JABALPUR:कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा का बयान, दो-दो शपथ ग्रहण संविधान की भावनाओं के विपरीत, राजनैतिक द्वेष को हावी होने देना गलत

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Rajeev Upadhyay
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JABALPUR:कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा का बयान, दो-दो शपथ ग्रहण संविधान की भावनाओं के विपरीत, राजनैतिक द्वेष को हावी होने देना गलत

Jabalpur. प्रदेश के सबसे पुराने नगर निगम जबलपुर नगर पालिक निगम में दलगत राजनीति तो होती रही है लेकिन इतिहास में यह पहली बार है जब नगर निगम सदन के लिए दो-दो शपथ ग्रहण समारोह होंगे। जिस पर कांग्रेस से राज्यसभा सदस्य विवेक कृष्ण तन्खा ने आपत्ति जताते हुए कहा है कि भाजपा को यह समझने की जरूरत है कि दोहरे शपथ ग्रहण का न केवल प्रदेश बल्कि पूरे देश में बहुत गलत संदेश जाएगा। 





उन्होंने अलग-अलग शपथ ग्रहण को प्रजातांत्रिक व्यवस्था में बहुत गलत परिपाटी की शुरूआत करार दिया है। उन्होंने कहा कि संवैधानिक व्यवस्था के तहत देश में तीन सरकारें काम करती हैं, राष्ट्रीय सरकार, राज्य सरकार और स्थानीय सरकार। इन तीनों सरकारों के शपथ ग्रहण की प्रजातांत्रिक प्रणाली एक जैसी ही होती है। जब राष्ट्रीय स्तर पर ऐसी परिपाटी का प्रचलन नहीं है तो फिर बीजेपी स्थानीय स्तर पर ऐसा क्यों कर रहे हैं। उन्होंने इस मामले में सभी राजनैतिक दलों से आह्वान किया है कि अखंडता और एकता की शपथ एक ही होती है ऐसे में राजनैतिक द्वेष को ऐसे मामलों में हावी नहीं होने देना चाहिए। 







बीजेपी ने तिरंगा यात्रा की दिलाई याद







दूसरी तरफ विवेक तन्खा के बयान पर बीजेपी नगर अध्यक्ष जी एस ठाकुर ने पलटवार किया है। जब उनसे इस संबंध में प्रतिक्रिया मांगी गई तो उन्होंने कहा कि कमलनाथ आखिर हैं कौन? वे मात्र कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हैं और यह कोई संवैधानिक पद नहीं है। संविधान की भावना वाले बयान पर उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी भी सबके प्रधानमंत्री हैं। जब उन्होंने तिरंगा यात्रा में सभी दलों के नेताओं से साथ आने की अपील की थी, तब तो कांग्रेसी अलग हो गए। अब हमें नगर निगम के शपथ ग्रहण पर नसीहत दे रहे हैं। उन्होंने विवेक तन्खा से सवाल किया है कि क्या तिरंगे का सम्मान संवैधानिक भावना से नहीं जुड़ा है। 





सदन के सदस्य सदन में ही शपथ लेते हैं





बीजेपी नगर अध्यक्ष ने यह भी याद दिलाया कि केंद्र और राज्य सरकारों के शपथ ग्रहण में सरकार में शामिल लोग ही शपथ लेते हैं, सदन के सदस्य नहीं। सदन के सदस्यों को स्पीकर सदन के अंदर शपथ दिलाते हैं। ऐसे में बीजेपी पार्षदों का अलग से शपथ लेना कहीं से भी गलत परंपरा की शुरूआत नहीं है।



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