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REWA : विधानसभा में विंध्य प्रदेश का प्रस्ताव लाने वाले शिवमोहन सिंह नहीं रहे, DGP से रिटायर्ड होने के बाद राजनीति में उतरे थे

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The Sootr CG
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REWA : विधानसभा में विंध्य प्रदेश का प्रस्ताव लाने वाले शिवमोहन सिंह नहीं रहे, DGP से रिटायर्ड होने के बाद राजनीति में उतरे थे

REWA. विंध्य प्रदेश पुनरोदय के प्रखर पैरोकार और प्रवक्ता पूर्व विधायक और कांग्रेस नेता शिवमोहन सिंह नहीं रहे। वे 95 साल के थे। 12 अगस्त को उन्हें रीवा के एसजीएम हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था, जहां उन्होंने आज सुबह साढ़े 4 बजे आखिरी सांस ली। वे एक बार अमरपाटन से विधायक रहे। वे विधानसभा के पूर्व उपाध्यक्ष राजेन्द्र कुमार सिंह के पिता थे। शिवमोहन सिंह मध्यप्रदेश में एडीजीपी थे और बीएसएफ से डीजीपी के पद से सेवा निवृत्त हुए थे।





विंध्य ने आज अपना एक प्रवक्ता खो दिया





शिवमोहन सिंह के निधन से विन्ध्य ने आज अपना एक प्रवक्ता खो दिया। जितनी धाक उनकी पुलिस प्रशासक के रूप में रही उतनी ही ख्याति उन्होंने संयुक्त विधानसभा में विध्यप्रदेश के पुनर्गठन का प्रस्ताव प्रस्तुत करने में मिली। वही प्रस्ताव आज विन्ध्य प्रदेश के आंदोलन का आधार है।





विधानसभा में विन्ध्य प्रदेश के प्रस्तावक

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वो 10 मार्च 2000 का दिन था जब विधानसभा में कांग्रेस के विधायक के तौर पर शिवमोहन सिंह ने विन्ध्य प्रदेश के पुनर्गठन का प्रस्ताव प्रस्तुत किया। उस समय विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी थे और मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह थे। उन्होंने संकल्प प्रस्तुत करते हुए कहा था-सदन का ये मत है पृथक विन्ध्य प्रदेश की स्थापना हेतु राज्य शासन आवश्यक पहल करे तथा इसे मूर्तरूप देने हेतु केन्द्र सरकार से अनुरोध करे।





'छोटे राज्यों की अवधारणा फलीभूत'





शिवमोहन सिंह ने तर्क दिया कि अब छोटे राज्यों की अवधारणा फलीभूत हो रही है, नए प्रदेश बनाए जा रहे हैं। विन्ध्य प्रदेश 1956 तक अस्तित्व में रहा। विधानसभा, हाईकोर्ट और अन्य प्रादेशिक मुख्यालय थे। संसद में 8 सदस्य (लोकसभा-राज्यसभा) थे। यदि हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, केरल जैसे राज्यों का विकास हो सकता है तो विन्ध्य प्रदेश का क्यों नहीं। जबकि आबादी और क्षेत्रफल के हिसाब से ये प्रस्तावित राज्य उपरोक्त राज्यों से बड़ा है। इस बहस में मध्यप्रदेश(छत्तीसगढ़ समेत) सभी विधायकों ने हिस्सा लिया था सर्वसम्मति से पारित होने के बाद प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजा गया था जो आज भी लंबित है।

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परिस्थितिवश लड़ना पड़ा था चुनाव





पुलिस के सुपरकॉप से रिटायर होने के बाद शिवमोहन सिंह अध्ययन और खेती-बाड़ी में तन्मय थे। केएफ रुस्तम के साथ काम कर चुके शिवमोहन सिंह पुलिस कानूनों के सुधार को लेकर अपने अनुभवों पर एक पुस्तक पर काम कर रहे थे। इस बीच 1998 का चुनाव आ गया। तब अमरपाटन विधानसभा क्षेत्र से राजेन्द्र कुमार सिंह प्रतिनिधित्व कर रहे थे। वे दिग्विजय मंत्रिमंडल के सदस्य थे। इस बीच उनको लेकर एक प्रकरण हाईकोर्ट में दर्ज हो गया। कांग्रेस नेतृत्व ने तय किया कि राजेन्द्र सिंह की जगह किसी अन्य को टिकट दी जाए। ऐसी स्थिति में तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी ने शिवमोहन सिंह का नाम प्रस्तावित किया। यद्यपि वे तैयार नहीं थे लेकिन दिग्विजय सिंह और अन्य नेताओं के कहने पर मैदान में उतरे। चुनाव में उन्होंने अच्छे खासे मतों से विजय हासिल की। शिवमोहन सिंह सदन के सर्वाधिक जागरुक विधायकों में से एक माने जाते थे और हर गंभीर मसलों की बहस पर भाग लेते थे।





रीवा राज परिवार से जुड़े थे शिवमोहन सिंह

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शिवमोहन सिंह रीवा राज परिवार से जुड़े थे। रीवा महाराज के साथ उनकी रिश्तेदारी थी। पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के रिश्ते में स्वसुर लगते थे उन्हें उनकी भतीजी ब्याही थीं। बिहार के मुख्यमंत्री और मध्यप्रदेश के राज्यपाल सत्यनारायण सिंह उनके समधी थे।





अमरपाटन में होगा शिवमोहन सिंह का अंतिम संस्कार





शिवमोहन सिंह का अंतिम संस्कार 14 अगस्त को सतना में उनके गृह ग्राम प्रतापगढ़ (अमरपाटन) में होगा। अमरपाटन के प्रतापगढ़ गांव में लालप्रताप सिंह के घर 28 मार्च 1928 को जन्मे शिवमोहन सिंह का विवाह रामकुमारी देवी के साथ हुआ था। उनके 3 बेटे हैं, जिसमें राजेन्द्र सिंह राजनीति में हैं और कांग्रेस के प्रदेश के बड़े नेता हैं। शिवमोहन सिंह अपने जमाने के अच्छे निशानेबाज और घुड़सवार माने जाते थे।



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