BJP का मिशन 2023: MP के 22% वोटर्स को साधने की कवायद है आदिवासी सम्मेलन

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BJP का मिशन 2023: MP के 22% वोटर्स को साधने की कवायद है आदिवासी सम्मेलन

भोपाल. मध्यप्रदेश में आदिवासी वोटर्स (MP Tribal Voters) को साधने की कवायद BJP ने शुरू कर दी है। 15 नवंबर को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बिरसा मुंडा (Birsa Munda) की जयंती पर इसका आगाज होगा। भोपाल के जंबूरी मैदान (Jamburi Maidan) में बीजेपी आदिवासी मेगा इंवेट (Adivasi Mega Event) का आयोजन करने जा रही है। इसके लिए पूरे प्रदेश से 2.5 लाख आदिवासियों की भीड़ जुटाने की योजना (Plan) है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) भी कार्यक्रम में शामिल होंगे। इस मेगा इंवेट के जरिए बीजेपी प्रदेश की 82 आदिवासी सीटों को साधने की कोशिश में है।

हिंदू संगम ने रखी थी जीत की नींव

आदिवासी वोटर्स को साधने का शिवराज सरकार (Shivraj Govt) का ये पहला मेगा इंवेट है। इसकी तैयारी में सरकार और संगठन पूरे जोर-शोर से जुटा है। करीब ढाई लाख आदिवासी जंबूरी मैदान में जुटेंगे तो वेबकास्ट के जरिए एक करोड़ लोगों को जोड़ा जाएगा। आदिवासी सम्मेलन (Tribal Convention) के पीछे बीजेपी का मकसद मप्र की 22 फीसदी आदिवासी आबादी को साधना है। बीजेपी ने इससे पहले 2002 में झाबुआ में आदिवासियों को एकजुट करने के लिए हिंदू संगम (Hindu Sangam) का आयोजन किया था। इसके बाद 2003 विधानसभा चुनाव (2003 Assembly Election) में बीजेपी ने आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित 41 सीटों में से 37 सीटें जीतीं थी। 

35 सीटों पर निर्णायक भूमिका में आदिवासी

मौजूदा दौर में 47 आदिवासी सीटों में से बीजेपी के पास 17 सीटें है। हाल ही में जोबट (Jobat) सीट जीतकर उसने एक सीट का इजाफा किया है। वहीं, कांग्रेस (Congress) के खाते में 30 सीटें है। 47 सीटों के अलावा 35 सीटें ऐसी है जहां आदिवासी वोट 50 हजार से ज्यादा है। इसमें विंध्य में (कोल), हरदा, टिमरनी, खातेगांव, नेपानगर में (कोरकू), धार में (भिलाला), झाबुआ और रतलाम में (भील), बड़वानी और खरगौन में (बारेला और पटरिया), गुना बमौरी में (सहरिया, भिलाला, भील) मिली जुली जनजातियां हैं।  

बीजेपी के पास बड़ा आदिवासी चेहरा नहीं

2018 में बीजेपी के चुनाव हारने की सबसे बड़ी वजह आदिवासी वोट बैंक का खिसकना रहा है। इस चुनाव में बीजेपी अपनी पुरानी गलती दोहराना नहीं चाहती। इसलिए इसी साल रघुनाथ शाह शंकर शाह के बलिदान दिवस के मौके पर बीजेपी ने महाकौशल में बड़े कार्यक्रम का आयोजन किया था। इसमें गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) शामिल हुए थे। बीजेपी 2003 का इतिहास दोहराना चाहती है लेकिन बीजेपी के सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि कई जनजातियों में बंटे आदिवासी समुदायों को साधने के लिए उसके पास कोई बड़ा चेहरा नहीं है। 

BTP और JAYS भी चुनौती

मालवा-निमाड़ (Malwa-Nimar) में दिलीप सिंह भूरिया बड़े नेता थे। फिलहाल की स्थिति में खरगौन सांसद गजेंद्र पटेल (Gajendra Patel), राज्यसभा सांसद सुमेर सिंह सोलंकी, हाल ही में विधायक बनीं सुलोचना रावत और अनुसूचित जनजाति मोर्चे के प्रदेश अध्यक्ष कल सिंह भाबर है। ये सभी मालवा बेल्ट से आते हैं। इधर गौंड बेल्ट (Gond Belt) से फग्गन सिंह कुलस्ते, ओमप्रकाश धुर्वे, विजय शाह और मीना सिंह जैसे आदिवासी चेहरे हैं। लेकिन इस बार चुनौती के रूप में भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP), जयस (JAYS) जैसे संगठन है जो आदिवासियों में अपनी पैठ बढ़ाने में कामयाब हुए है। ऐसे में राह मुश्किल है, इस कारण बीजेपी मिशन 2023 (BJP Mission 2023) के लिए पहले से ही इस वर्ग को साधने में जुट गई है।

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