रायपुर में लाइट मेट्रो प्रोजेक्ट लाने की कवायद, लेकिन नहीं मिल पा रहा जल भराव की समस्या का निदान, एमआईसी सदस्य बोले– फंड की कमी से नहीं बन पा रहे नाले

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Shivam Dubey
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रायपुर में लाइट मेट्रो प्रोजेक्ट लाने की कवायद, लेकिन नहीं मिल पा रहा जल भराव की समस्या का निदान, एमआईसी सदस्य बोले– फंड की कमी से नहीं बन पा रहे नाले


नितिन मिश्रा, RAIPUR. राजधानी रायपुर को मेट्रो सिटी बनाने की कवायद की जा रही है, लेकिन राजधानी को पुरानी जलभराव की समस्या से निदान नहीं मिल पा रहा है। सालों से राजधानी के नागरिकों को इस समस्या का सामना करना पड़ रहा है। एमआईसी सदस्य अजीत कुकरेजा ने बताया कि फंड नहीं मिलने से नालों का निर्माण नहीं हो पा रहा है। जिससे जलभराव हो रहा है।

राजधानी में जल भराव बड़ी समस्या

राजधानी में बीते दो दिनों भारी बारिश देखने को मिली है। इन दो दिनों को बारिश ने विकास कार्यों की पोल खोल दी है। यह हम नहीं कह रहे ये राजधानी के मौजूदा हालात बयां कर रहें हैं। कई इलाकों में इस कदर पानी भरा हुआ है कि लोग अपने घरों से बाहर नहीं निकल पा रहें हैं। कालोनियों की बात अगर छोड़ भी दें तो हाईवे में भी जल भराव देखने को मिल रहा है। कालोनियों के हालात तो ऐसे हैं जैसे वो छोटे तालाबों में तब्दील हो चुके हैं। सड़कों पर चलना भी मुश्किल हो चुका है। जलभराव की समस्या राजधानी में लंबे समय से चली आ रही है। लेकिन बरसात खत्म होने के बाद ये मुद्दा भी जनप्रतिनिधियों के जहन से गायब हो जाता है। हालांकि बरसात से पहले याद आ जाता है कि फिर से जलभराव जैसी समस्या आएगी।

क्या कारण हैं जल भराव के

राजधानी में जलभराव का मुख्य कारण है कि पानी निकासी के लिए नालों की व्यव्स्था ना होना। जिसकी वजह से पानी सड़कों या घरों तक पहुंच जा रहा है। एमआईसी सदस्य अजीत कुकरेजा ने बताया कि नालों का निर्माण नहीं हो पा रहा है। शहर में नालों के निर्माण के लिए 70 करोड़ रुपए की आवश्यकता है, लेकिन इतना फंड ही नहीं है। लोगों ने अवैध प्लाटिंग करके नालों के ऊपर मकान बना लिया है। जिससे पानी की निकासी नहीं हो पा रही है। यदि उन घरों को तोड़ा जाएगा तो 40 से 50 घर टूटेंगे। कुछ फंड मिला था जिससे नालों का निर्माण किया गया है। आने वाले समय में इस समस्या से छुटकारा मिल जाएगा।

अवैध प्लाटिंग मुख्य कारण

राजधानी के कई इलाकों में लोगों अवैध प्लाटिंग करके घरों का निर्माण कर लिया है। कई घर नाले के ऊपर ही बन गए हैं। जिससे नाले गायब हो चुके हैं। लेकिन बड़ा सवाल यह उठता है कि जब अवैध निर्माण हो रहा था तो नगर निगम ने निर्माण करने की परमिशन कैसे दी? क्या उस समय किसी भी अधिकारी ने मौके पर जाकर निरीक्षण नहीं किया? इसका मतलब यह है कि सारा काम नगर निगम को नाक के नीचे हुआ है, लेकिन निगम ने कोई भी कार्रवाई नहीं की है।

इन इलाकों में सबसे ज्यादा परेशानी

राजधानी रायपुर के जलविहार कालोनी, शांति नगर, पंडरी, भिलाई रोड, आनंद नगर, सुंदर नगर, शंकर नगर, तेलीबांधा, जयस्तंभ चौक, कोटा, सरस्वती नगर, पुरानी बस्ती, अशोक नगर, अवंतिविहार, गोगाव, नर्मदापारा जैसे इलाकों में सबसे ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ता है।

लाइट मेट्रो प्रोजेक्ट लाने की तैयारी

महापौर एजाज ढेबर ने अपने मॉस्को विजिट के बाद राजधानी रायपुर को मेट्रो सिटी बनाने की कवायद में मॉस्को में अपने विचार भी प्रस्तुत किए थे। उन्होंने बताया कि शहर को सुगम और व्यवस्थित ट्रांसपोर्ट की जरूरत जिस से लोगो का समय भी बचे और पैसे भी कम लगें लाइट मेट्रो प्रोजेक्ट इस के लिए सबसे उपयुक्त.जिसके लिए 400-500 करोड़ की लागत आयेगी। इससे निगम को 15 से 20 प्रतिशत आय हो सकती है।

Aijaj Dhebar रायपुर न्यूज Municipal Corporation Raipur Raipur News आईएएस मयंक चतुर्वेदी छत्तीसगढ़ न्यूज ऐजाज ढेबर नगर निगम रायपुर Chhattisgarh News