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चिट्टी (GMC Bhopal) में किसी भी रेजिडेंस डॉक्टर के नाम का उल्लेख नहीं है। लेटर में लिखा है कि जिस किसी को भी ये लेटर मिला, उसे विषैला नमस्कार। जीएमसी (GMC Bhopal) (हमीदिया अस्पताल) में दिन-रात, हम जहरीली सांस ले रहे हैं। हम काफी समय से इस जहरीली संस्कृति का हिस्सा बने हुए हैं। हमने सोचा था कि डॉक्टरों की शहादत के बाद कुछ बदल जाएगा, लेकिन चीजें अभी भी वैसी ही हैं।
अस्पताल में बिना सोए 24 घंटे से ज्यादा समय तक (कभी-कभी 36 घंटे से ज्यादा) लगातार काम करना पड़ता है। बिना छुट्टी लिए काम के बावजूद गलतियां नहीं होने पर भी सीनियर्स और एडवाइजर्स मौखिक दुर्व्यवहार करते हैं। कुछ कहते हैं, तो धमकाते हैं। कहते हैं- "चुप रहो, नहीं तो परीक्षा में पास नहीं होंगे" और "डिग्री डिप्लोमा नहीं दिया जाएगा"।
चिट्ठी में गांधी मेडिकल कॉलेज के पांचों रेजिडेंस डॉक्टरों ने 31 मई को एक साथ कॉलेज में ही सामूहिक आत्महत्या करने की बात कही है। साथ ही, चिट्ठी को ही सुसाइड नोट के रूप में मान्य किए जाने की बात कही है।
चिट्ठी में लिखा है कि अगर मुख्यमंत्री लेटर पढ़ रहे हैं, तो माननीय आप तो हमारी परेशानी समझें। क्योंकि आपकी बेटी ने खुद डॉक्टरी की पढ़ाई की है। हम भी आपके बच्चों के जैसे हैं। इसे व्यर्थ की शिकायत न समझें। हम चाहते हैं कि हम अच्छा काम सीखें। डिग्री लें और अच्छी मेडिकल सेवाएं दें। लेकिन, यहां का माहौल हमें आत्महत्या के लिए मजबूर कर रहा है।
फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन (GMC Bhopal) (फाइमा) ने इस लेटर के सामने आने के बाद सात सदस्यीय समिति गठित कर दी है। फाइमा के स्टेट चेयरमैन डॉक्टर आकाश सोनी ने जानकारी दी है कि फाइमा इस गुमनाम लेटर (GMC Bhopal) की सत्यता कितनी है इसकी पुष्टि नहीं करता है।
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