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चर्चा है...: ‘गद्दारी’ में अफसरों की फजीहत, राग कैलाशा, मंत्राणी का टंट्या तावीज फेल

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चर्चा है...: ‘गद्दारी’ में अफसरों की फजीहत, राग कैलाशा, मंत्राणी का टंट्या तावीज फेल

हरीश दिवेकर। मीडियो हो, सोशल मीडिया हो, फेक मीडिया हो, चर्चा तो खबरों की ही होगी। हां, हर मंच पर खबर परोसने का अंदाज जुदा होता है। कोई सीधी-सपाट स्टाइल में लिखता है तो कोई तेजतर्रार भाषा में। कोई खबर जरा घूमकर आती है तो कोई लच्छेदार शैली में।...लेकिन हर बात के पीछे भी एक बात छिपी होती है। इस समय मध्य प्रदेश की फिजा में ‘गद्दारी’ घूम रही है, ये अब अफसरों की परेशानी का सबब बनी हुई है। शिवराज भले ही 15 साल से प्रदेश के मुखिया की कुर्सी पर काबिज हैं, लेकिन इंदौर के बड़े भिया भी पैंतरे चल ही देते हैं। उधर, सरकार की एक मंत्री तावीज में फंसकर रह गई हैं।... तो इस बार भी अपने पास खबरों का अच्छा बारूद है, सीधे अंदर उतर आइए और धमक सुनिए...।

राजनैतिक घेराबंदी में अफसरों की फजीहत

भाजपा-कांग्रेस (BJP-Congress) की आपसी घेराबंदी के चलते अफसरों की फजीहत हो रही है। दरअसल, हाल ही में ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) के पूर्वजों को दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) ने सरेआम गद्दार (Traitor) कह दिया। इस मामले ने ऐसा तूल पकड़ा कि अब सरकार दिग्गी की बोलती बंद करने के लिए उनके बेटे जयवर्धन सिंह (Jaivardhan Singh) की फाइलें खंगालने में जुट गई है। जयवर्धन ने मंत्री रहते हुए जितने बड़े काम करवाए थे, उन्हें खंगाला जा रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस सरकार में हुए स्मार्ट सिटी के बड़े टेंडरों की जांच के निर्देश दिए हैं। इसके चलते तत्कालीन अफसरों की नींद उड़ी हुई है। उन्हें डर सता रहा है कि अगर तत्कालीन मंत्री जयवर्धन को घेरा जाता है तो उनका बेवजह उलझना तय है।

हस्ती मिटेगी नहीं हमारी...

जिन्हें ये लग रहा है कि कैलाश विजयवर्गीय (Kailash Vijayvargiya) बीजेपी की राजनीति में कमजोर पड़ गए हैं, उन्हें अपने विचार पर पुनर्विचार करना चाहिए। जब-जब विरोधी उनके कमजोर होने का केक काटना शुरू करते हैं, वे नया दांव चलकर अपने चाहने वालों के लिए जीत का जश्न तैयार कर देते हैं। अब देखिए ना, कोई कुछ समझे, कुछ करे, उससे पहले भैया ने इंदौर युवा मोर्चा का जिला अध्यक्ष पद अपने बंदे को दिलाकर सारे विरोधियों को चौंका दिया। खास बात यह कि जिस चेले को अध्यक्ष बनवाया है, वो मंत्री की विधानसभा का है और उनकी सूची में नहीं था। भैया ने दांव ऐसा चला कि गांव की राजनीति के सारे क्षत्रप सन्नाटे में आ गए। यह भी बता दें कि अध्यक्ष के लिए भोपाल जो सूची गई थी, उसमें सबने अपने-अपने नाम फंसा दिए थे। बाकी सब तो वहीं फंसे रह गए, भैया का बंदा अध्यक्ष बनकर इंदौर आ गया। अभी युवा मोर्चा के नगर अध्यक्ष की कुर्सी बाकी है। भैया ने यहां कथित चुप्पी साधकर अपने हनुमान रमेश मेंदोला को आगे कर दिया है। अब वो मोर्चा का नगर अध्यक्ष अपना चाह रहे हैं। कहने वाले गलत नहीं कहते- राम-हनुमान को समझने के लिए उन्हीं से दीक्षा लो, तब समझोगे राजनीति और रणनीति क्या होती है। वरना बातें बनाते रहो...कमजोर हो गए हैं...अब वो बात नहीं रही।

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सिर मुंडाते ही..

कभी-कभी आपका कुछ बोला आपकी ही बोलती बंद कर देता है। इंदौर जिले की मंत्राणी से अच्छा इसे कोई नहीं समझ सकता। अपनी विधानसभा के भारी-भरकम आदिवासी वोटों को झपटने के चक्कर में मंत्राणी इतनी भावुक हो गईं और यहां तक बोल गईं- टंट्या मामा का तावीज हर बीमारी से बचाता है। जब बोला तब भी राजनीतिक हलकों और लोगों में उनकी जमकर खिंचाई हुई। ऊपर से हुआ यह कि बोलने के दो-चार दिन बाद ही मंत्राणी खुद बीमार होकर अस्पताल में भर्ती हो गईँ। उसके बाद तो तानों के इतने तावीज उनके गले पड़े कि आखिर कहना पड़ा- ज्यादा भागदौड़ होने से थकान और हल्की हरारत हो गई है। बाकी कुछ नहीं है। खैर, कहने वाले कह रहे हैं- कुछ कहने से पहले ही संभलकर कहिए, ताकि बाद में यह न कहना पड़े कि हरारत हो गई है। वैसे मंत्राणी इससे पहले भी कंडे-हवन से कोरोना भगाने की बात कह चुकी हैं। तब भी उनके बयान पर खूब धुंआ उठा था, क्योंकि देश और प्रदेश के मुखिया मास्क लगाने की बात कर रहे है थे और ये हवन...।

महिला अफसरों से साहब परेशान

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मंत्रालय में बड़े विभाग में पदस्थ साहब महिला अफसरों से खासे परेशान हैं। महिला अफसरों के तेवर को देखते हुए साहब भी कई बार खुद सोचने को मजबूर हो जाते हैं कि क्या वाकई में वे विभाग के मुखिया हैं। इसके पीछे मंत्री की शह भी बताई जा रही है। अक्सर बैठकों में मंत्रीजी साहब की बात काटकर महिला अफसरों को तवज्जो दे देते हैं। इतना ही नहीं, कई बार ऐसा भी हुआ है, जब साहब किसी विषय को लेकर असहमत होते हैं तो महिला आईएएस कह देती हैं, सर इस मामले में मंत्रीजी से बात हो गई है, आप तो बस प्रशासनिक अनुमोदन के लिए फाईल बढ़ा दें। वैसे साहब भी कम तेजतर्रार नहीं है, लेकिन महिला आईएएस अफसरों के आगे उनकी बोलती बंद हो जाती है। हो भी क्यों न, उनके अधीन काम करने वाली सभी महिला आईएएस एक से बढ़कर एक हैं।

साहब अफसर...पत्नी डॉक्टर 

मालवा क्षेत्र मे पदस्थ एक बड़े साहब को लेकर डॉक्टर बिरादरी में काफी नाराजगी है। दरअसल, साहब ने अपने रुतबे का फायदा उठाते हुए अपनी डॉक्टर मोहतरमा को मेडिकल कॉलेज मे नौकरी दिलवा दी। मोहतरमा की अफसरगिरी से दूसरे डॉक्टर परेशान है। सूबे की मुखिया तक इन्होंने अपना दर्द पहुंचा कर मोहतरमा की नियुक्ति की जांच की मांग भी कि लेकिन कार्रवाई होने से पहले साहब ने अपने संघ कनेक्शन का इस्तेमाल करके मामला दबा दिया। साहब ने अपनी अफसर बिरादरी में प्रचारित कर रखा है कि इनके तार सीधे झंडेवालान से जुड़े हुए हैं।

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फेरे से पहले बदला दूल्हा 

पुलिस कमिश्नर सिस्टम (Police Commissioner System) को लेकर सीनियर आईपीएस अफसरों के सोशल मीडिया ग्रुप में चर्चा चल रही है कि आईएएस अफसरों ने नोटिफिकेशन जारी होने से पहले खेला कर फेरे लेने से पहले ही दूल्हा बदल दिया। दरअसल कमिश्नरी को पूरा ड्राफ्ट हनी ट्रैप का खुलासा करने वाले अफसर संजीव शमी ने तैयार किया था। इसमें ADG को पुलिस कमिश्नर बनाने का प्रस्ताव था, जिसे अंतिम समय मे बदलकर आईजी कर दिया गया। इसके चलते शेरवानी पहनकर कमिश्नर बनने के लिए तैयारी कर रहे ADG स्तर के अधिकारियों की उम्मीद पर पानी फिर गया।

आई एम सेफ 

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कमिश्नरी सिस्टम को लेकर युवा आईपीएस (IPS) अफसरों ने आईएएस का नया नामकरण कर दिया है। आईपीएस का मानना है कि आईएएस (IAS) यानी आई एम सेफ है। कमिश्नर सिस्टम के प्रस्ताव से मलाई वाला काम शस्त्र लाइसेंस (Arm License) देने के अधिकार समेत एमएसए हटाकर अपना वर्चस्व कायम रख ही लिया। 

नानाजी का आभार 

पुलिस अफसर कमिश्नर सिस्टम के लिए नानाजी का आभार जताया जा रहा है। युवा आईपीएस अफसरों का कहना है कि मामाजी तो पिछ्ले 15 साल से सिर्फ घोषणा ही कर रहे थे। यदि नानाजी लखनऊ के डीजीपी सम्मेलन मे कमिश्नरी सिस्टम की तारीफ नहीं करते तो मामा इसे लागू भी नहीं करते। आईपीएस अफसरों का मानना है कि आभार के सही हकदार तो नानाजी ही हैं। पुलिस अफसर इस बार के स्थापना दिवस को विजय दिवस मान रहे हैं।

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