संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर के पीपुल्स डीएम के रूप में पहचान रखने वाले कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी सूर्यदेव नगर मंदिर टूटने के मामले में उलझ गए हैं। नगर निगम अधिकारियों ने इस मामले में पल्ला झाड़ लिया है और रहवासियों, अन्य जनप्रतिनिधियों के सवालों से घिरे महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने आखिरकार इसके लिए कलेक्टर को ही जिम्मेदार बता दिया है। महापौर ने कलेक्टर को पत्र लिखकर कहा है कि- सूर्यदेव नगर के मंदिर तोड़ने के निर्देश आपके द्वारा निगम अधिकारियों को दिए गए थे। इसके लिए आपने मुझे या किसी अन्य जनप्रतिनिधि को सूचित नहीं किया था। आपके द्वारा मंदिर तोड़ने जैसे संवेदनशील मामले में मुझे, जनप्रतिनिधियों को बताए बिना निगम अधिकारियों को सीधे निर्देश देना आपत्तिजनक है और इससे शासन, प्रशासन की छवि धूमिल हुई है। साथ ही यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया के खिलाफ है। पत्र में कलेक्टर को ताकीद करते हुए लिखा गया है कि- भविष्य में इस तरह की कोई भी कार्रवाई जनप्रतिनिधियों के संज्ञान में लाए बिना नहीं की जाए।
तीन आईएएस के बीच में उलझ गई कहानी
यह पूरी कहानी तीन आईएएस के बीच उलझ गई है। 16 मई मंगलवार को एक महिला ने कलेक्टर को जनसुनवाई में मंदिर के अवैध निर्माण और गुंबज के कारण घर पर परछाई आने की शिकायत की। निगम में अधिकारियों ने महापौर को बताया कि कलेक्टर ने सीधे आईएएस अपर आयुक्त निगम सिद्दार्थ जैन को फोन करके अवैध अतिक्रमण की जानकारी दी और कार्रवाई की बात की। जैन ने इस मामले में तीसरे आईएएस निगमायुक्त हर्षिका सिंह को जानकारी दी या नहीं, इसकी पुष्टि नहीं है लेकिन जैन के आदेश से बुधवार सुबह ही भारी रिमूवल गैंग, पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंच गया और तोड़ दिया गया। मौके पर पहुंचे वार्ड के पार्षद और एमआईसी सदस्य अभिषेक बबलू शर्मा ने इस मामले में तीखा विरोध किया और वहीं धरने पर बैठ गए। आरोप लगाए किसी को बिना बताए अधिकारियों ने यह कांड किया है। महापौर भी उलझ गए, क्योंकि उन्हें भी कुछ पता नहीं था कि निगम की रिमूवल गैंग आखिर पहुंची कैसे? बाद में बबलू शर्मा ने भवन अधिकारी अनूप गोयल, भवन इंस्पैक्टर दीपक गरमड़े से बात की तो खुलासा हुआ कि अपर आयुक्त आईएएस जैन के आदेश थे। बाद में और जानकारी ली तो बताया गया जैन को कलेक्टर ने निर्देश दिए थे।
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निगम अधिकारियों की बजाय कलेक्टर पर निकला गुस्सा
इस पूरे पत्र को राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारे में गंभीर रूप से देखा जा रहा है। संभवत: पहली बार है कि इस तरह का पत्र महापौर द्वारा कलेक्टर को लेकर लिखा गया है। यह बात मौखिक तौर पर भी हो सकती थी, पत्र लिखा भी और मीडिया में इसकी जानकारी भी आई, यानी मायने साफ है कि महापौर ने ब्यूरोक्रेसी को सबक सिखाने और मंदिर तोड़ने की नाराजगी को मोड़ने का काम इस पत्र से किया है। लेकिन सवाल यही है कि ब्यूरोक्रेसी को सबक सिखाना भी था तो वह निगम की थी, वह क्यों कलेक्टर के आदेश पर सीधे मंदिर तोड़ने पहुंची, उसने महापौर, स्थानीय पार्षद जो एमआईसी मेंबर भी है, उन्हें क्यों नहीं बताया? महापौर को पत्र तो निगमायुक्त, रिमूवल गैंग प्रभारी आईएएस जैन इनके लिए लिखना चाहिए था, कलेक्टर को लिखने का क्या मतलब ही नहीं बनता था। जिन्होंने मंदिर तोड़ा उनके केवल प्रशासकीय आधार पर विभाग बदले और कोई कार्रवाई भी नहीं की। यानी कुल मिलाकर किसी पर ठीकरा फोड़ना था तो इसके लिए कलेक्टर मिल गए।
विधानसभा चुनाव में हुआ था कलेक्टर, निगमायुक्त का विवाद
प्रशासन और निगम के बीच विवाद 2018 के विधानसभा चुनाव के दौरान तत्कालीन कलेक्टर निशांत वरवड़े और निगमायुक्त आशीष सिंह के बीच हुआ था। तब एक मामले में सीधे कलेक्टर ने निगम के कुछ कर्मचारियों को लेकर आपत्ति लेते हुए कार्रवाई की बात की थी। इस पर सिंह ने कलेक्टर को पत्र लिख दिया था कि आपका सम्मान है, लेकिन निगम में यदि किसी की कार्यशैली से कोई आपत्ति है तो आप मुझे बताएं, सीधे कार्रवाई की बात नहीं करें।