अरुण तिवारी, BHOPAL. मिशन 2023 को फतह करने के लिए बीजेपी यूपी मॉडल अपना रही है। ये बदलाव मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के प्रदेश के दौरों के बाद हुआ है। सीएम को सरकारी योजनाओं की जमीनी हकीकत का पता चल गया है। लोगों के पास राशन कार्ड नहीं है, सस्ता राशन नहीं मिल रहा, उज्जवला योजना का कनेक्शन नहीं है, यहां तक कि निराश्रित, पेंशन से महरूम हैं। इस सच्चाई से सामना हुआ तो सीएम का गुस्सा फूटा और अधिकारी सस्पेंड भी हुए।
ये है सरकारी योजनाओं की हकीकत
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने उनकी योजनाओं की पोल खुल गई। सीएम के जनसेवा अभियान में ये भी सामने आग गया कि नौकरशाही उनकी योजनाओं को लेकर कितनी गंभीर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन 17 सितम्बर से शुरू हुए इस अभियान में प्रदेश भर में 16 लाख से अधिक आवेदन सरकार को मिले हैं। आवेदन मिलने का सिलसिला जारी है। इतनी बड़ी संख्या में आवेदन देख शिवराज को भी हैरानी हुई है। सीएम ने इन आवेदनों के निराकरण के लिए विभागों को 31 अक्टूबर तक का अल्टीमेटम दिया है। जनसेवा अभियान में 33 योजनाओं को शामिल किया गया है।
सूत्रों की मानें तो इस दौरान 15 लाख 81 हजार 606 आवेदन आए हैं और यह आंकड़ा अब 16 लाख को पार कर चुका है। बताया जाता है इनमें से 5 लाख 27 हजार 806 को स्वीकृत करने का काम किया जा चुका है और 10 लाख 7 हजार 685 आवेदन अभी निराकरण के लिए पेंडिंग हैं। सबसे ज्यादा आवेदन आयुष्मान कार्ड के लिए हैं। करीब साढ़े पांच लाख लोगों ने आयुष्मान कार्ड के लिए आवेदन दिया है। आवेदन देने में कमलनाथ के क्षेत्र छिंदवाड़ा के लोग सबसे आगे हैं। यहां एक लाख 48 हजार से अधिक आवेदन अलग-अलग योजनाओं में हितग्राहियों ने दिए हैं।
सीएम ने संगठन को सौंपा काम
शिवराज ने नौकरशाही पर भरोसा न करते हुए अब सरकारी योजनाओं को लोगों तक पहुंचाने का जिम्मा बीजेपी संगठन को सौंपा हे। संगठन के सारे मोर्चा और प्रकोष्ठ अब इस काम में लगे हुए हैं। संगठन के नेता हितग्राहियों तक जा रहे हैं और उनको राशन कार्ड से लेकर आयुष्मान कार्ड तक बनवाने में मदद कर रहे हैं। संगठन ने कार्यकर्ताओं को बूथ स्तर तक हितग्राहियों से संपर्क करने को कहा है। हाल ही में रातापानी में हुई बैठक में इन कामों की समीक्षा भी की गई थी। संगठन महामंत्री बीएल संतोष और शिवप्रकाश ने प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा से इन कामों में तेजी से जुटने को भी कहा है।
चुनाव का यूपी मॉडल
सरकार की ये कोशिश एंटी इन्कमबेंसी दूर करने के लिए है। दरअसल ये चुनाव का यूपी मॉडल है। यूपी में योगी सरकार ने अपनी योजनाओं के प्रचार-प्रसार और उनका फायदा दिलाने के लिए पूरे संगठन को उतार दिया था जिसका फायदा चुनाव में भी देखने को मिला है। शिवराज सिंह चौहान ने भी सरकारी योजनाओं की इतनी बुरी स्थिति को देख यही मॉडल अपनाने की तैयारी कर ली है। ताकि इनका फायदा 2023 के विधानसभा चुनावों में मिल पाए।