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SIDHI: निर्दलीय प्रत्याशियों ने बिगाड़ा भाजपा-कांग्रेस का चुनावी गणित, कितना कारगर रहेगा सीएम का दौरा 

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Brijesh Pathak
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SIDHI: निर्दलीय प्रत्याशियों ने बिगाड़ा भाजपा-कांग्रेस का चुनावी गणित, कितना कारगर रहेगा सीएम का दौरा 

SIDHI.  नगर पालिका सीधी के चुनाव में निर्दलीयों ने भाजपा-कांग्रेस की चुनावी गणित को बिगाड़ दिया है। कई जगह बागी उम्मीदवार भी जीत में रोड़ा अटका रहे है। निर्दलीयों के कारण अधिकांश वार्डों में त्रिकोणीय संघर्ष की स्थिति बनी हुई है। कहीं-कहीं भाजपा और कांग्रेस में सीधा मुकाबला देखा जा रहा है। ऐसे में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा का दौरा कितना कारगर रहेगा देखने वाली बात होगी l 





नहीं सुधर पाई भाजपा की स्थिति 





 नगर पालिका में भाजपा का कब्जा होने के बाद भी इस चुनाव में पार्टी को कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। एक तो उम्मीदवारों के चयन में गंभीरता नहीं दिखाई गई दूसरे निर्दलीय प्रत्याशियों के दम-खम लगा देने के बाद चुनावी गणित बिगड़ रही है। नामांकन दाखिले के बाद भाजपा ने दर्जन भर के करीब निर्दलीय प्रत्याशियों के नामांकन वापस कराया था किंतु स्थिति नहीं सुधर पाई है। पार्टी के नेता पार्षद के उम्मीदवारों को जिताने जी-जान लगाये हुये है, गली-गली घूमकर प्रचार कर रहे है पर इसके बाद भी जीत पक्की नहीं दिख रही है। 





कांग्रेस की भी हालत पतली 

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यही हाल कांग्रेस का भी बना हुआ है l कांग्रेस ने नामी चेहरों को चुनाव मैदान में उतार तो दिया है किंतु उन्हें भी जीत के लिए ऐड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है। कांग्रेस उम्मीदवारों को  भाजपा से कम निर्दलीयों से अधिक संघर्ष करना पड़ रहा है। नामी गिरामी प्रत्याशियों के चुनाव मैदान में उतारने के बाद  पार्टी को यह भरोसा था कि वे अपने दम पर ही चुनाव जीत जाएंगे लेकिन संघर्ष इतना कड़ा हो गया कि बड़े नेताओं को गली-गली जाकर कांग्रेस के लिए वोट मांगने पड़ रहे है। चुनाव मैदान में उतरे निर्दलीय अपने दम पर मजबूती से ताल ठोक रहे है, जीत गए तो ठीक वरना भाजपा-कांग्रेस की चुनावी गणित बिगाड़ ही देने के उद्देश्य से मैदान में डटे हुए है। 





अधूरी पड़ी है मुख्यमंत्री की पुरानी घोषणाएं





मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इसके पहले जब-जब सीधी आये है तब-तब कुछ न कुछ नई घोषणा करके गए है। मुख्यमंत्री के घोषणाओं में सीधी को मिनी स्मार्ट सिटी बनाये जाने की सौगात प्रमुख रही है। मिनी स्मार्ट सिटी का कार्य जिस कछुआ चाल से चल रहा उसे शहर के लोग देख रहे है। सरकारी राशि भले ही खर्च हो रही हो पर शहर स्मार्ट नहीं हो सका है। पानी, बिजली, सड़क, नाली, साफ-सफाई की स्थिति और भी बदतर होती जा रही है। स्वास्थ्य के मामले में भी मुख्यमंत्री की घोषणा अभी तक साकार नहीं हो सकी है। पुराने अस्पताल में मरीजों को स्वास्थ्य सुविधा तो दूर भर्ती होने पर बिस्तर तक नहीं मिल रहे है। डेढ़ दशक तक भाजपा की सरकार रहने और नगर पालिका में भाजपा का ही कब्जा रहने के बाद भी शहर स्मार्ट होना तो दूर मूलभूत सुविधाओं को तरस रहा है। हालाँकि मुख्यमंत्री ने गुरुवार को यहां चुनावी सभा में शहर के विकास का पुनः वादा किया है l



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