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जबलुपर के आमिर 8 साल की उम्र में घर से स्कूल के निकले थे। पूरे 10 सालों के बाद वह दोबारा घर पहुंचे। मानसिक विक्षिप्त होने के कारण आमिर नागपुर पहुंच गए थे। घर की जानकारी न होने के कारण पुलिस ने आमिर को एक बाल गृह में भेजा। जहां नागपुर के पंचशील नगर में रहने वाले एक हिंदू परिवार ने आमिर की परवरिश की। उन्होंने आमिर का इलाज कराया और उसका नाम बदलकर अमन रख दिया।
आधार कार्ड से घर लौटा
नागपुर के परिवार ने अमन का स्कूल में दाखिला कराया। 10वीं की परीक्षा पास करने के बाद 11वीं में एडमिशन कराने के लिए आधार कार्ड की जरूरत पड़ी। आधार सेंटर पर बायोमेट्रिक समस्या के कारण उसका पंजीयन नहीं हुआ। आधार कार्ड के कार्यालय से संपर्क करने के बाद पता चला कि अमन जबलपुर का आमिर है। हिंदू परिवार ने आमिर की जानकारी मिलने के बाद उसे जबलपुर स्थित अपने पिता मोहम्मद अयूब के सुपुर्द कर दिया। अयूब का कहना है कि मेरे बेटे को जितनी अच्छी परवरिश इन्होंने दी है, मैं कभी नहीं दे पाता।