Sehore : अंत्योदय और श्रमिक कार्ड होने पर भी महिला को नहीं मिला कोई लाभ

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The Sootr CG
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Sehore : अंत्योदय और श्रमिक कार्ड होने पर भी महिला को नहीं मिला कोई लाभ

Sehore. गरीबों को गरीबों को जरूरत पड़ने पर आर्थिक सहायता पहुंचाने के लिए सरकार ने कई योजनाएं चला रखी हैं। इन योजनाओं को लेकर सरकार बड़े-बड़े दावे भी करती हैं, लेकिन जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है। सीहोर में अंत्योदय और श्रमिक कार्ड होने के बावजूद एक विधवा महिला को सरकार की ओर से सहायता राशि में एक रुपए तक नहीं मिला। परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी खराब है कि अब उस महिला को मजदूरी कर अपने बच्चों को पालना पड़ रहा है।





शारदा बाई को नहीं मिला किसी योजना का लाभ





सीहोर के नसरुल्लागंज जनपद के तहत आने वाली बड़नगर पंचायत के पाडागांव की शारदा बाई ना तो पढ़ी लिखी हैं ना ही सिस्टम को समझती हैं। एक साल पहले तक शारदा की जिंदगी अपने पति और चार बच्चों के साथ ठीक तरीके से गुजर रही थी लेकिन अचानक शारदा बाई पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। शारदा के पति रामचंद्र केवट का पिछले साल 30 मार्च 2021 को एक्सीडेंट हो गया। गंभीर हालत में रामचंद्र को नसरुल्लागंज अस्पताल से भोपाल रेफर किया। चार दिनों तक इलाज चला। इलाज के लिए शारदा ने गांव वालों से पैसे उधार लिए। लेकिन 4 अप्रैल को रामचंद्र की उपचार के दौरान मौत हो गई। रामचंद्र केवट के पास अंत्योदय और श्रमिक कार्ड दोनों थे। इस योजना के मुताबिक अंत्योदय कार्डधारी की मौत होने पर सरकार की ओर से अंत्येष्टी के लिए तत्काल 3 हजार रुपए की सहायता प्रदान की जाती है। इसके अलावा 20 हजार रुपए की आर्थिक सहायता परिवार को मिलती है। रामचंद्र के पास श्रमिक कार्ड भी था। योजनानुसार श्रमिक कार्डधारी का यदि बीपीएल सूची में नाम है और उसकी एक्सीडेंट में मौत हो जाती है तो परिवार को 4 लाख की आर्थिक सहायता मिलती है लेकिन शारदा बाई को आज तक एक रुपए भी नहीं मिला।





1 साल से भटक रही शारदा बाई





शारदा बाई के पति रामचंद्र की मौत 4 अप्रैल 2021 को हो गई थी। इसके बावजूद नसरुल्लागंज थाने में रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई। शारदा बाई के मुताबिक उस दौरान स्थानीय पुलिस अधिकारियों ने वहां से उसे डांटकर भगा दिया था। जब उन्होंने इसकी शिकायत पुलिस के उच्च अधिकारियों से की, उसके बाद 20 अप्रैल 2021 को नसरुल्लागंज थाने में रिपोर्ट दर्ज की गई। अब शारदा बाई सरकारी सहायता पाने के लिए पिछले 1 साल से भटक ही रही है। आवेदनों का ढेर लग चुका है लेकिन सहायता नहीं मिली।





150 से 200 रुपए तक की मिलती है मजदूरी





शारदा बाई के 4 बच्चे हैं दो बेटियों की शादी हो चुकी है। एक बेटा और एक बेटी अभी शारदा बाई के साथ ही रहते हैं। उनके परवरिश के लिए वो मजदूरी करती है। मजदूरी के उसे हर रोज 150 से 200 रूपए मिलते हैं। बस इसी के सहारे उसके बच्चों का भविष्य है। पति के इलाज के लिए जो पैसे उधार लिए थे, वह अब तक उसे चुका नहीं पाई है, पैसा लेने साहूकार उनके घर के चक्कर लगाते हैं। अब जिस अंत्योदय और श्रमिक कार्ड योजना का सरकार की तरफ से ढिंढोरा पीटा जाता है उस योजना का लाभ तो हकीकत में मिल नहीं रहा है। शारदा बाई के पास इस योजना के दोनों कार्ड हैं।





अधिकारियों को रटा-रटाया जवाब





इस मामले में द सूत्र की टीम ने सीहोर जिले के अधिकारियों से जानने की कोशिश की कि आखिरकार लाभ क्यों नहीं मिल रहा लाभ और इतने आवेदन देने के बाद भी शारदा बाई को क्यों भटकना पड़ रहा है तो रटा रटाया सा जवाब मिला कि दिखवाते हैं। दरअसल सिस्टम में बैठे अधिकारियों की संवेदनशीलता खत्म हो गई है और उन्हें आम जनता की तकलीफों से कोई लेना देना नहीं होता। अभी कई दिनों से सरकार के मुखिया अधिकारियों के साथ मीटिंग में एक बात पर जोर दे रहे हैं कि आम लोगों को योजनाओं का लाभ देने के लिए कर्मचारी रिश्वत ना मांगें। कोई ऐसा करता है तो उस पर एक्शन लिया जाए। दरअसल बात यही है कि बगैर लेनदेन के सिस्टम में कोई काम नहीं होता। 



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