पूरी भर्ती प्रक्रिया को ही निरस्त कर दिया जाए। ऐसे में पूरी प्रक्रिया को निरस्त कर दोबारा लिखित परीक्षा लेने का कोई मतलब ही नहीं बनता है। इसमें सफल अभ्यर्थियों की कोई गलती नहीं है। ये भी कहा गया कि पहले भी पीएससी स्पेशल लिखित परीक्षा ले चुका है तो फिर इस बार क्या दिक्कत है, वो इस बार भी कर सकता है। वरिष्ठ अधिवक्ता नागरथ के साथ सहयोगी तौर पर अधिवक्ता आकाश ललवानी भी साथ थे। सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने ऑर्डर रिजर्व कर लिया।