उज्जैन उत्तर सीट पर मतदाताओं का मिजाज बदलता रहता है, 1998 से लगातार जीत रही है बीजेपी, कांग्रेस के सामने बड़ी चुनौती  

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Vivek Sharma
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उज्जैन उत्तर सीट पर मतदाताओं का मिजाज बदलता रहता है, 1998 से लगातार जीत रही है बीजेपी, कांग्रेस के सामने बड़ी चुनौती   

UJJAIN. महाकाल की नगरी उज्जैन एक प्राचीन शहर है जहां कालीदास ने महाकाव्य अभिज्ञान शांकुतल लिखा, वो नगरी जहां सांदिपनी आश्रम के रूप में कृष्ण का गुरुकुल है। उज्जैन ही वो नगरी है जहां से होती है कालगणना। महाकाल की नगरी उज्जैन में दो विधानसभा सीटें आती है। एक उज्जैन उत्तर और दूसरी उज्जैन दक्षिण। महाकाल मंदिर उज्जैन उत्तर सीट का हिस्सा है और यहां के मतदाताओं का मिजाज भी भोलेनाथ के स्वभाव की तरह ही कहा जा सकता है।





प्रोफाइल 







  • मध्य प्रदेश की धार्मिक नगरी के रूप में विख्यात



  • कई विश्व प्रसिद्ध स्थलों के लिए जाना जाता है उज्जैन


  • बाबा महाकाल, हरसिद्धि, गणेश मंदिर विश्व प्रसिद्ध


  • राजनीतिक रूप से भी उज्जैन की अलग पहचान








  • सियासी मिजाज





    उज्जैन उत्तर सीट 1990 तक कांग्रेस के कब्जे में रही लेकिन 1990 के चुनाव के बाद से केवल एक बार ही कांग्रेस को यहां से जीत नसीब हुई है और लगातार बीजेपी का कब्जा बना हुआ है पहला चुनाव 1957 में हुआ जिसमें राजदान कुमारी किशोरी ने चुनाव जीता था इसके बाद हुए चुनाव में कांग्रेस ने 1962, 1972, 1980 और 1985 का चुनाव जीता। इसके बाद कांग्रेस को केवल 1998 के चुनाव में जीत मिली थी। इसके बाद से कांग्रेस को जीत नसीब नहीं हुई





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    सियासी समीकरण





    उज्जैन उत्तर वैसे तो बीजेपी का गढ़ है लेकिन इस बार हुए नगर निगम चुनाव ने बीजेपी खेमे की चिंता बढ़ा दी है क्योंकि कांग्रेस के मेयर की बेहद कम वोटों से हार हुई है और कांग्रेस के मेयर प्रत्याशी महेश परमार ने वोटों के अंतर को पाट दिया। उज्जैन उत्तर के 31 में से 14 वार्ड  ही बीजेपी जीत सकी है। विधायक पारस जैन के वार्ड से भी बीजेपी हार गई। ऐसे में राजनीतिक हलको में चर्चा है कि क्या उज्जैन उत्तर में कांग्रेस ने सेंध लगा ली है। दूसरी तरफ पारस जैन क्या इस बार चुनाव लड़ेंगे या नहीं इस पर जैन का कहना है कि वो टिकट मांगने नहीं जाएंगे। वहीं कांग्रेस की बात करें तो कांग्रेस के पास दमदार चेहरा नहीं है। महंत राजेंद्र भारती ही एक चेहरा है और स्थानीय दावेदार है..  दरअसल उत्तर में बीजेपी की जीत के पीछे जातिगत समीकरण ज्यादा मायने रखते हैं।





    जातिगत समीकरण





    उज्जैन उत्तर में करीब 50 से 60 हजार वोट मुस्लिम समुदाय के हैं और बाकी वोट दूसरे समुदाय के है। बीजेपी को मुस्लिम समुदाय के सात वार्डों में जीत बमुश्किल मिलती है.. पिछले चुनाव में जरूर बीजेपी ने तीन वार्ड जीते थे लेकिन 2018 में वो भी नहीं जीते और इसी वजह से इस सीट पर ध्रुवीकरण होता है और बीजेपी चुनाव जीतने में कामयाब होती है।





    मुद्दे





    जहां तक मुद्दे की बात करें तो उज्जैन उत्तर शहरी सीट है इसलिए जो नगर निगम चुनाव के मुद्दे हैं वो स्थानीय मुद्दे तो यहां हैं ही लेकिन विधायक के तौर पर मुद्दों को देखे स्वास्थ्य शिक्षा और रोजगार ये अहम मुद्दे यहां नजर आते है और इन मुद्दों को लेकर जब उज्जैन उत्तर के बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं के बीच जमकर बहस होती है। इसके अलावा शहर के नागरिकों, पत्रकार और स्थानीय नेताओं से बातचीत करने पर और भी कई मुद्दे सामने आए।  वहीं जनता के सवालों पर विधायक पारस जैन ने कहा कि क्षेत्र में कई विकास कार्य करवाए। उन्होंने विपक्ष के सभी आरोपों को आधानहीन बताते हुए कहा कि '2028 के सिंहस्थ की तैयारी शुरु हो चुकी है।



           





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