Advertisment

आदिवासी वोट पर चोट: बिरसा मुंडा की जयंती तो बहाना है, कांग्रेस और बीजेपी में रस्साकशी

author-image
एडिट
New Update
आदिवासी वोट पर चोट: बिरसा मुंडा की जयंती तो बहाना है, कांग्रेस और बीजेपी में रस्साकशी

जबलपुर. अमर शहीद बिरसा मुंडा (Birsa Munda) की जयंती 15 नवंबर को होती है। आदिवासी समाज के सिरमौर माने जाते हैं, बिरसा मुंडा। इस मौक पर MP में सियासी पारा चढ़ गया है। बीजेपी सरकार उनकी जयंती को जनजातीय गौरव दिवस (janjati divas) के रूप में मना रही है। आदिवासी समाज को अपने पाले में लाने को कांग्रेस और भाजपा में जबरदस्त रस्साकसी देखी जा रही है। इसी के बहाने आज मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में दोनों प्रमुख राजनीतिक दल बीजेपी और कांग्रेस (BJP-CONGRESS) आदिवासियों (Tribal) को लुभाने के लिए जोर आजमाइश कर रहे हैं। इसे 2023 के विधानसभा (Vidhan Sabha) और 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी के रूप में देखा जा रहा है। भोपाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) आदिवासियों की बड़ी रैली संबोधित कर रहे हैं। वहीं जबलपुर में कांग्रेस भी बिरसा मुंडा जयंती पर सम्मेलन करके आदिवासी वोट बैंक को साधने की जुगत में है। भोपाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जबलपुर में कांग्रेस के कार्यक्रम में दोनों पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ (Kamal Nath) और दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) शिरकत कर रहे हैं।

विधानसभा की तैयारी शुरू

2003 में दिग्विजय सिंह के खिलाफ बीजेपी की जीत में आदिवासी समुदाय की बड़ी भूमिका रही थी। आदिवासियों का कांग्रेस से मोहभंग होना पार्टी की हार का बड़ा कारण रहा। उस वक्त गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने न केवल 6 विधानसभा सीट पर जीत दर्ज की थी, बल्कि आदिवासी सीटों पर कांग्रेस के वोट भी काटे थे। मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में से 47 सीटें आदिवासी समुदाय के लिए आरक्षित हैं। प्रदेश में करीब 22 परसेंट वोट आदिवासियों के हैं। पिछले कई चुनावों से आदिवासी समुदाय मध्य प्रदेश की राजनीति के केंद्र में रहा है।

जब कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक BJP में गया

आदिवासी वोट हमेशा से कांग्रेस के पक्ष में जाते रहे हैं। लेकिन बीच में यह वोट बैंक कांग्रेस की जगह बीजेपी में जाने लगा था। 2018 का चुनाव कांग्रेस के लिए फिर बड़ी राहत लेकर आया। कांग्रेस का परंपरागत आदिवासी वोटर उसके पास लौट आया। कांग्रेस से छिटकने के बाद आदिवासी वोट 2013 तक के चुनाव में बीजेपी के साथ बना रहा। इस चुनाव में बीजेपी को 31 सीटें मिली थीं, वहीं कांग्रेस को 16 सीट पर संतोष करना पड़ा था। चुनाव में कांग्रेस का भाग्य बदलने की बड़ी वजह आदिवासी समुदाय के वोट थे। इस चुनाव में उनका बीजेपी से मोह भंग हो गया। इस बार का नतीजा 2013 से बिलकुल उलट था। कांग्रेस के खाते में आदिवासी समुदाय की 31 सीटें आ गयीं वहीं 16 सीटें बीजेपी को मिलीं। आदिवासियों के कारण ही 2018 में 15 साल बाद बीजेपी को सत्ता गंवानी पड़ी थी। बस यही उसकी चिंता की बड़ी वजह है। जोबट का उपचुनाव जीतने के बाद वर्तमान में बीजेपी के खाते में आदिवासी सीटों की संख्या 16 से बढ़कर 17 हो चुकी है। इसी वोट बैंक को अपने पक्ष में लाने के लिए बीजेपी ऐड़ी चोटी का जोर लगा रही है।

Advertisment

बीजेपी पर बरसे दिग्गी-नाथ

उस वक्त भी दिग्गज कांग्रेसियों ने बीजेपी के आदिवासी सम्मेलन से आदिवासियो को बाहर किए जाने, यहां तक कि मध्य प्रदेश सरकार के वन मंत्री विजय शाह को मालगोदाम में और फिर मंच पर जगह न दिए जाने के मसले को जोर-शोर से उठाया था। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय-नाथ ने रविवार 14 नवंबर को पुनः उस मसले को मीडिया के सामने उठाया। इस मौके पर दिग्विजय सिंह ने भाजपा पर आदिवासियों के संग महज राजनीति करने का आरोप लगाया। उन्होंने जबलपुर, सीधी के प्रकरणों को भी उठाया साथ ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के विधानसभा क्षेत्र की घटना को भी उठाते हुए ये आरोप लगाया कि प्रदेश में आदिवासी समाज सबसे ज्यादा प्रताड़ित है।

कांग्रेस की तैयारी

Advertisment

दिग्विजय सिंह तो रविवार को ही जबलपुर पहुंच कर आदिवासी समाज के इस बड़े सम्मेलन की तैयारी में जुटे हैं। वहीं एक अन्य पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ भी सोमवार को जबलपुर में आयोजित कांग्रेस के उस कार्यक्रम को धार देने वाले हैं जो आदिवासी समाज को प्रमुख नेतृत्व प्रदान करने और उनके हक व हुकूक की आवाज बुलंद करने वाले बिरसा मुंडा की जयंती पर आयोजित किया गया है। इस आयोजन के लिए सभी कांग्रेस विधायकों व अन्य जनप्रतिनिधियों तथा पार्टी पदाधिकारियों को आदिवासी समाज के साथ आमंत्रित किया गया है। कांग्रेस की रणनीति के तहत आदिवासी समाज के जनप्रतिनिधियों की भूमिका इस आयोजन में महत्वपूर्ण होगी। पार्टी का कहना है कि बिरसा मुंडा की पहली प्रतिमा जबलपुर में है लिहाजा पार्टी यहां आदिवासी सम्मेलन आयोजित कर रही है।

जबलपुर और आदिवासी सम्मेलन

मध्य प्रदेश में एक करोड़, 53 लाख, 16,784 आदिवासी आबादी है, जो सूबे की कुल जनसंख्या का 21.5 प्रतिशत होता है। प्रदेश की 47 विधानसभा सीटें जनजातियों के लिए आरक्षित हैं तो 87 आदिवासी ब्लॉक भी हैं। आदिवासी समाज काफी पहले से कांग्रेस समर्थक रहा लेकिन बीच में कुछ समय के लिए वो कांग्रेस से नाराज हुए लेकिन जल्द ही वापसी भी हो गई। राजनीतिक पंडितों की मानें तो 2018 के विधानसभा चुनाव में आदिवासियों ने ही कांग्रेस को सत्ता तक पहुंचाया था। तब आदिवासी समाज ने कांग्रेस की झोली में 15 सीटें डाली रहीं।

Madhya Pradesh Kamal Nath SHIVRAJ SINGH CHOUHAN narendra modi Digvijay Singh Tribal Pride Day जनजातीय गौरव दिवस BJP Government Birsa Munda tribal Vidhan Sabha Jayanti
Advertisment