चंबल के बीहड़ों में बसा नायकपुरा, यहां पैदा होते हैं राजनीति के नायक

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Arun Dixit
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चंबल के बीहड़ों में बसा नायकपुरा, यहां पैदा होते हैं राजनीति के नायक

अरुण तिवारी, MORENA. चंबल के बीहड़ों में एक गांव बसा है जिसका नाम है नायकपुरा। इसकी खासियत ये है कि यहां की मिट्टी में सियासत के नायक पैदा होते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस गांव की आबादी महज 2 हजार और वोटर्स की संख्या है सिर्फ 1106 है लेकिन ये गांव अब तक 6 विधायक दे चुका है और तो और दो विधायक मंत्री तक बन चुके हैं। एक विधायक दो बार मंत्री रहे। वर्तमान में यहां के 2 पूर्व विधायकों को कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिला है।





मुरैना की राजनीति का सिरमौर नायकपुरा





मुरैना के सुमावली विधानसभा क्षेत्र में एक छोटा-सा गांव है नायकपुरा। नाम के अनुरूप ही ये गांव नायक यानी नेता देता है। इसी खासियत की वजह से ये गांव मुरैना जिले की राजनीति का सिरमौर है। अकेले चंबल ही नहीं बल्कि संभवतः ये मध्यप्रदेश का ऐसा इकलौता गांव है, जहां से आधा दर्जन लोग विधायक बने हैं। इसके साथ ही जिला पंचायत, जनपद पंचायत और मंडी समेत तमाम राजनीतिक पदों पर यहां के लोगों का कब्जा रहा है।





इस गांव ने 1951 के चुनाव में ही दे दिया था विधायक





इतिहास के झरोखे से देखें तो इस गांव ने साल 1951 के विधानसभा चुनाव में ही विधायक दे दिया था। 1951 में पहली विधानसभा के लिए गांव के सोवरन सिंह कंसाना विधायक चुने गए थे। इसके बाद 16 विधानसभा चुनावों में नायकपुरा का कोई न कोई नेता किसी न किसी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ता रहा है। साल 2018 के चुनाव में इस गांव के दो नेता ऐदल सिंह कंसाना और रघुराज सिंह कंसाना एक साथ विधायक बने थे। रोचक ये भी है कि ये दोनों ही कांग्रेस छोड़कर उपचुनाव में बीजेपी के प्रत्याशी बने।





इस गांव से अब तक कुल कितने विधायक बने







  • साल 1951 के चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर सोवरन सिंह कंसाना मुरैना सीट से विधायक बने।



  • 1972 के चुनाव में हरीराम सर्राफ कंसाना मुरैना विधानसभा सीट से विधायक बने।


  • 1985 में कीरतराम कंसाना कांग्रेस के टिकट पर सुमावली विधानसभा सीट से विधायक बने।


  • 1993 और 1998 में ऐदल सिंह कंसाना बसपा के टिकट पर सुमावली सीट से विधायक बने। 2008 और 2018 में कांग्रेस के टिकट से विधायक बने।


  • कंसाना 1998 में राज्यमंत्री रहे और 2020 में कैबिनेट मंत्री बने। हालांकि उन्हें 2020 के उपचुनाव में हार का सामना करना पड़ा।


  • 2018 में रघुराज कंसाना कांग्रेस के टिकट पर मुरैना सीट से विधायक बने। फिर उपचुनाव में बीजेपी की तरफ से चुनाव लड़े लेकिन हार गए। 


  • नायकपुरा के कमलेश जाटव वर्तमान में अंबाह से विधायक।






  • आसानी से हो जाते हैं गांव के विकास कार्य





    अपने गांव के इतिहास और सियासी समीकरणों के चलते यहां के रहवासी काफी खुश हैं। गांव के लोगों का कहना है कि हमारा गांव भले ही छोटा और कम आबादी वाला है लेकिन जब यहां का नाम प्रदेश में गूंजता है तो हमें गर्व होता है। पार्टी भले कोई भी हो लेकिन विधायक के नाम से गांव का नाम जुड़ना गौरव की बात है और गांव के विकास कार्य भी आसानी से हो जाते हैं।





    2020 के उपचुनाव में नायकपुरा से 4 उम्मीदवार थे





    मुरैना जिले की पांच विधानसभाओं जौरा, मुरैना, सुमावली, अंबाह और दिमनी में साल 2020 में उपचुनाव हुए थे। यहां 5 में से 4 विधानसभा क्षेत्रों में नायकपुरा तीन नेता चुनावी मैदान में उतरे थे। बीजेपी के टिकट पर सुमावली सीट से ऐदल सिंह कंसाना, मुरैना से रघुराज सिंह कंसाना, अंबाह से कमलेश जाटव और दिमनी से बसपा के टिकट से राजेंद्र सिंह कंसाना चुनाव लड़े। इनमें ऐदल, रघुराज और राजेंद्र चुनाव हार गए जबकि कमलेश जाटव को जीत मिली। वर्तमान में रघुराज सिंह ओबीसी आयोग और ऐदल सिंह एमपी एग्रो के अध्यक्ष हैं। इन दोनों को कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिला हुआ है।



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