MP विधानसभा में बहस: शिवराज बोले- पंचायत चुनाव OBC आरक्षण के साथ होंगे

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MP विधानसभा में बहस: शिवराज बोले- पंचायत चुनाव OBC आरक्षण के साथ होंगे

भोपाल. मध्य प्रदेश विधानसभा (MP Assembly) में 21 दिसंबर को अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के आरक्षण को लेकर बहस शुरू हो गई। कमलनाथ ने परिसीमन निरस्त करने और ओबीसी आरक्षण को लेकर स्थगन प्रस्‍ताव (Adjournment motion) दिया। कमलनाथ (Kamalnath) ने कहा- कोर्ट के ऑर्डर (Court Order) का बहाना न बनाएं। हम अब साथ कोर्ट चलते हैं। सदन सर्वसम्मति से इसे पास करे कि ये स्वीकार है या नहीं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chouhan) ने कहा कि पंचायत चुनाव OBC आरक्षण के साथ ही होंगे। सरकार इसके लिए सुप्रीम कोर्ट जा रही है। शिवराज ये भी बोले कि ओबीसी के कल्याण के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ी और ना ही छोड़ेंगे। हमने नीट में 27% आरक्षण दिया। हाल ही में हमने 8800 पदों पर भर्ती निकाली, जिस पर 27% आरक्षण दिया। आपकी (कांग्रेस की) सरकार में किसी भर्ती में 27 फीसदी आरक्षण दिया हो तो बताएं? मंत्री भूपेंद्र सिंह ने सदन के बाहर कहा कि सरकार चाहती है कि पंचायत चुनाव में ओबीसी को 27% आरक्षण मिले। ये मुख्यमंत्री शिवराज ने भी कहा है। सरकार की स्पष्ट मंशा है कि ओबीसी आरक्षण के बिना पंचायत चुनाव नहीं होंगे।

क्या बोले मंत्री, विधायक?

स्थगन प्रस्ताव पर सबसे पहले बोलते हुए पूर्व मंत्री एवं कांग्रेस विधायक कमलेश्वर पटेल ने कहा कि OBC आरक्षण के कारण जो स्थिति बनी है, उसके लिए सरकार जिम्मेदार है। सुप्रीम कोर्ट (SC) के आदेश के 5 दिन बाद भी पंचायत चुनाव को लेकर असमंजस की स्थिति है। सरकार जल्दबाजी में परिसीमन और आरक्षण को लेकर अध्यादेश लेकर आई थी। कोर्ट के अलावा लोक सेवा आयोग, राज्य सेवा आयोग व अन्य आयोगों में भी आरक्षण होना चाहिए। इसके लिए विधानसभा को एक प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजना चाहिए।

इस पर नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार ने मनमाने तरीके से 2019 में परिसीमन किया था। कांग्रेस इस मामले को लेकर 5 बार न्यायालय में गई। यदि यह तथ्य गलत है तो मैं इस्तीफा देने को तैयार हूं। इसके जवाब में पूर्व वित्त मंत्री एवं कांग्रेस विधायक तरुण भनोट ने कहा सरकार बताए कि कोर्ट में सुनवाई के दौरान सरकारी वकील क्यों नहीं खड़े हुए यदि यह सही नहीं है तो मैं भी इस्तीफा देने को तैयार हूं।

इससे पहले सदन की कार्रवाई शुरू होने से पहले गृहमंत्री डॉ नरोत्‍तम मिश्रा ने कांग्रेस के स्‍थगन प्रस्‍ताव पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि ओबीसी वर्ग के साथ कांग्रेस ने जो पाप किया है, वह विधानसभा में स्थगन प्रस्ताव लाने से दब नहीं जाएगा। सरकार नियम प्रक्रिया के अनुसार सदन में हर चर्चा के लिए तैयार है।

क्या होता है स्थगन प्रस्ताव?

  • स्थगन प्रस्ताव का मुख्य उद्देश्य हाल के किसी ऐसे लोक महत्त्व के मामले पर सदन का ध्यान आकर्षित करना है, जिसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। 

  • इसमें ये भी निहित है कि सदन का कोई सदस्य जो भी ये मामला (स्थगन प्रस्ताव के जरिए) उठाया जा रहा है, वह इतना गंभीर होना चाहिए कि उसका देश और देश की सुरक्षा पर बुरा प्रभाव पड़ता हो और सदन को अपने सामान्य कार्य को रोककर तुरंत उस विषय पर विचार करना चाहिए।
  • यानी स्थगन प्रस्ताव एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके स्वीकृत होने पर लोक महत्व के किसी निश्चित मामले चर्चा करने के लिये सदन का सामान्य कार्य रोक दिया जाता है।
  • सदन में स्थगन प्रस्ताव के तहत चर्चा करने के लिये किसी विषय को स्वीकार करने या नहीं करने की पूरी शक्ति सदन के पीठासीन अधिकारी (Presiding Officer) को होती है। इसमें मामले को स्वीकृत या अस्वीकृत करने का कारण बताना पीठासीन अधिकारी के लिये जरूरी नहीं है।
  • सदन का कोई सदस्य किसी एक बैठक के लिये एक से ज्यादा स्थगन प्रस्ताव नोटिस नहीं दे सकता।
  • सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद के बाद क्या हुआ?

    सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने OBC के लिए रिजर्व जिला पंचायत सदस्य, जनपद, सरपंच व पंच के पदों के निर्वाचन प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी। पंचायत चुनाव की प्रक्रिया भले ही चल रही है, लेकिन OBC के लिए रिजर्व सीटों पर निर्वाचन प्रक्रिया पर राज्य निर्वाचन आयोग ने रोक लगा दी है। इस पर फैसला सरकार को लेना है कि इन सीटों पर चुनाव किस तरह कराए जाएं। 

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