गणेश दुनगे, BURHANPUR. जिले भर में फैल चुके लंपी वायरस को लेकर कुछ किसानों में जागरूकता आई है। लेकिन कुछ पशुपालक अब भी अंधविश्वास में पड़कर देशी नुस्खे आजमा रहे हैं। इन पशु पालकों का दावा है कि उन्होंने देसी उपायों से अपनी बीमार गायों को न सिर्फ ठीक कर लिया है, बल्कि एक भी गाय की मौत भी नहीं हुई है।
'लंपी बीमारी नहीं माता का प्रकोप'
नेपानगर से लगे चांदनी गांव पशुपालक राजू गायवाले का दावा है कि लंपी बीमारी नहीं बल्कि माता का प्रकोप है। गांव के बाहर बने उनके बाड़े में रहने वाली सैकड़ों गायों में से करीब 25 गायें बीमार हुई थीं, लेकिन अब सभी गायें स्वस्थ हो चुकी हैं। उनके मुताबिक बीमार गायों की रोज सुबह शाम कपूर और घी से आरती करते थे। अगरबत्ती का धुआं भी बाड़े में छोड़ते थे। पशु पालक का दावा है कि माता के प्रकोप में आईं गायों का इलाज करने से माता नाराज हो जाती हैं। ऐसी ही गायों की बाद में मौत हो जाती है। राजू के मुताबिक उनकी गायों के दूध पर भी कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। उप संचालक पशु चिकित्सा सेवाएं हीरासिंह भंवर ने ग्रामीणों में फैले अंधविश्वास को गलत बताया है। उन्होंने कहा है कि बीमार पशुओं का इलाज और स्वस्थ पशुओं का टीकाकरण जरूरी है।
टीकाकरण का आंकड़ा 20 हजार के पार
पशु चिकित्सा विभाग के अधिकारियों के मुताबिक अब तक जिले में बीस हजार से ज्यादा गोवंश को टीके लगाए जा चुके हैं। शुक्रवार को विभाग ने 36 टीमें टीकाकरण के लिए मैदान में उतारी थीं। इन टीमों ने टीकाकरण के साथ ही बीमार पशुओं का इलाज भी किया। बता दें जिले में 1.87 लाख गोवंश दर्ज है। अधिकारियों के मुताबिक जिले में लंपी वायरस को काफी हद तक नियंत्रित कर लिया गया है।
क्या कहा इन्होंने
पशु चिकित्सक के उप संचालक हीरासिंह भंवर ने कहा कि शुक्रवार से टीकाकरण के लिए 36 टीमें मैदान में उतारी हैं। बीमार पशुओं का इलाज भी किया जा रहा है। स्थिति नियंत्रण में है।