Jabalpur. प्रदेश में रबी सीजन की बोहनी का समय आ चुका है। दलहन की फसल लेने वाले किसानों ने बोहनी की तैयारी शुरू कर दी है तो गेहूं की फसल लेने की तैयारी कर रहे किसान दीपावली बीतने का इंतजार कर रहे हैं ताकि गेहूं की फसल के लिए अमृत का काम करने वाली ओस और ठंडक का प्रभाव दिखने लगे। इस बीच डीएपी और यूरिया की कमी का संकट एक बार फिर सिर उठा चुका है। सरकारी गोदामों में इतनी खाद नहीं है, जितनी डिमांड किसानों और डबल लॉक द्वारा की जा रही है। खाद लेने के लिए किसान अपनी सोसायटी तक जाता तो है लेकिन वहां ताला डला मिलता है। उधर बाजार में कालाबाजारी के उस्ताद मनमाफिक दामों पर डीएपी और यूरिया बेच रहे हैं, साथ ही अमानक खाद का भी बाजार में बोलबाला है।
सोसायटी में भी लिए जा रहे ज्यादा दाम
इधर सेवा सहकारी समितियों पर भी किसानों से तय दाम से ज्यादा कीमत वसूलने के आरोप लग रहे हैं। यहां तक कि परमिट वाले किसानों को खाद उपलब्ध कराने के निर्देश होने के बावजूद समितियां नगदी विक्रय को ही प्राथमिकता दे रही हैं। किसान भी परेशान है क्योंकि जब भी बोहनी का समय आता है और खाद की जरूरत होती है तो गोदामों में अचानक खाद का संकट आ जाता है। इस समय मटर-चना की बुआई के लिए किसानों को डीएपी और यूरिया की बेहद आवश्यकता है, जिसके चलते सुबह होते ही सहकारी समितियों में किसानों का जमावड़ा देखने को मिल रहा है। हालांकि अधिकांश किसानों को किसी न किसी कारण बैरंग लौटना पड़ रहा है।
दीपावली बाद होगी बंपर डिमांड
जानकारों का कहना है कि अभी तो यह शुरूआत है। जैसे ही धान की फसल कटेगी और गेहूं की बोहनी का समय आएगा तो खाद के लिए गजब की मारामारी मचना तय है। वहीं विभाग की ओर से की जा रही सारी तैयारियां अभी से विफल होती दिखाई देने लगी हैं।
निजी गोदामों में भरपूर स्टाक
सरकारी गोदामों को छोड़ दें तो निजी गोदामों में भरपूर स्टाक उपलब्ध है। व्यापारियों को अच्छी तरह से पता है कि जब किसान को खाद की जरूरत होगी तो वह मनमाफिक दामों पर खाद खरीदेगा। जिसके चलते बाजार में अमानक खाद और बीज का भी अच्छा खास धंधा हो जाएगा।
अधिकारियों के पास रटारटाया जवाब
इधर अधिकारी अपने ही खयाली पुलाव पकाने में व्यस्त हैं। खाद के स्टाक और वितरण के लिए जिम्मेदार अधिकारियों का कहना है कि जिले में पर्याप्त मात्रा में खाद है। किसानों को खाद की कमी नहीं आने दी जाएगी। समिति प्रबंधक एवं डबल लॉक अधिकारियों का कहना है कि मांग के अनुरूप हमको खाद नहीं मिल रही है। हमें खाद कम मिलेगी तो हम किसान को पर्याप्त खाद कहां से उपलब्ध करा पाऐंगे।